7/25/2021

विलासी वर्ग का सिद्धांत, वेबलिन

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vilasi varg ka siddhant veblen;वेबलिन ने विलासी वर्ग संबंधी अपने विचार अपनी सर्वप्रथम कृति 'The theory of leisure-class' में स्पष्ट किये है। यह सिद्धांत समाज के आर्थिक पहलू का समाजशास्त्रीय विश्लेषण करता है तथा वर्गों की उत्पत्ति एवं वर्ग संघर्ष के कारणों पर प्रकाश डालता है। 

विलासी वर्ग का सिद्धांत, वेबलिन 

वेब्लन का कथन है कि समाज मे दो प्रकार की संस्थायें पायी जाती है। कुछ संस्थायें ऐसी होती है जिनका उद्देश्य दूसरों की संपत्ति हड़पना होता है अथवा अपनी संपत्ति को बढ़ाना होता है। दूसरे वर्ग मे वे संस्थाये आती है जो औद्योगिक कला की श्रेणी मे आती है। इनका मुख्य कार्य उत्पादन करना होता है। इस प्रकार समाज मे दो वर्ग उत्पन्न होते है-- 

1. संपत्ति हरण करने वाला अर्थात् अनुत्पादक वर्ग। 

2. संपत्ति उत्पन्न करने वाला आर्थात् उत्पादक वर्ग। 

अनुत्पादक वर्ग केवल अपने ही स्वार्थों की पूर्ति पर ध्यान देता है और अन्य के हितों की उपेक्षा करता है। इसके विपरीत दूसरा वर्ग स्वयं के हितों के मूल्य पर अनुत्पादक वर्ग के हितों की रक्षा के लिए विवश किया जाता है। प्रथम वर्ग पूंजी, बुद्धि, स्वामित्व आदि के बल पर बैंक, विधि, औद्योगिक संस्थान आदि पर कब्जा कर लेता है। यह सब कुछ वह बिना श्रम के प्राप्त करता है और विलासी जीवन व्यतीत करने लगता है। अपने विलासी जीवन के लिये औद्योगिक संस्थाओं पर स्थायी रूप से अधिकार करने का प्रयास करता है। इस हेतु सभी उचित तथा अनुचित साधनों का इस्तेमाल करते है। उत्पादन की मात्रा कम करना, वस्तुओं का मूल्य बढ़ाना अथवा कृत्रिम अभाव पैदा करना आदि के द्वार वे बाजार को नियंत्रण मे लेते है। इससे उत्पादक-वर्ग अर्थात् श्रमिक वर्ग के हितों को आघात पहुँचता है। वे इसका विरोध करते है। इसका स्वाभाविक परिणाम होता है-- संघर्ष। विलासी-वर्ग परिश्रम का उत्पादन नही करता फिर भी इसका उत्पादन और उपभोग पर पूर्ण स्वामित्व पाया जाता है। यह वर्ग संपत्ति तथा औद्योगिक संस्थानों के स्थायित्व के बल पर उद्योगों का शोषण करता है। 

विलासी वर्ग की विशेषताएं 

वेब्लेन ने विलासी वर्ग की निम्न पांच विशेषताओं का उल्लेख किया है-- 

1. उनका व्यवहार विशेष रूप से धन संबंधी विचारों से प्रेरित होता है। 

2. वे दूसरों को आकर्षित करने के लिए आडम्बर का प्रयोग करते है।

3. इसी उद्देश्य से वे 'प्रदर्शनकारी उपभोग' का भी प्रदर्शन करते है। 

4. इसी कारण इस वर्ग के लोग अनुत्पादक, अकर्मण्य तथा विलासप्रिय होते है। इस प्रकार प्रदर्शनकारी उपभोग और प्रदर्शनकारी विलासिता का योग हो जाता है। 

5. यह सामर्थ्यशाली वर्ग है, क्योंकि इनका उत्पादन साधनों तथा प्रचुर निजी संपत्ति पर आधिकार होता है। 

इस प्रकार स्पष्ट है कि विलासी वर्ग की प्रमुख विशेषता 'दृष्टि आकर्षक विलासिता' है। यह वर्ग उत्पादन न करते हुए भी समाज में सम्मानित जीवन व्यतीत करता है। वेब्लेन के अनुसार," बिना उत्पादन किये वस्तुओं का उपभोग सम्मानित माना जाता है, क्योंकी प्रथमतः यह वीरता व बड़प्पन का प्रतीक होता है तथा द्वितीयतः मनचाही वस्तुओं का उपभोग स्वयं ही सम्मान का प्रतीक है।" 

