मौर्य सम्राट की मृत्यु (232 ई. पूर्व) के बाद से ही लगभग 45 वर्षों मे ही मौर्य सम्राज्य का शीघ्र पतन होना प्रारंभ हो गया था। चाणक्य जैसे कुटनीतिज्ञ ने जिस सम्राज्य की नींव डाली थी और जिसे चद्रंगुप्त और अशोक जैसे महान सम्राट मिले थे उस सम्राज्य का पतन इतनी शीघ्रता है होना बाकई मे हमे आश्चर्य मे डाल देता है।
मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण (morya samrajya ke patan ke karan)
मौर्य सम्राज्य के पतन के कारण इस प्रकार है--
1. ब्राह्मणों के प्रति अशोक की नीति
अशोक के सुधारों और धार्मिक विश्वासों ने ब्राह्मणों को आघात पहुंचाया था। अशोक की मृत्यु के बाद ब्राह्मणों ने मौर्यवंश का जमकर विरोध किया और यह विरोध मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण बन गया। हाॅलाकी अशोक ने जिन नैतिक, आध्यात्मिक, आदर्शो का प्रचार किया वे वैदिक धर्म के विरोधी नही थे और न ही अहिंसा का सिद्धांत वैदिक धर्म की मान्यताओं के नितान्त प्रतिकूल था। उनका प्रतिपादन उपनिषदों मे किया जा चुका था। अशोक ब्राह्मणों का मित्र बना रहा और सामान्य रूप से ब्राह्मण अशोक की नीतियों से अप्रसन्न नही थे। मौर्य सम्राट ने ब्राह्मण पुष्यमित्र को अपना सेनापति बनाया था। वास्तविकता यह है कि मौर्य सम्राज्य का उत्तराधिकारी वृहद्रथ आयोग्य था और उसकी अयोग्यता व निकम्मेपन से मौर्य सम्राज्य की सुरक्षा खतरे मे थी इसलिए सेनापति होने के नाते पुष्यमित्र ने सम्राज्य के हित मे मौर्य सम्राज्य के अंतिम सम्राट वृहद्रथ का वध कर शासन की बागडोर अपने हाथ मे ले ली।
2. सम्राज्य की विशालता
मौर्य सम्राज्य काफी विशाल था। पर्याप्त संसाधनों के अभावे इतने बड़े सम्राज्य का संचालन केन्द्र से चलाना संभव नही था। सुदूर प्रांतों के अधिकारी प्रायः स्वतंत्र शासकों की तरह व्यवहार करने लगते थे। उन्हे अपने वश मे रखना दुर्बल शासको के वश की बात नही थी।
3. प्रान्तीय शासकों के अत्याचार
प्रान्तीय शासकों के अत्याचार भी मौर्य सम्राज्य के पतन का कारण बना। उनके अत्याचारों व उत्पीड़न की वजह से जन-विद्रोह होने लगे। स्थानीय स्वायत्तता की भावना; दूरस्थ प्रांतों के साथ आवागमन की कठिनाई, जन-विद्रोह, राजमहलों के कुचक्र और पदाधिकारियों के विश्वासघात ने केन्द्रीय शक्ति को कमजोर बना दिया था।
4. अशोक द्वारा युद्ध त्याग कर अहिंसा की नीति अपनाना
अशोक ने युद्ध त्याग कर उदारता, दया और सहिष्णुता को शासन करना अपने साम्राज्य का आधार बनाया। उसने सैनिक अभियानो व शक्ति प्रयोग के स्थान पर राज्य की सारी शक्ति लोक हित, धर्म व नैतिक उत्थान मे लगा दी। इस प्रकार अशोक सैनिक दृष्टि से दुबर्ल हो गया। डाॅ. राय चौधरी के अनुसार " अशोक की युद्ध त्याग और शांति की नीति के कारण अशोक ने सम्राज्य की सैनिक आवश्यकताओं की ओर ध्यान देना बन्द कर दिया और सैनिकों को उसके शासन के अंत तक युद्ध करने का अवसर नही मिला। इसका परिणाम यह हुआ कि सैनिकों का रणकौशल समाप्त होता गया।
