7/18/2021

प्रत्यक्षवाद का सिद्धांत, अगस्त काम्टे

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अगस्त काम्टे का प्रत्यक्षवाद का सिद्धांत 

pratyakshavad ka siddhant;प्रत्यक्षवाद एक वैज्ञानिक पद्धति है। जो कि चिन्तन पर आधारित है। इसका अर्थ यह हुआ कि यथार्थ जगत का ज्ञान वैज्ञानिक पद्धति द्वारा संभव है। इस तार्किक मान्यता एवं विचार का उद्भव वैज्ञानिक पद्धति द्वारा संभव है। विचारों की तार्किक मान्यता का उद्भव 17 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी तक का पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों एवं दार्शनिकों का यथार्थ जगत की घटनाओं को समझने मे प्रयुक्त बौद्धिक एवं अनुभवात्मक ज्ञान रहा है। ज्ञान आधारित सहमित इस बात की रही कि प्राकृतिक नियमों की तरह ऐतिहासिक एवं सामाजिक नियमों की व्याख्या संभव है। इस तरह प्रत्यक्षवाद प्रत्यक्ष-दर्शन के रूप मे स्थापित हुआ। आगस्त काॅम्ट ने समाजशास्त्रीय चिन्तन में प्रत्यक्षवादी दर्शन का सर्वप्रथम उपयोग सामाजिक घटनाओं के नियमों को समझने में किया है तथा समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप मे स्थापित किया, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें प्रत्यक्षवाद एवं समाजशास्त्र का जनक कहा जाता है। 

प्रत्यक्षवाद का आधार अनुभव एवं प्रयोग है। सामाजिक घटनाओं का यथार्थ ज्ञान प्रत्यक्षवाद द्वारा संभव है। घटनाओं को समझने के लिए प्रत्यक्षवाद वैज्ञानिक तरीकों यथा निरीक्षण, परीक्षण/प्रयोग तथा वर्गीकरण को महत्वपूर्ण मानता है। प्रत्यक्षवाद, सामाजिक घटनाओं की समझ के लिए वैज्ञानिक चिंतन को महत्वपूर्ण मानता है तथा उसकी धार्मिक एवं अध्यात्मिक व्याख्या को नकारता है। प्रत्यक्षवाद का उद्देश्य घटनाओं एवं तथ्यों का यथास्थिति यथार्थ प्राप्त करना है। प्रत्यक्षवाद, घटनाओं को प्रभावित करने वाले कारणों की खोज को आवश्यक नही मानता है क्योंकि इन कारणों की यथार्थ खोज करना संभव नही है। 

काम्टे का कथन है कि प्राकृतिक घटनाएं जैसे कुछ निश्चित नियमों पर आधारित होती है वैसे ही कुछ निश्चित नियम सामाजिक घटनाओं को निर्धारित करते है। सामाजिक घटनाएं आकस्मिक नही घटतीं। सामाजिक घटनाओं के घटित होने मे सामाजिक नियमों की भूमिका होती है। इन नियमों को यथार्थ रूप से समझा जा सकता है। इस तरह प्रत्यक्षवाद बौद्धिक क्रिया को महत्व देता है। स्पष्टतः प्रत्यक्षवादी पद्धति का प्रयोग बौद्धिक उन्नति प्रत्यक्षवाद से संभव है। अतः व्यक्तियों की उच्च बौद्धिकता प्रत्यक्षवादी समाज का लक्षण है। समाजशास्त्र एक विज्ञान के रूप मे प्रत्यक्षवादी दर्शन को अपनाकर ही स्थापित हुआ है।

समाजशास्त्रीय अध्ययन मे प्रत्यक्षवाद उपयोगी अवधारणा है। प्रत्यक्षवाद मानता है कि समाज कुछ निश्चित सामाजिक नियमों द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होता है, जिसका निरीक्षण परीक्षण वर्गीकरण संभव है। अतः सामाजिक घटनाओं का यथार्थ ज्ञान वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं वैज्ञानिक प्रणाली द्वारा किया जा सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण धर्मवादी दैवयी विधान तथा तत्ववादी स्वाभाविक नियम से भिन्न दृष्टि वाला होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनी कार्यप्रणाली यथा घटना के निरीक्षण, परीक्षण/प्रयोग एवं वर्गीकरण को महत्व देता है। इससे स्पष्ट है कि प्रत्यक्षवाद उपयोगितावादी विज्ञान है। यह निरीक्षण योग्य घटनाओं का अध्ययन करता है। समाज का पुनर्निर्माण इससे संभव है। मानव कल्याण के लिए यह मानव-धर्म स्वरूप है। इससे नवीन सामाजिक व्यवस्था की स्थापना की जा सकती है।

