2/01/2022

राजनीतिक सहभागिता का अर्थ, परिभाषा, क्रियाएं, प्रकार

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राजनीतिक सहभागिता का अर्थ (rajnitik sahbhagita kya hai)

राजनीतिक व्यवस्था के विभिन्न स्तरों पर जब व्यक्ति भाग लेने लगते हैं तब सामान्य भाषा में उसे हम राजनीतिक सहभागिता के नाम से पुकारते हैं। आम तौर पर व्यक्तियों के कार्य जो सरकार की निर्णयकारी प्रक्रिया को पूरी करते हैं, राजनीतिक सहभागिता कहे जाते हैं। एप्टर ने कहा हैं," राजनीति की ओर नागरिकों का दृष्टिकोण एवं झुकाव ही राजनीतिक सहभागिता हैं।" प्रसिद्ध राजनीतिक समाजशास्त्री मैक्गलोस्की के अनुसार," राजनीतिक सहभागिता जनतांत्रिक व्यवस्था में सहमति देने या वापस लेने का एक प्रमुख साधन हैं। राजनीतिक सहभागिता द्वारा ही शासकों को शासितों के प्रति उत्तरदायी बनाया जाता है।

राजनीतिक सहभागिता की परिभाषा (rajnitik sahbhagita ki paribhasha)

राजनीतिक सहभागिता की कुछ प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित हैं--

आमण्ड और पावेल के अनुसार," राजनीतिक सहभागिता का अर्थ समाज के सदस्यों द्वारा व्यवस्था हेतु निर्णय निर्माण प्रक्रिया के अंतर्गत होना हैं।" 

मैक्गलोस्की के अनुसार," राजनीतिक सहभागिता वे स्वैच्छिक गतिविधियां हैं जिनके द्वारा समाज के सदस्य शासकों के चयन और निर्माण में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से साझेदारी करते हैं।" 

मैथ्युज तथा प्रोथा के अनुसार," राजनीतिक सहभागिता जनता द्वारा प्रत्यक्ष राजनीतिक विचार व्यक्त करने से संबंधित सभी प्रकार का व्यवहार हैं।" 

राजनीतिक सहभागिता वस्तुतः एक जलिट अवधारणा हैं, क्योंकि यह विभिन्न चरों से प्रभावित होती है। राजनीतिक सहभागिता के प्रमुख चर मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और राजनीतिक हो सकते हैं। इन्हीं चरों के कारण भिन्न-भिन्न देशों में विभिन्न समयों में एवं भिन्न-भिन्न लोगों के बीच राजनीतिक सहभागिता की मात्रा अलग-अलग होती हैं। 

राजनीतिक सक्रियता को परिभाषित करते हुए हम कह सकते हैं कि राजनीतिक सक्रियता राजनीतिक भागीदारी हैं जिसका एकमात्र उद्देश्य सरकारी निर्णय एवं कार्यों को प्रभावित करना हैं। व्यापक संदर्भ में परम्परागत क्रियाओं के अलावा राजनीतिक निर्णयों का समर्थन या विरोध जैसी विविध राजनीतिक क्रियाएं भी राजनीतिक सहभागिता में शामिल की जा सकती हैं। 

राजनीतिक सहभागिता की प्रमुख क्रियाएं एवं रूप 

राजनीतिक सहभागिता में विभिन्न प्रकार की क्रियाएं सम्मिलित की जाती हैं। मैक्गलोस्की ने इसमें मतदान, जानकारी प्राप्त करना, वाद-विवाद एवं धर्मान्तरण, सभाओं में उपस्थित रहना, चन्दा देना, प्रतिनिधियों के साथ सम्पर्क रखना आदि विशिष्ट क्रियाएं तथा दल की औपचारिक सदस्यता ग्रहण करना, चुनाव अभियान में भाग लेना, राजनीतिक भाषण देना या लिखना तथा सार्वजनिक एवं दलीय पदों के लिये चुनाव में भाग लेना आदि जैसे सक्रिय रूपों को सम्मिलित किया हैं। 

