खिलाफत आन्दोलन क्या था?
khilafat aandolan kya tha in hindi;प्रथम विश्व युद्ध मे जब तर्की ने जर्मनी और उसके सहयोगियों को सहयोग दिया तो खिलाफत का भारत मे 1913-15 मे प्रश्न उठा।
प्रथम विश्व युद्ध मे इंग्लैंड जर्मनी के खिलाफ लड़ रहा था और टर्की उसके शत्रु का साथ दे रहा था परन्तु भारत मे मुस्लिम सहयोग पाने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने घोषणा की थी कि टर्की की अखण्डता और पवित्र स्थलो की रक्षा की जायेगी। अतः भारतीय मुसलमानों ने इस शर्त पर युद्ध मे सहायता कि की युद्ध के बाद टर्की को हानि न पहुंचाई जाए। मुसलमानों की धार्मिक निष्ठा टर्की के खलीफा के प्रति होने से प्रथम विश्व युद्ध के समय उन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया परन्तु युद्ध समाप्ति के बाद इंग्लैंड ने अपने वचन का पालन नही किया। इंग्लैंड और मित्र राज्यों ने टर्की पर अपमानजनक संधि और शर्ते शोप दी। जिससे भारतीय मुसलमानों को चोट पहुंची।
भारतीय मुसलमानों मे प्रथम बार अंग्रेज विरोधी भावना एवं मुस्लिम चेतना खिलाफत आंदोलन मे दृष्टिगोचर हुई। इससे पहले भारतीय मुसलमान अंग्रेजों के अनन्य भक्त बने हुए थे। खिलाफत आंदोलन का स्वरूप धार्मिक अधिक था।
भारतीय मुसलमान तुर्की के सुल्तान को अपना धर्मगुरू "खलीफा" मानते थे। मुगल सम्राटो के समय गजनी के सुल्तान को "खलीफा" माना जाता था। पर गजनी का साम्राज्य नष्ट होने से तुर्की का सुल्तान ही भारतीय मुसलमानों का धार्मिक नेता बन गया था।
खिलाफत आंदोलन की मांगे
खिलाफत आंदोलन की तीन मांगे थे--
1. तुर्की के सुल्तान को खलीफा बनाए रखा जाए।
2. जाजीर-तुल-अरब नामक इस्लाम के धार्मिक केन्द्र को मुस्लिम शासन के अंतर्गत ही रखा जाए।
3. तुर्की की अखंडता को नष्ट नही किया जाए।
महात्मा गांधी समझते थे कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हिन्दू मुस्लिम एकता आवश्यक है। उन्होंने इस अवसर को हिन्दू मुस्लिम एकता के लिए सुनहरा अवसर समझा और भारतीय मुसलमानों की ओर से टर्की के खलीफा की खिलाफत की रक्षा के लिए आंदोलन को समर्थन दिया। 1919 के कांग्रेस अधिवेशन मे गांधी जी ने माउण्ड फोर्ड सुधारों का समर्थन किया था, किन्तु एक बर्ष के अंदर उनके विचारों मे पूर्ण परिवर्तन हो गया था और उन्होंने भारतीय सरकार के विरुद्ध असहयोग आंदोलन चलाने की उद्घोषणा की।
इसका कारण बताते हुए उन्होंने स्वयं 1922 मे ब्लमफील्ड न्यायालय मे कहा था, इस संबंध मे मुझे पहला धक्का रौलेट एक्ट के रूप मे लगा। उसके पश्चात हुअ पंजाब का भयानक नरसंहार। साथ ही खिलाफत के संबंध मे सरकार ने भारत के मुसलमानों को धोखा दिया और अपने वचन नही निभाए।
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