2/20/2021

बजटरी नियंत्रण के उद्देश्य, लाभ, सीमाएं

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बजटरी नियंत्रण के उद्देश्य (bajatari niyantran ke uddeshya)

bajatari niyantran uddeshya mahatva simaye dosh;संस्था का कार्य नियोजित ढंग से संचालित करना सी बजटरी नियंत्रण का उद्देश्य होता है इससे उपलब्ध साधनों का कुशलता व मितव्ययिता से उपयोग हो सके। बजटरी नियंत्रण के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है--

1. आय-व्यय पर नियंत्रण 

प्रबंधक अपने लक्ष्य मे तभी सफल हो सकेंगे जब सभी कार्य योजनानुसार हो। बजट नियंत्रण के माध्यम से प्रबंधक आय-व्यय पर नियंत्रण रख सकते है।

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2. नीति निर्धारण मे सहायता 

निर्धारित प्रमापों से प्राप्त परिणामों की तुलना कर बजट नियंत्रण के द्वारा भावी नीतियों का निर्धारण किया जा सकता है। 

3. कार्यकुशलता

बजट के आधार पर किसी भी व्यवसाय की योजना बनाना ही काफी नही है, बल्कि समस्त कार्य मे सफलता तभी प्राप्त होगी जब योजनानुसार कार्य सम्पन्न किया जाये इसके लिए जरूरी है कि नियोजन पर नियंत्रण रखना। उत्पादन कार्य को कुशलता से सम्पादित करने मे बजटरी नियंत्रण का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

4. अन्य व्यय पर नियंत्रण 

व्यवसाय की सभी क्रियाओं को योजानानुसार सम्पन्न करने के लिए यह जरूरी है कि आय एवं व्यय पर नियंत्रण रखा जाये और यह बजटरी नियंत्रण द्वारा मुमकिन है।

5. श्रम पर नियंत्रण 

बजटरी नियंत्रण द्वारा श्रम पर नियंत्रण रखना सरल हो जाता है क्योंकि बजट मे पिछले वर्ष के बजटेड एवं वास्तविक आंकड़े एवं चालू वर्ष के आंकड़े भी उपलब्ध रहते है। इस कारण यदि चालू वर्ष मे श्रम का अपव्यय हो रहो है तो उस पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है। 

6. लागत नियंत्रण 

बजट मे उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर लागत पर नियंत्रण आसान हो जाता है। क्योंकि यदि चालू वर्ष मे उत्पादन के दौरान कही अपव्यय हो रहा है तो उसकी तुलना पिछले वर्ष के आंकड़ों के आधार पर करके उस पर नियंत्रण किया जा सकता है।

7. व्ययों का वर्गीकरण 

बजट के व्ययों का वर्गीकरण प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष, स्थायी आदि आधारों पर किया जाता है। जब लाभ की गणना की जाती है तो व्ययों के वर्गीकरण की जानकारी होना अत्यन्त ही जरूरी है बजटरी नियंत्रण द्वारा व्ययों के वर्गीकरण की जानकारी समय-समय पर प्रबन्धकों को प्राप्त होती रहती है।

8. प्रशासन मे सहायता 

बजट को दृष्टिगत रखते हुए ही प्रशासक अपने कार्यों को पूरा करते है एवं बजटरी नियंत्रण के कारण ही संस्था के समस्त क्रियाकलाप प्रशासक के सामने होते है। इस प्रकार बजटरी नियंत्रण प्रशासन की सहायता करता है। 

9. मितव्ययिता 

प्रबंध विभिन्न प्रकार के बजट बनाकर व्ययों की जरूरी मात्रा निर्धारित कर लेते है। यदि व्यय निर्धारित मात्रा से ज्यादा होने लगे तो उन पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है। यह कार्य बजट नियंत्रण द्वारा आसानी से किया जा सकता है। इस तरह व्ययों मे मितव्ययिता भी बजट नियंत्रण का उद्देश्य होता है। 

10. वित्तीय साधनो की व्यवस्था 

वास्तव मे बजट बनाने के द्वारा ही यह अनुमान लागाया जाता है कि उत्पादन आदि कार्यों मे वित्तीय साधनों की कितनी आवश्यकता होगी एवं उसी के अनुरूप प्रशासक धन की व्यवस्था मे लगा रहता है। क्योंकि वित्तीय साधनों के उत्पादन संबंधी कार्यों का पूर्ण करना मुमकिन नही है।

बजटरी नियंत्रण के लाभ/महत्व (bajatari niyantran ka mahatva)