प्रत्यक्षवाद एक वैज्ञानिक मत है। इसका उद्देश्य समाज का नैतिक, बौद्धिक तथा भौतिक विकास करना है। समाज का विकास ज्ञान पर आधारित है। ज्ञान से सामाजिक संगठन सुदृढ़ होता है। इसके लिए निर्देशित शिक्षा की आवश्यकता होती है। निर्देशित शिक्षा धर्म में पाई जाती है। धर्म समाज में नैतिक नियम को विस्तारित करता है। अतः प्रत्यक्षवाद विज्ञान के रूप मे मानवता के लिए एक धर्म है। प्रत्यक्षवाद से समाज में बौद्धिक एवं नैतिक एकता बढ़ती है जिससे सामाजिक संगठन तथा प्रगति संभव होती है। काम्टे का यह प्रत्यक्षवादी धर्म मानव प्रगति के लिए विज्ञान और धर्म मे सामंजस्यता की अपेक्षा करता है। सामंजस्यता व्यक्तियों में परिश्रम करने की इच्छा शक्ति तथा परमार्थ की भावना जागृत करती है जो राष्ट्रों के बीच शांति स्थापित करने मे सहायक है।

प्रत्यक्षवाद की विशेषताएं 

प्रत्यक्षवाद की निम्न विशेषताएं है-- 

1. विज्ञान तथा धर्म का समन्वय 

काॅम्ट ने प्रत्यक्षवाद मे विज्ञान और धर्म का अच्छा समन्वय किया है। प्रत्यक्षवाद 'विज्ञान' के साथ 'धर्म' भी है। पर यह धर्म अलौकिक शक्ति से संबंधित नहीं। यह धर्म है 'मानवता के साथ धर्म'। इसी के आदर्शो पर आधारित समाज के पुनर्निर्माण की कल्पना काम्टे ने प्रस्तुत की। यह एक तरफ विज्ञान के द्वारा वास्तविक ज्ञान प्राप्त करता है और दूसरी तरफ इस ज्ञान के द्वारा बौद्धिक तथा नैतिक एकता को स्थापित करता है। ऐसी व्यवस्था मे ही मानव कल्याण संभव है। काम्टे प्रत्यक्षवाद में धर्म को इसी रूप मे सम्मिलित करते है। क्योंकि धर्म का उद्देश्य भी अंत में मानव कल्याण करना है।

2. सामाजिक पुनर्निर्माण 

काम्टे का मानना है कि, प्रत्यक्षवाद एक उपयोगितावादी विज्ञान है। प्रत्यक्षवाद के द्वारा प्राप्त यथार्थ ज्ञान का प्रयोग सामाजिक पुनर्निर्माण के लिये हो सकता है। प्रत्यक्षवाद द्वारा विकसित नए समाज में भय, असुरक्षा और स्वार्थ के स्थान पर प्रेम, सद्भावना और सहयोग का वातावरण होगा। प्रत्यक्षवाद सामाजिक पुनर्गठन में समस्त हिंसक प्रणालियों का विरोध करता है। 

3. निश्चित नियम 

प्रत्यक्षवाद इस मान्यता पर आधारित है कि सामाजिक घटनाओं का जन्म यकायक या संयोग से नही होता। प्राकृतिक घटनाओं की तरह सामाजिक घटनाएं निश्चित नियमों के अनुसार घटती है। इन नियमों को निरीक्षण, परीक्षण, वर्गीकरण तथा प्रयोग के द्वारा खोजा जा सकता है।

4. वास्तविकता 

प्रत्यक्षवाद एक वैज्ञानिक प्रयास है। इसमे धार्मिक अथवा काल्पनिक विचारों को कोई स्थान नही मिलता। यह वैज्ञानिक प्रणाली के द्वारा वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति मे विश्वास करता है।

5. वैज्ञानिक दृष्टि 

प्रत्यक्षवाद विज्ञान है। निरीक्षण, परीक्षण, वर्गीकरण और प्रयोग के आधार पर प्रत्यक्षवाद अध्ययन करता है। इसकी कार्यप्रणाली वैज्ञानिक है। इसमें वैज्ञानिक प्रणाली के सभी चरणों का प्रयोग होता है।

6. वस्तुनिष्ठता 

प्रत्यक्षवाद वस्तुनिष्ठ अध्ययन से संबंधित है। इसका सं


बंध ऐसी घटनाओं से नही होता जिनका वास्तविक रूप से निरीक्षण करना संभव नही। केवल उन्हीं घटनाओं का अध्ययन इसके द्वारा होता है जो प्रत्यक्ष योग्य हों। 

इस प्रकार प्रत्यक्षवाद चिन्तन की वह प्रणाली है जो सार्वजनिक रूप से सर्वमान्य है।

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1 टिप्पणी:
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  1. this is good explain i understand this is a very helpful so you have given knowledge i hope you will be giving knowledge of sociology

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