8/26/2020

स्वर्ण जयंती रोजगार योजना क्या है?

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स्वर्ण जयंती शहरी एवं ग्रामीण रोजगार योजना 

swarn jayanti rojgar yojna in hindi;मानवशक्ति के अधिक्य का उचित नियोजन करने एवं राष्ट्रीय संसाधनों का उत्पादक उपयोग करने हेतु भारत सरकार ने कई स्वरोजगार योजनाओं का क्रियान्वयन किया है, जिनमे से एक प्रमुख स्वर्ग जयंती रोजगार योजना है।
गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले गरीब लोगों को उधम स्थापना के लिए ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह योजना संचालित की जा रही है। भारत की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती (1997) के अवसर पर देश के शहरी एवं ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार प्रदान करने के लिये दो योजनाएं लागू की गई। इनका विवरण निम्न प्रकार है--

स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना 

देश के सभी शहरों, अर्द्ध-शहरों मे स्वर्ण शहरी रोजगार योजना 1 दिसम्बर 1997 से लागू की गई है। इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों मे पहले से कार्यन्वित की जा रही तीन योजनाओं-नेहरू रोजगार योजना (NRY), निर्धनों के लिए शहरी बुनियादी सेवाएं तथा प्रधानमंत्री को समन्वित शहरी गरीब उन्मूलन योजना को इसी नई योजना मे शामिल कर दिया गया है। बैंक ऋण वाले इसके अन्य उपायों मे दो उप-योजनाएं है- शहरी स्वरोजगार कार्मक्रम तथा शहरी क्षेत्रों मे महिला एवं बाल विकास की योजना। इसमे कम से कम 30% महिलाओं, 3% विकलांगो तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति की औसतन संख्या के बराबर, इस वर्ग के लोगों को मदद देना अनिवार्य है। इस योजना के अन्तर्गत 75% अनुदान केन्द्र सरकार तथा 25% राज्य सरकारे देती है। इस योजना की मुख्य बाते निम्म प्रकार से है--
योजना का उद्देश्य
नई प्रारंभ की गई स्वर्ग जयंती रोजगार योजना का उद्देश्य शहरी निर्धनों को स्वरोजगार उपक्रम स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना तथा सवेतन रोजगार सृजन हेतु उत्पाद सम्पत्तियों का निर्माण करना है।
ऋण सीमा
व्यक्तिगत मामले मे इस योजना के अन्तर्गत 5000 रूपये की परियोजना के लिए ऋण मिल सकता है। अगर दो या दो से ज्यादा व्यक्ति मिलकर आवेदन करते है, तो 50,000 रूपये से ज्यादा लागत वाली परियोजना पर भी विचार किया जा सकता है, बशर्ते हर व्यक्ति का अंश 5,000 रूपये अथवा इससे कम हो।
अनुदान
कुल परियोजना लागत का 15% अथवा 7500 रूपये अधिकतम (इनमे जो अधिकतम हो) साझेदारी की स्थिति मे हर लाभार्थी को उपरोक्त अनुसार अनुदान का लाभ मिलेगा।
योजना की वित्त व्यवस्था
स्वर्ग जयंती शहरी रोजगार योजना के लिए धन की व्यवस्था केंद्र तथा राज्यों के मध्य 75/25 के अनुपात मे की गई है। यानि 75% केंद्र और 25% राज्य सरकार।
आवेदक द्वारा लगाई जाने वाली मर्जिन मनी
हर लाभार्थी को परियोजना लागत का 5% मर्जिन मनी नगद धन के रूप मे लगानी होगी।
मार्गदर्शक/ आवेदन-पत्र प्राप्ति तथा जमा करने का सम्पूर्ण पता
इस योजना के अन्तर्गत ऋण के लिए आवेदन तथा अन्य जानकारी प्राप्त करने हेतु क्षेत्र की नगरपालिका अथवा नगर पंचायत से सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है।
जाति
यह योजना सभी वर्ग के आवेदकों के लिए खुली है।
योजना हेतु योग्यता (पात्रता)
1. आवेदक की आयु 18 से 45 वर्ष हो।
2. शैक्षिणिक योग्यता 9 वीं पास।
3. आवेदक शहरी गरीबी रेखा सर्वे मे चयनित हो।
4. अभ्यर्थी किसी बैंक, वित्तीय संस्था का दोषी न हो।
5. अभ्यर्थी कम से कम 3 बर्ष से उस शहर मे रह रहा हो, जहाँ ऋण के लिए आवेदन किया जा रहा हो।
6. निर्धारित आवेदन पत्र, फोटो, आय प्रमाण-पत्र, जाति, निवासी प्रमाण-पत्र आदि लगाने पड़ते है।
बैंक को दी जाने वाली गारंटी
ऋणी को कोई समर्थक गारंटी की जरूरत नही होती है। कार्यक्रम के अन्तर्गत सृजित परिसम्पत्तियाँ बैंको को अग्रिम ऋण देने हेतु बन्धक रखी जायेंगी।
ऋण पूर्ण भुगतात
स्वीकृति ऋण धनराशि 3 बर्ष से 7 वर्ष के बीच चुकानी होगी, लेकिन यह विलम्बन अवधि 6 माह से 18 माह के बाद लागू होगी।

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना 

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना गाँवो मे रहने वाले गरीबों के लिए स्वरोजगार की एक अकेली योजना 1 अप्रैल, 1999 को प्रारंभ की गई। इस योजना के पूर्व से चल रही निम्नांकित 6 योजनाओं का विलय किया गया--
1. समन्वित ग्राम विकास कार्यक्रम
2. स्वरोजगार के लिए ग्रामीण युवाओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम
3. ग्रामीण दस्तकारों को उन्नत औजारों की किट की आपूर्ति का कार्यक्रम
4. ग्रामीण क्षेत्र मे महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम
5. गंगा कल्याण योजना ता
6. दस लाख कुआँ योजना
अब उपर्युक्त कार्यक्रम अलग से नही चल रहे है। इस योजना से पहले के स्वरोजगार कार्मक्रमों की शक्तियों और कमजोरियों को ध्यान मे रखकर सुधार किया गया है--
उद्देश्य 
इस योजना का उद्देश्य सहायता प्राप्त परिवार को 3 वर्ष की अविधि मे गरीबी रेखा से ऊपर उठान है। कम-से कम 50% अनु.जाति/जनजाति, 40% महिलाओं तथा 3% विकलांगो को योजना का लक्ष्य बनाया गया है। आगामी 5 वर्षों मे प्रत्येक विकास खण्ड मे रहने वाली ग्रामीण गरीबों मे से 30% को इस योजना के क्षेत्र मे लाने का प्रस्ताव है।

धनराशि
योजना मे दी जाने वाली धनराशि केन्द्र सरकार 75% और राज्य सरकार 25% के अनुपात मे विभाजित करेगी।
स्वरूप
यह योजना एक ऋण एवं अनुदान योजना है, जिसमे ऋण एक प्रमुख तथ्य है। जबकि अनुदान केवल एक समर्थनकारी तत्व है। सब्सिडी परियोजना लागत के 30% की एक समान दर होगी, किन्तु इसकी अधिकतम सीमा 7500 रूपये होगी।
अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए यह सीमा 50% या 10,000 रूपये होगी। आत्मनिर्भर समूहों के लिए अनुदान परियोजना लागत का 50% लेकिन अधिकतम 1.25 लाख रूपये होगा। सिंचाई परियोजनाओं के लिए अनुदान की कोई वित्तीय सीमा नही है।
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