5. राजधानी का केन्द्र मे न होना
मौर्य सम्राज्य की राजधानी पाटिलपुत्र केन्द्र मे नही थी। इस कारण राजधानी से दूर के इलाकों मे अक्सर विद्रोह होते रहते थे। पाटिलपुत्र से दूर के इलाकों तक शासन नियंत्रण करना कठिन था।
6. राजसी परिवार मे फूट और षड्यंत्र
मौर्य राजसी परिवार मे बहु-विवाह प्रथा होने से अनेक रानियाँ और उनके पुत्र होते थे। इन पुत्रों मे एक-दूसरे के विरूद्ध षड्यंत्र और भीतरघात से मौर्य सम्राज्य को बहुत हानि पहुंची सम्राज्य की स्थिरता को खतरा बढ़ता गया और धीरे-धीरे वह पतन की ओर बढ़ता गया।
7. परवर्ती मौर्य सम्राटों की अयोग्यता
परवर्ती मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त और अशोक सम्राट जैस योग्य नही थे। मौर्य साम्राज्य के अशोक के बाद के उत्तराधिकारी अयोग्य थे।
8. धर्म निरपेक्षता का अभाव
अशोक ने केवल बौद्ध धर्म का पक्ष लिया। इससे भारत के अनेक धर्मों के लोग मौर्य वंशीय शासकों के शत्रु बन गये। अशोक की मृत्यु के बाद से ही उन्होंने विद्रोह किये और मौर्य शासको के शत्रुओं का पक्ष लिया
9. राष्ट्रीय भावना की कमी
प्रो. रोमिला थापर के अनुसार, प्रशासनिक संगठन और राष्ट्रीय भावना के अभाव के कारण मौर्य सम्राज्य का पतन हुआ।
10. अशोक के अयोग्य उत्तराधिकारी
अशोक के बाद उसके उत्तराधिकारियों मे से कोई योग्य नही था। उसकी मृत्यु के बाद कुणाल तथा दशरथ ने क्रमशः शासन किया था। दशरथ के उपरांत संप्रति ने मगध का शासन भार संभाला। 207 ई. पूर्व मे उसकी मृत्यु के बाद " शलिशुक " राजा बना। वह अत्यंत क्रूर था। उसके बाद देव वर्मन तथा शत धनषु ने मगध के सिंहासन को संभाला। अंत मे वृहद्रथ मौर्य वंश का अंतिम शासक बना जिसकी अयोग्यता का लाभ उठाकर उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने उसका वध कर शासन की बागडोर अपने हाथों मे ले ली।
मौर्य सम्राज्य के पतन का तात्कालिक कारण
मौर्य सम्राज्य के पतन का तात्कालिक कारण अंतिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की दुर्बलता, निरन्तर होने वाले दरबारी कुचक्र, साम्राज्य मे फूट, यूनानियों के आक्रमण थे।
जब मौर्य साम्राज्य के सेनापत पुष्यमित्र ने देखा कि सम्राट के जीवित रहते देशे की बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा मुश्किल है तब उसने सम्राट का वध कर साम्राज्य की बागडोर अपने हाथे ले ली। आगे उसने यूनानियों को परास्त कर देश की रक्षा की तथा एक बार पुनः आन्तरिक प्रशासन को सुदृढ़ बनाकर उसने नये राज्य की स्थापना कर, अपने कार्य के औचित्य को सिध्द कर दिया।
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Ek baat btaaye ki uthan or Patton m Kya antr h
जवाब देंहटाएंउत्थान का अर्थ जन्म या उदय होने से हैं और पतन का अर्थ समाप्त या अंत होने से हैं।
हटाएंचाणक्य मनु का आदमी था ना की मौर्य का
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