विलासी वर्ग में ऊँच-नीच का संस्तरण भी पाया जाता है, जो जन्म तथा धन से उच्चतम विलासी-वर्ग के समीप होते है वे स्वयं को अन्य से श्रेष्ठ समझते है। प्रत्येक स्तर के लोग अपने से ऊपर वाले स्तर के व्यक्तियों को आदर्श मानकर उनका अनुकरण करते है तथा ऊँचा स्तर प्राप्त करने के प्रयास में लगे रहते है। उच्च-वर्ग के आदर्शों का अनुकरण करना सामाजिक प्रतिष्ठा का घोतक समझा जाता है। स्त्रियों द्वारा वस्त्रों एवं आभूषणों पर अपव्यय किया जाता है। दुर्लभ वस्तुओं को रखना प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार प्रदर्शनकारी उपभोग का स्वाभाविक परिणाम प्रदर्शनकारी व्यय ही है। 

विलासी वर्ग से संबंधित परिणाम 

1.आकर्षक उपभोग करना सामाजिक प्रतिष्ठा तथा सम्मान का प्रतीक बन जाता है। 

2. शिक्षा और प्रशिक्षण के ढंग परिवर्तित हो जाते है, सिर्फ ऐसी शिक्षा ही दी जाती है, जिसके प्राप्त करने पर वे अपने को निम्न वर्गों के लोगों से पृथक प्रदर्शित कर सके।

3. प्रतिष्ठा के प्रदर्शन का महत्व बढ़ जाता है। दावतों, मिलन गोष्ठियों, उत्सवों आदि का आयोजन सिर्फ इसलिए किया जाता है कि अन्य लोगों के समक्ष शिष्टाचार और संपत्ति का प्रदर्शन किया जा सके।

4. मूल्यों का निर्धारण मुद्रा के द्वार होता है। शिक्षा का मूल्य इस बात से आंका जाता है कि वह ऐसी नौकरी या व्यवसाय मे है, जिससे ज्यादा धन प्राप्त किया जा सके। 

5. धनहीन विलासिता प्रिय सज्जनों का वर्ग पनप जाता है। ये लोग विलासी वर्ग के वंशज होते है। इनके माता-पिता या अन्य पूर्वज 'आकर्षक उपभोग' तथा विलासितापूर्ण जीवन की आदत इन्हे विरासत में दे जाते हैं।

6. निम्न वर्ग भी विलासी वर्ग के द्वार अपनायी गयी जीवन पद्धति का अनुसरण करने लगता है। धन के संचय, आकर्षक उपभोग तथा फिजूल खर्ची आदि के द्वार हर व्यक्ति अपने ऊपर के वर्ग के नकल करता है और ऊपर उठने के लिए प्रयत्न करता है। 

7. मध्यम वर्ग के लोग विलासी वर्ग के जीवन दर्शन को अपनाने में एक विचित्र प्रणाली का उपयोग करते है। 'आकर्षक उपभोग' के द्वार प्रतिष्ठा बढ़ाने का प्रयत्न करते है, पर उनके पास इतनी संपत्ति का संचय नही होता कि बिना परिश्रम किए इतना धन जुटा सकें। अतः मध्यम वर्ग की स्त्रियों के द्वार प्रतिष्ठा बनाने का प्रयत्न किया जाता है। 

निष्कर्ष 

इस तरह यह स्पष्ट है कि वेब्लेन का विलासी वर्ग के सिद्धांत का आधार आर्थिक है। उत्पादन की उपेक्षा उपभोग उनके सिद्धांत के मौलिक तत्व है। विलासी वर्ग उच्च वर्ग है, सम्मानित और प्रतिष्ठित वर्ग है, क्योंकी वह कोई उपयोगी कार्य नही करता। कार्य न करने के कारण विलासी वर्ग का अधिकार फिजूल खर्च करना तथा आराम करना होता है और जो परिश्रम करने वाले उद्योगी मनुष्य है, उन्हें केवल उतना ही मिलता है, जिससे वे जिन्दा रह सके। वेब्लेन ने संपूर्ण इतिहास को विलासी वर्ग का इतिहास माना है।

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