7/22/2021

विलफ्रेडो पैरेटो का जीवन परिचय, रचनाएं

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विलफ्रेडो पैरेटो का जीवन परिचय 

vilfredo pareto ka jivan parichay;मारक्किस विलफ्रेडो दमासो पैरेटो का जन्म 15 जुलाई 1848 ई. को फ्रांस के पेरिस शहर मे हुआ था। इनका जन्म एक धनी परिवार मे हुआ था। इनकी माता 'मेरी मेटेनियर' पेरेसियन अर्थात फ्रांसीसी थी तथा पिता 'मारच्सि राफेल पैरेटो' इटेलियन थे। पैरेटो के पिता उद्योगपति थे तथा ईटली के तत्कालीन राजनीतिक उथल-पुथल से बचने के लिए फ्रांस चले गए थे। उनका राजनीतिक विचार 'गेरीवाल्डी' तथा 'मैजिनी' जैसे विद्वानों के विचारों से प्रभावित था। वे राजनीतिक जीवन के क्षेत्र में आदर्शवाद, मानवतावाद तथा प्रजातान्त्रिक न्याय के पक्षधर थे। इटली में ऐसे विचारों के विरोध के कारण उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ा। सन् 1855-58 के मध्य इटली में राजनीतिक स्थिरता आयी। सरकार ने राजनीतिक पीड़ितों को 'निर्वासन' से मुक्ति की घोषणा की जिसके परिणाम स्वरूप पैरेटो का परिवार पेरिस से पुनः इटली लौट आया तथा 'टुरिन' नगर में बस गया। वस्तुतः पैरेटो का लालन-पालन तथा प्राथमिक शिक्षा पेरिस में हुई, अतः वे दो भाषाओं यथा इटैलियन तथा फ्रैंच में दक्ष बन गए। पैरेटो की माध्यमिक शिक्षा प्रख्यात संस्था 'पालिटेकनिक इन्स्टीट्यूट टूरिन मे संपन्न हुई। यहां पर उन्होंने गणित, प्राकृतिक एवं भौतिक तथा इंजीनियरिंग जैसे विषयों का ज्ञान प्राप्त किया तथा अपने उच्च शिक्षा की विशेषज्ञता के लिए एक शोध प्रबन्ध लिखा जिसका शीर्षक 'दी फन्डामेन्टल प्रिंसिपल ऑफ इक्किलिब्रियम इन सालिड बाडीज था। परेटो सन् 1870 ई. में 'रोम रेलरोड कंपनी' के निदेशक बने तथा बाद में उन्होंने 'लौह खदान उत्पादन कंपनी, फ्लोरेन्स' में प्रबन्धक एवं संचालक का दायित्व सम्भाला। ऐसे पदों पर कार्य करते हुए पैरेटो देश एवं विदेश की संस्थाओं में कार्यरत श्रमिकों की कार्य-दशाओं एवं विभिन्न समस्याओं से परिचित हुए। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से सरकार का ध्यान श्रमिकों की निम्न दशाओं की ओर आकृष्ट किया तथा राष्ट्रीय नीति, व्यापार के प्रति उदार करने की अपेक्षा की। 

पैरेटो इटली के उच्च अभिजात वर्ग के थे। उनकी पैठ एवं निकटता 'रोम' के सामन्तवादी परिवारों से थी और ऐसे ही परिवार के लोग इटली के शासक एवं शासन तंत्र से जुड़े हुए थे। पैरेटो अपने पिता की भाँति समाज में मुक्त व्यापार, प्रजातंत्र, गणतंत्र तथा शान्तिवाद के समर्थक थे। सन् 1876 ई. में इटली की शासन-नीति निर्धारकों में समाजवादियों एवं वामपंथियों का प्रभुत्व बढ़ा। ऐसे शासकीय नीति निर्धारकों ने इटली में मुक्त व्यापार को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर (मुक्त व्यापार को) प्रतिबंधित कर दिया। पैरेटो आर्थिक विकास के इस राष्ट्रीय नीति के विरूद्ध थे और इसका विरोध उन्होंने लेखों एवं सार्वजनिक मंचों पर करना प्रारंभ कर दिया। प्रतिक्रिया स्वरूप सरकार ने पैरेटो के बौद्धिक लेखों के प्रकाशन को प्रतिबंधित कर दिया। ऐसे ही समय सन् 1882 ई. में परैटो के पिता तथा बाद मे उनकी माता का देहावसान हो गया। पैंरेटो ने इन विषय स्थिति में फ्लोरेन्स के लौह उत्पादन कंपनी की नौकरी से सन् 1889 ई. मे त्यागपत्र दे दिया।

