लौकिकीकरण
भारत मे सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाओं को अभिव्यक्त प्रदान करने मे लौकिकीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। इसका कारण यह कि भारत आदिकाल से ही धर्म प्राण देश रहा है तथा भारत की जनता धर्मभीरु रही हैं। भारत मे यद्यपि धर्मनिरपेक्षीकरण का प्रारंभ पश्चिमीकरण के साथ ही प्रारंभ हो गया था,किन्तु इसे गति प्रदान करने मे भारतीय स्वतंत्रता एवं प्रजातन्त्रीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। आज हम लौकिकीकरण किसे कहते है? लौकिकीकरण का अर्थ, लौकिकीकरण की परिभाषा और लौकिकीकरण की विशेषताएं जानेगें।लौकिकीकरण का अर्थ
लौकिकीकरण, जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है, वह प्रक्रिया जिसके माध्यम से सर्वधर्म-समभाव की भावना का प्रसार किया जाता है। लौकिकीकरण जीवन का एक दृष्टिकोण है, जिसमे धर्म की परिभाषा समकालीन सामाजिक परिवेश में प्रजातांत्रिक मूल्यों पर आधारित करके की जाती हैं। लौकिकीकरण किसे कहते है इसे समझने के लिए यह आवश्यक है कि हम धर्म की धारणा को समझे।धर्म की धारणा
धर्म एक आध्यात्मिक शक्ति का नाम है, जिसे आराध्य कर सुख और शांति की अनुभूति करता है।
मौलिक प्रश्न यह है-
1. मानव धर्म क्यों धारण करता है?
2. धर्म की उत्पत्ति और इसका विश्वास क्यों और किन प्रक्रियाओं से हुआ?
इन दोनो प्रश्नों को एक दूसरे से अलग करके नहीं समझा जा सकता है। धर्म की उत्पत्ति मे पर्यावरण का अत्यधिक महत्व होता है। एक स्थान का पर्यावरण दूसरे स्थान से भिन्न होता हैं। इसलिए धर्मों मे भिन्नता पाई जाती हैं। कभी-कभी विचारों मे भिन्नता के कारण भी धर्मों मे विभिन्नता का विकास होता हैं। धर्मों मे भिन्नता हो जाने से व्यक्तियों मे भिन्नता उत्पन्न हो जाती हैं और व्यक्ति समूह में विभाजित हो जाते है। यह विभाजन मानव-समाज में विद्वेष और ईर्ष्या की भावना को जन्म देता हैं। और समाज विघटन के कगार पर खड़ा हो जाता है। समाज को इन विघटनकारी शक्तियों से बचाने के लिए लौकिकीकरण अनिवार्य हैं।
लौकिकीकरण की परिभाषा
आक्सफोर्ड डिक्सनरी के अनुसार लौकिकीकरण की परिभाषा " लौकिकीकरण वह सिद्धान्त है, जिसमें ईश्वर मे विश्वास से सम्बंधित सभी विचारों को पृथक करके नैतिकता वर्तमान जीवन मे मनुष्य कल्याण से पूर्णरूपेण सम्बंधित रहती हैं।चैम्बर्स ने लौकिकीकरण की परिभाषा कुछ इस प्रकार से दी है__ " लौकिकीकरण एक ऐसा विश्वास है, जिसमें राज्य, नैतिकताएं, शिक्षा, इत्यादि धर्म से सम्बंधित होनी चाहिए।
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