वुडवर्ड तथा रोपर ने राजनीतिक सहभागिता में निम्न पांच क्रियाओं को सम्मिलित किया हैं-- 

1. चुनाव में भाग लेना। 

2. प्रभावक समूहों का सदस्य बनकर इन्हें समर्थन प्रदान करना। 

3. विधायकों से प्रत्यक्ष संचार करना। 

4. राजनीतिक दलों की गतिविधियों में भाग लेकर विधायकों पर अधिकार प्राप्त करना। 

5. अन्य नागरिकों के राजनैतिक विचारों का मौखिक रूप से आभ्यासिक प्रचार करना। 

लेस्टर पिलब्राथ ने राजनीतिक सहभागिता से आबद्ध राजनीतिक क्रियाओं को तीन श्रेणी में विभाजित किया हैं-- 

1. असिक्रीडकीय 

अर्थात् पूर्ण सक्रिय क्रियाएं--असिक्रीडकीय लोगों में दल के सक्रिय कार्यकर्ताओं को सम्मिलित किया जाता है जो दलीय पदों पर नियुक्ति, दल के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने, दल के लिए चन्दा एकत्रित करने, दल की सभाओं में जाने तथा दल के अभियानों में सम्मिलित होने जैसे सक्रिय क्रियाओं में भाग लेते हैं। 1 से 3 प्रतिशत अमेरिकी लोगों को असिक्रीडकीय क्रियाओं से आबद्ध बताया गया हैं। 

2. संक्रमणकालीन क्रियाएं 

इसमें दल के समर्थकों, सहानुभूति रखने वालों अथवा केवल तटस्थ-सजग श्रोताओं के रूप में दल की सभाओं में जाने, दल के कोष में चन्दा देने, सरकारी अधिकारियों या दल के नेताओं से संपर्क स्थापित करने जैसी क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में 7 से 9 प्रतिशत व्यक्ति इन क्रियाओं में भाग लेते हैं। 

3. दर्शक क्रियाएं 

इसमें मत देने, किसी अन्य को विशेष प्रकार से मत देने के लिए प्रभावित करने, राजनीतिक बातचीत में भाग लेने, राजनीतिक उद्दीपनों द्वारा प्रभावन तथा दलीय बिल्ले लगाने आदि क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है। अमेरिका के लगभग 60% नागरिक इन क्रियाओं में भाग लेते है। बाकी एक-तिहाई नागरिक राजनीतिक दृष्टि से उदासीन हैं। 

मिलब्राथ के उपरोक्त वर्गीकरण से हमें यह पता चलता हैं कि नागरिकों में राजनीतिक सहभागिता अथवा सक्रियता एक समान नहीं हैं। अर्थात् सक्रियता की मात्रा में अंतर हैं। उद्देश्य की दृष्टि से राजनीतिक सक्रियता को दो प्रकार का बताया गया हैं-- 

1. साधक सहभागिता, 

2. अभिव्यंजक सहभागिता। 

साधक सहभागिता निश्चित लक्ष्यों यथा-दल की विजय, विधेयक की स्वीकृति या अपनी स्थिति या प्रभाव की वृद्धि की प्राप्ति से संबंधित है। जबकि अभिव्यंजक सहभागिता वास्तविक लक्ष्य प्राप्ति से संबंधित न होकर तात्कालिक संतुष्टि अथवा भावनाओं को मुक्त करने से संबंधित होती हैं। अतः कुछ लोग मताधिकार का प्रयोग इसलिए नहीं करते कि इससे उन्हें कोई लाभ नहीं होगा, अपितु इसलिए करते हैं कि इसमें उन्हें संतुष्टि की अनुभूति होती हैं। वास्तविक व्यवहार में दोनों प्रकार की सहभागिता को एक-दूसरे से पृथक करना कठिन हैं।

रश और अल्थोफ द्वारा अभिव्यक्त क्रियाएं 

रश और अल्थोफ ने राजनीतिक सक्रियता की मात्रा एवं विस्तार के आधार पर राजनीतिक सहभागिता को निम्नलिखित ढंग से क्रमबद्ध किया हैं-- 

