10/13/2020

सम्राट अशोक को महान क्यों कहा जाता है? अशोक की उपलब्धियां

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अशोक को महान क्यों कहते हैं?/अशोक को महान क्यों कहा जाता है?

अशोक के नामों का उल्लेख मिलता है- पुराणों मे अशोकवर्धन, अभिलेखों मे पियदस्सी या प्रियदर्शी तथा मास्की लेख मे " अशोक " कहा गया है।

अशोक के पिता बिन्दुसार की मृत्यु लगभग 269 ई. पूर्व मे हुई थी। उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र अशोक वर्धन मौर्य साम्राज्य का शासक बना। डाॅ. मजूमदार ने लिखा है- " प्रत्येक काल या देश मे ऐसे सम्राट पैदा नही होते। सम्राट अशोक की तुलना मे अब तक विश्व के किसी सम्राट को नही रखा जा सकता।" सम्राट अशोक ने लगभग 36 वर्षों तक शासन किया और अपने कार्यों से उसने संसार भर को आश्चर्य चकित कर दिया। 

अशोक न केवल भारत वरन् विश्व के महान् सम्राटों मे से एक था। वह महान् क्यों कहलता है? क्योंकि जिन महान् सम्राटों से आशोक की तुलना की जाती है,वह उन सब मे अद्वितीय था। एलिसन के अनुसार," अशोक की तुलना रोमन सम्राट ओरलियस और कान्सटेन्टाइन तथा ईसाई धर्म के प्रचारकों से की जाती है। अपने दर्शन पवित्रता मे वह मार्कस ओरलियस की याद दिलाता है। साम्राज्य विस्तार मे, और कुछ अंशो मे, अपनी शासन पद्धति मे वह शार्लमेन की तरह था। मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेख भद्दे, असम्बद्ध तथा पुनार्वत्ति से पूर्ण है। परन्तु शिष्टाचार मे वे बड़े है। उसकी तुलना खलीफा उमर तथा सम्राट अकबर से की जाती है। अशोक एक महान विजेता भी था।

मौर्य सम्राट अशोक की महानता या उपलब्धियां 

अनेक भारतीय और विदेशी इतिहासकारों ने अशोक को महान् बताया है जिसके कारण इस प्रकार है--

1. अशोक के आर्दश 

अशोक के आर्दश भी उसकी महानता के कारण थे। कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने युद्ध घोष के स्थान पर धर्म-घोष, मनोरंजन या शिकार यात्रा की जहग पर, धर्म-यात्रा को अपनाया। विलासिता को छोड़कर उसने जन सेवा के आर्दश को अपनाया। मांस-भक्षण के स्थान पर शाकाहारी भोजन अपनाया। चाहे विचार हो या आचार सबसे बड़े आर्दश की बात यह है कि अशोक ने पहले खुद आचरण और इनका पालन किया इसके बाद दूसरों को करने को कहा।

2. महान विजेता 

अशोक एक महान विजेता था, कालिंग युद्ध मे उसने यह सिद्ध कर दिया। अशोक वीर, साहसी और युद्ध कुशल व्यक्ति था। हाॅलाकी कलिंग युद्ध के बाद उसने विजय और साम्राज्य विस्तार की नीति छोड़ दी थी। लेकिन उसकी विजय का प्रभाव और वीरता की छाप तथा सैनिकों का भय इतना था कि चोर, डाकू, विदेशी आक्रमणकारी ने उसके काल मे कभी आक्रमण या विद्रोह की बात तक नही सोची। इस प्रकार अशोक की वीरता उसकी महानता का एक महत्वपूर्ण कारण थी।

3. महान शासक 

अशोक एक महान शासक था, अशोक की गणना महान शासकों मे की जाती है। उसके राज्य मे प्रजा सुखी थी। उसने अपनी शक्ति का प्रयोग साम्राज्य विस्तार के स्थान पर प्रजा की भलाई मे किया। उसने प्रजा के नैतिक स्तर को बढ़ाया। इस प्रकार वह शासक के रूप मे भी महान था।

4. बौद्ध धर्म को विश्व धर्म बनाया

अशोक तृतीय बौद्ध संगति का आयोजन कर उसने बौद्धों के धार्मिक मतभेदों को दूर करवाकर योजनापूर्वक बौद्धों के धर्मप्रचारक भारत और विदेशो मे भेजे। उसने धर्म प्रचार का कार्य बाहुबल से नही बल्कि आत्मबल्ब और शांतिपूर्वक प्रेम तथा सद्भावना द्वारा किया। अशोक के प्रयासों से बौद्ध धर्म दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया और चीन, जापान तक पहुँचा। इस प्रकार  बौद्ध धर्म को उसने अन्तर्राष्ट्रिय धर्म बनाया।

5. स्थापत्य कला एवं चित्रकलाओं का संरक्षक 

अशोक मात्र एक विजेता शासक या धार्मिक व्यक्ति ही नही था, वरन् वह स्थापत्यकला और चित्रकला का संरक्षक भी था। उसने स्थापत्य के क्षेत्र मे भवन, मंदिर, स्तूप, शिलालेखों, अभिलेखों, दीवार चित्रों और मूर्तियों का निर्माण करवाया। इससे शिल्पियों, वस्तुकारों को जहाँ प्रोत्साहन मिला वही कलाओं से जनता मे नैतिकता जगाने के लिये उपयोग किया। इस प्रकार वह और भी अधिक महान सिद्ध होता है।

6. मानवता

अशोक के प्रत्येक विचार और आचरण मे, राज्य की नीतियों मे, देश विदेश मे भेजे अनुदानों मे और शिलालेखों की प्रत्येक पंक्ति और उसके अर्थ और भावना मे मानवता एवं प्राणीमात्र का हित सर्वोपरि था। अशोक स्वयं, उसके अधिकारी, न्याय, राज्य का धन, सेना आदि सभी इसी मानवता के प्रति समर्पित थे।

अशोक भारतीय इतिहास के महानत्म व्यक्तियों मे से एक था। वह चन्द्रगुप्त जैसा शक्तिशाली, समुद्रगुप्त जैसा बहुमुखी प्रतिभा वाला और अकबर जैसा धर्म प्रेमी था। वह श्रम से थकता नही था। वह प्रजा-कल्याण मे रूचि करता था। वह अपनी प्रजा को संतान मानता था। मौर्य सम्राट अशोक के आर्दश, धर्म, लोकहित, लोकसेवा तथा धम्म की सम्पूर्ण विशेषताओं के साथ-साथ उसकी विजय, उसका शासन और कला प्रेम आदि सभी कुछ महान था। इसलिए मौर्य सम्राट अशोक को सभी शासकों मे महान कहा जाता है।

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