किसी भी व्यावसायिक उपक्रम मे विभिन्न प्रकार के व्ययों पर नियंत्रण स्थापित करने मे उचित प्रकार से तैयार किया गया बजट महत्वपूर्ण कार्य करता है। बजट नियंत्रण से प्रत्येक कर्मचारी के अधिकार और कर्तव्य का निर्धारण करने मे प्रबंधक को सरलता होती है। बजटरी नियंत्रण से प्रबंध के सभी विभागों की कार्यक्षमता ज्ञात हो जाती है। बड़ी मात्रा मे उत्पादन के कारण दिन-प्रतिदिन बढ़ती हुई जटिलता के कारण बजटरी नियंत्रण के महत्व मे वृद्धि हो गयी है। बजटरी नियंत्रण के माध्यम से प्रबंधकों को संचालन कार्य पूर्ण क्षमता से करना पड़ता है, और उसके परिणामस्वरूप उपक्रम पूर्ण गति से विकसित होता है। बजटरी नियंत्रण के लाभ इस प्रकार है--

1. प्रभापूर्ण नियंत्रण 

बजट द्वारा व्यवसाय के संचालन पर प्रभावपूर्ण नियंत्रण रखा सकता है। बजटरी नियंत्रण के अंतर्गत व्यवसाय के प्रत्येक अंग हेतु बजट बना लिये जाते है तथा इनकी सफलता इन बजट मानों की प्राप्ति के अनुसार निश्चित की जाती है। नियोजित तथा वास्तविक प्रगति मे अंतर आने पर दूर करने की कार्यवाही भी समय रहते की जा सकती है।

2. मूल्य निर्धारिण मे सहायता 

बजट बनाने से संस्था को अपनी निर्मित वस्तुओं के मूल्य पहले से तय करने मे आसानी होती है। इससे उत्पादन लागत मे से उपरिव्ययों को आसानी से वसूल किया जा सकता है।

3. उत्पादन क्रियाओं का पूर्व नियोजन 

उत्पादन क्रियाओं का पहले से यदि बजट बना लिया जाये तो उत्पादन स्तर को बनाने मे मदद मिलती है। इससे मशीन एवं अन्य सजो-समान का ढंग से उपयोग किया जा सकता है। बजटरी नियंत्रण के द्वारा उत्पादन क्रियाओं का पूर्ण नियोजन किया जा सकता है एवं उन पर नियंत्रण भी रखा जा सकता है।

4. सफलता या असफलता की जानकारी 

प्रबंधक पूर्व नियोजन करके संस्था के लक्ष्य पहले से ही निर्धारित कर लेते है। योजनाओं को लागू करने के बाद वास्तविक परिणामों की पूर्व परिणामों से तुलना कर सफलता या असफलता की जानकारी प्राप्त की जाती है। इस तरह बजटरी नियंत्रण से किसी योजना की सफलता अथवा असफलता का मूल्यांकन होता है।

5. मितव्ययिता 

बजट बनाते समय इस बात का पूर्ण ध्यान रखा जाता है कि हर मद पर कम से कम से व्यय हो। अगर वास्तविक व्यय पूर्व निर्धारित व्ययों से ज्यादा होते है तो पूर्व स्वीकृति लेनी पड़ती है। इस प्रकार बजटरी नियंत्रण से मिव्ययिता आती है।

6. अधिकार तथा उत्तरदायित्वों की स्पष्ट व्याख्या 

बजटरी नियंत्रण के अंतर्गत सभी अधिकारी तथा कर्मचारी के अधिकारों और उत्तरदायित्वों की शुरू मे ही स्पष्ट व्याख्या कर दी जाती है। फलस्वरूप सभी को बार-बार निर्देश देने की आवश्यकता नही होती तथा समय की बचत होती है।

7.  सम्भावित कठिनाइयों पर पूर्व विचार 

उत्पादन करते समय कौन-कौन सी कठिनाईयां तथा समस्याएं आ सकती है, इस पर बजट बानते समय ही विचार कर लिया जाता है एवं उनका हल भी ढूंढ लिया जाता है। फलस्वरूप बाद मे उत्पादन निर्बाध गति से चलता रहता है।

8. सभी साधनों का विवेकपूर्ण उपयोग 

बजटीरी नियंत्रण के कारण किसी भी उपक्रम के विभिन्न विभाग एवं उनके अध्यक्ष अपने-अपने विभागों के सभी साधनों का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग करते है तथा इससे उत्पादन मे वृद्धि होती है।

9. सन्तुलित निर्णय 

बजटरी नियंत्रण मे सभी कार्य पहले से बनायी गई बजट योजना के अनुसार ही किया जाता है। सभी कार्य सोच-समझकर ही किये जाते है अर्थात् इसमे निर्णय संतुलित रहते है। 