1. राजनीतिक या प्रशासकीय पद धारण करना, 

2. राजनीतिक या प्रशासकीय पद के लिये प्रयास करना,

3. राजनीतिक संगठन का सक्रिय सदस्य होना, 

4. राजनीतिक संगठन का निष्क्रिय सदस्य होना, 

5. अर्द्ध राजनीतिक संगठन का सक्रिय सदस्य होना, 

6. अर्द्ध राजनीतिक संगठन का निष्क्रिय सदस्य होना, 

7. सार्वजनिक सभा एवं प्रदर्शन आदि में भाग लेना, 

8. अनौपचारिक राजनीतिक विचार-विमर्श में भाग लेना, 

9. राजनीतिक में सामान्य अभिरूचि रखना, 

10. मतदान में भाग लेना तथा 

11. राजनीति के प्रति उदासीनता। 

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि क्रान्तिकारी, विद्रोह एवं हिंसात्मक कार्यों को छोड़कर राजनीतिक सहभागिता के अंतर्गत वे सभी राजनीतिक गतिविधियां सम्मिलित हैं जिनका उद्देश्य सरकारी नीतियों को प्रभावित करना होता हैं। ये कार्य कानूनी और गैर कानूनी दोनों प्रकार के हो सकते हैं। 

विभिन्न विद्वानों के विचारों के विश्लेषण के बाद राजनीतिक सक्रियता सहभागिता के कुछ प्रमुख रूपों का वर्णन निम्नांकित बिन्दुओं में किया जा सकता हैं-- 

1. मतदान

इसके अंतर्गत मतदाता उम्मीदवारों को अपनी स्वीकृत देकर शासक, शासन के निर्णय लेने का अधिकारी बनाता हैं। मतदान राजनीतिक सहभागिता का ऐसा रूप हैं जो हमेशा नहीं पाया जाता हैं, इसका प्रयोग आम तौर पर चुनाव के समय किया जाता है। इसका महत्व चुनाव की प्रकृति के अनुसार बदलता रहता हैं। मतदान से इस बात का आभास मिलता है कि जनतंत्र के अंतर्गत जनता को हर काम में भाग लेने का अधिकार दिया जाता हैं। 

2. दल या प्रत्यशी को धन देना 

धन देकर दल या प्रत्याशी की सहायता करना भी राजनीतिक सक्रियता हैं। लेकिन यह कार्य सब लोगों के लिये संभव नहीं है और धन देना स्वस्थ जनतंत्र के हित में भी नही कहा गया हैं। क्योंकि अधिक धनवान व्यक्ति पैसे के बल पर मत खरीद लेते है और जनतंत्र को मखौल बना देते हैं। 

3. अर्द्ध-राजनीतिक तथा राजनीतिक संगठनों की सदस्यता 

ऐसी सदस्यता साधारण तथा सक्रिय दोनों प्रकार की हो सकती हैं। वर्तमान समय मे दूध बेचने वालों से लेकर बड़े से बड़ा पूंजीपति भी अपने हित से संबंधित हित-समूह का सदस्य होता है। अपने हित की पूर्ति के लिये वह जनमत को प्रभावित करता है। राजनीतिक संगठनों से आशय राजनीतिक दलों की सदस्यता से हैं। राजनीतिक दल अतिरिक्त संवैधानिक संरचनाएं हैं जो राजनीतिक तंत्र को गतिशील बनाते हैं। 

4. चुनाव लड़ना

चुनाव लड़ने का कार्य हमेशा नहीं किया जाता हैं। इसे सिर्फ चुनाव के समय ही किया जा सकता है। निर्दलीय या किसी दल प्रत्यशी के रूप में इस कार्य को किया जा सकता हैं। 

5. उद्दंड घटनाएं 

जब व्यक्ति संवैधानिक तरीका से अपनी मांगों की पूर्ति में असफल हो जाता हैं तो वह प्रदर्शन, हिंसा, घेराव तथा हड़ताल जैसी घटनाओं में भाग लगता हैं।