गणतीय एवं सैद्धान्तिक अर्थशास्त्र पर लिखे गए पैरेटो के लेखो ने उन्हें विद्वता की उच्च श्रेणी में स्थापित किया। इस विषय पर प्रख्यात विद्वान 'लियोनवालरस' ने उन्हें प्राध्यापकीय कार्य के लिए प्रेरित किया तथा वह स्विट्जरलैंड के ' लोसाने विश्वविद्यालय' में अप्रैल 1893 मे 'राजनीतिक अर्थशास्त्र' को पढ़ाने के लिए प्रोफेसर पद पर आसीन हुए। दो वर्षों के अन्तराल में उन्होंने अपने आर्थिक सिद्धांत पर लिखी गई पुस्तक के कारण अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखकों में स्थान बना लिया। उसी समय 'मिलान नगर' मे दंगा हुआ जिससे समाजवादी नीति द्वारा समाज के विकास से उनका विश्वास उठ गया तथा उन्होंने पूर्णतः 'दक्षिपंथी' विचारधार के समर्थक के रूप मे अपनी पहचान स्थापित कर ली। सन् 1896 मे पैरेटो 'विधि संकाय' के 'डीन' पद पर आसीन हुए तथा उन्होंने सामाजिक एवं आर्थिक सिद्धांतों को पढ़ना प्रारंभ किया साथ ही उन्होंने सामाजिक अध्ययनों के पाठ्यक्रमों में मूलभूत संशोधन किया तथा स्थापित किया कि समाजशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो सामाजिक घटनाओं की यथार्थ व्याख्या करने में समर्थ है। ऐसे ही समय मे उन्हे समाजशास्त्री के रूप मे ख्याति प्राप्त हुई तथा वे राजनीतिक समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र के इतिहास एवं सामाजिक सिद्धांतों के अध्येता बने। वे इन विषयों पर सप्ताह में केवल एक लेक्चर देते थे  सन् 1907 ई. मे उन्होने राजनीति एवं सामाजिक विज्ञान को पढ़ाना प्रारंभ किया तथा एक वर्ष में तीन महीना क्लास लेते थे। उनका अधिकांश समय पढ़ने, चिन्तन तथा लेखन आदि मे लगा रहता था। उनका मानना था कि सामाजिक घटनाओं में पारस्परिक अन्तर्निर्भरता तथा अन्तर्सम्बन्ध होता है अतः समाजशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसमें सामाजिक विज्ञानों के नियम संश्लिष्ट होते है।

पैरेटो के तार्किक विचारों ने इटली के भावी 'फासिस्ट' शासक मुसोलिनी जैसे शासकों को सृजित किया। वह लासाने विश्वविद्यालय में पैरेटो का शिष्य रहा तथा उनके विचारों से अत्यधिक प्रभावित था। इटली के इस शासक ने पैरेटो को अपने शासन काल में वैचारिक स्तर पर सर्वोच्च स्थान दिया तथा अपने को राजनीतिक रूप से स्थापित करने के लिए पेरैटो के लेखन का सहारा लिया। बौद्धिक रूप से पैरेटो अपना समय स्वाध्यायों एवं लेखन मे व्यतीत करने के लिए सन् 1909 ई. मे विश्व विद्यालयीन कार्यों से त्यागपत्र दे दिया तथा जिनेवा के पास एक ग्राम-गृह (भव्य-विला) मे स्वास्थ्य लाभ तथा लेखन कार्य प्रारंभ किया। यद्यपि पैरेटो का व्यक्तिगत पारिवारिक जीवन उतार-चढ़ावा युक्त रहा। पिता द्वारा उत्तराधिकार में उन्हें खदान एवं अन्य ढेरों सम्पत्ति मिली तथा उनकी पहचान इटली में संभ्रान्तजनों में होती रही तथापि उनका वैवाहिक जीवन सुखद नही रहा। उन्होंने स्वेच्छा से वेनिस-रहवासी एक युवा परन्तु गरीब रूसियन लड़की 'एलेसांडिना बाकुनिन से विवाह किया। परन्तु इसका अन्त दुखात्मक रहा जो विवाह-विच्छेद के रूप में सामने आया। इसके बाद जेन रेगिस एक सहायिका तथा साथी के रूप मे उनके जीवन मे आयी, जिससे उन्होंने जीवन के अवसान की घड़ियों में वैवाहिक संबंध स्थापित किया। ऐश्वर्यपूर्ण जीवन के धनी पैरेटो 75 वर्ष की आयु मे रोम में फासिस्टों का शासन स्थापित होने के बाद सन् 1923 मे मृत्यु को प्राप्त हुए।

विलफ्रेडो पैरेटो की मुख्य कृतियां अथवा रचनाएं

1. कोर्स द इकोनोमिक पालिटिकल, 1896, 

2. लेस सिस्टम सोशियलिस्टम 1902, 

3. मैनुअल दि इकोनोमिया पोलिटिका, 1906, इसका फ्रेंच रूपांतर मैनुअल दि इकोनोमिक पालिटिक, 1909,

4. ट्रेटेटो दि सोशियोलाजिया जेनेरल, 1907-1912 (अंग्रेजी भाषाविद इसे 'ट्रीटीज' (1916) के नाम से जानते है।) ट्रीटाइज का अंग्रेजी रूपांतर 'मस्तिष्क एवं समाज' के नाम से प्रकाशित हुआ। 

5. कैटि ई टियोरी, 1920, 

6. ट्रांसफार्मेजिन दि ला डिमार्जिया, 1921।

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