10. दोषी अधिकारियों को ढूंढने मे आसानी 

बजट नियंत्रण की प्रणाली लागू करने से दोषों तथा अकुशल अधिकारियों को आसानी से ढूंढा जा सकता है।

11. लागत नियंत्रण 

बजटरी नियंत्रण की प्रणाली लागू करने से लागत नही बढ़ने पाती और उस नियंत्रण रहता है।

बजटरी नियंत्रण की सीमाएं/दोष (bajatari niyantran ki simaye)

बजटरी नियंत्रण के कई लाभ है और इससे इसकी आवश्यकताओं को बल मिलता है, लेकिन इसकी कुछ सीमायें भी है। बजटरी नियंत्रण निम्न सीमाएं है--

1. सुस्पष्ट तथ्यों पर ही ध्यान केन्द्रित

बजट निर्माण मे साधारणतया जो तथ्य होते है उन्ही के ऊपर ध्यान केन्द्रित किया जाता है, जबकि अस्पष्ट तथ्यों की और ध्यान नही जा पाता है। इस कारण वास्तविक कार्य के समय जब ये तथ्य समाने आते है तो बहुत हानि उठानी पड़ती है या साधनों की अपर्याप्तता से कार्य अधूरे रह जाते है। 

2. खर्च की न्यूनतम सीमा 

बजट के आय एवं व्यय की सीमा दी रहती है तब बजट का उपयोग करने वाले यह मान लेते है कि बजट की सीमा तक तो खर्च करना ही है। इस कारण अनेक बार अनावश्यक खर्च कर दिया जाता है? 

3. समय का प्रभाव 

किसी भी व्यावसायिक उपक्रम का पूर्ण तथा उत्तम बजट निर्माण करने मे काफी समत लगता है तथा इस प्रकार इसके लगने वाले समय की अवधि मे अनेक परिवर्तन हो जाते है जिससे बजट की शुद्धता का स्तर बनाये रखना कठिन हो जाता है। 

4. नियंत्रण एवं प्रशासकीय कठिनाइयां 

बजटरी नियंत्रण विधि मे नियंत्रण करने तथा प्रशासन से संबंधित अनेक कठिनाइयां आती है। यदि इनका निदान न किया जाये तो बजटरी नियंत्रण विधि असफल हो जायेगी।

5. सहयोग पर निर्भर 

बजटरी नियंत्रण की सफलता के लिये यह आवश्यक है कि प्रबन्धकों मे आपस मे सहयोग हो तथा शीर्ष प्रबंध की बजट मे निष्ठा हो। प्रायः यह देखा गया है कि अधिकांश बजट इसलिए विफल होते है कि उनको शीर्ष प्रबंध का पर्याप्त सहयोग नही मिल पाता है।

6. बजट प्रबंध का एक साधन मात्र है 

प्रबंध का बजट एक साधन मात्र है न कि स्थानापन्न। किसी भी व्यवसाय की सफलता के लिए अनेक बाते आवश्यक होती है। जो लोग केवल बजट को ही प्रबंधकीय सफलता की कुन्जी मानते है वे वास्तव मे अन्य तथ्यों को जो कि प्रबन्धकीय सफलता के आवश्यक अंग है जैसे-- व्यक्तिगत निर्णय, कार्यकारी की कुशलता को भूलकर व्यवसाय को खतरे की ओर ले जाते है।

7. बजट की लोचता 

बजट अनुमानों के समय-समय पर परिस्थितियों के अनुसार बार-बार परिवर्तन करना पड़ता है। वर्तमान समय मे परिस्थितियां तेजी से परिवर्तित होती रहती है एवं बजट भी व्ययों के भावी अनुमान पर निर्भर रहते है।

8. आन्तरिक संघर्ष 

बजटरी प्रणाली के कारण उपक्रम मे अनेक आन्तरिक संघर्ष, प्रतिस्पर्धा तथा अनुचित दबावों को जन्म मिलत है। उपक्रम के बजट मे प्रत्येक अधिकारी अपने विभाग के लिए अधिकतम सुविधायें प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। इससे अवांछनीय प्रतिस्पर्धा का जन्म होता है।

9. अकुशलता छिपाने का प्रयास 

जब बजटरी आंकड़े और वास्तविक आंकड़ों मे अधिक अंतर आने लगता है तब प्रबंधक अन्तरों को छिपाने का प्रयास करता है। इस प्रकार की प्रवृत्ति व्यवसाय के लिए हानिकारक रहती है।

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