राजनीतिक सहभागिता के प्रकार 

राजनीतिक सहभागिता के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं--

1. लोकप्रिय अर्पण अथवा समर्पण 

इनमें लोगों को पहले से बने हुये निर्णय दिये जाते हैं जिन्हें मानने के लिए वह बाध्य होते हैं। इस प्रकार की सहभागिता निरंकुश व्यवस्थाओं मे देखी जाती हैं। 

2. लोकप्रिय सहभागिता 

इसमें जनता को शासन-प्रक्रिया में शामिल होने के अनेक प्रत्यक्ष अवसर मिलते हैं। जो सामान्यतया निर्णायक होते हैं परन्तु कभी-कभी निर्णायक नही भी हो सकते हैं क्योंकि शासक इन्हें अस्वीकार कर सकते हैं। जैसे जनमत संग्रह जनता का मत संकेत प्राप्त करने के लिये कराया जा सकता है। पर इसे निर्णायक इसलिए नहीं कहा जा सकता कि शासक इसके परिणाम को मानने के लिये हमेशा ही बाध्य नहीं होते। 

3. लोकप्रिय मौन स्वीकृति 

इसमें जनता शासकों शासक वर्ग के निर्णयों को किसी परिस्थितिवश स्वीकार करती हैं तथा कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करती। 

4. लोकप्रिय नियंत्रण 

शासन-प्रक्रिया से संबंधित अन्तिम निर्णय जनता में निहित रहता हैं। यह अन्तिम निर्णय चुनावों के द्वारा व्यावहारिक रूप लेता है इसके अंतर्गत जनता शासकों व उनकी नीतियों को चुनकर अथवा नहीं चुनकर अपनी स्वीकृत या अस्वीकृति प्रकट करती हैं। 

विभिन्न सरकारों में राजनीतिक सहभागिता 

विभिन्न राज्यों अथवा सरकारों में राजनीतिक सहभागिता निम्नलिखित प्रकार की होती हैं--

(अ) राजतंत्र तथा राजनीतिक सहभागिता 

राजतंत्र में राजनीतिक सहभागिता का अधिक महत्व नहीं होता क्योंकि राजतंत्र में जनता के हितों की पूर्ति को दृष्टिगत नहीं रखा जाता। जनता का कर्तव्य राजाज्ञा का पालन करना तथा 'कर' देना मात्र तक सीमित होता हैं। 

राजतंत्र में राजनीतिक निम्न रूपों में दृष्टिगोचर होती हैं-- 

(क) राज्य के शासन कार्य में भाग लेना, 

(ख) विशेष कार्य को करके राजा की सद्भावना प्राप्त करना। 

(ब) कुलीनतंत्र एवं राजनीतिक सहभागिता

कुलीनतंत्र के अंतर्गत शासन-सूत्र कुलनी-वर्ग के हाथों में रहता हैं। इस शासन-व्यवस्था में राजनीतिक सहभागिता की मात्रा एवं महत्व राजतंत्र की अपेक्षा अधिक होता हैं। 

(स) अधिनायकतंत्र तथा राजनीतिक सहभागिता

इस व्यवस्था में राष्ट्र की संपूर्ण शक्ति एक व्यक्ति के हाथों में केंद्रीत होती है अतः राजनीतिक सहभागिता का कोई विशेष स्थान नहीं होता। जनता में राजनीतिक हित अधिनायक की इच्छा पर निर्भर करते हैं। 

(द) प्रजातंत्र एवं राजनीतिक सहभागिता 

प्रजातंत्रात्मक शासन प्रणाली में राजनीतिक सहभागिता का महत्वपूर्ण स्थान हैं। इस शासन प्रणाली में सर्वोच्च सत्ता जनता के हाथों में निहित रहती हैं एवं शासक वर्ग में जनता द्वारा चुने हुये प्रतिनिधि होते हैं। इस प्रकार शासन में जनता को राजनीतिक सहभागिता का अधिक अवसर प्राप्त होता हैं।

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