1/18/2022

राजनीतिक आधुनिकीकरण का अर्थ, परिभाषा, लक्षण/विशेषताएं

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प्रश्न; राजनीतिक आधुनिकीकरण को परिभाषित किजिए। राजनीतिक आधुनिकीकरण व राजनीतिक विकास में क्या संबंध हैं? 
अथवा" राजनीतिक आधुनिकीकरण से आप क्या समझते हैं? राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
अथवा" राजनीतिक आधुनिकीकरण पर एक संक्षिप्त निबंध लिखिए। 
उत्तर--

राजनीतिक आधुनिकीकरण का अर्थ (rajnitik adhunikikaran kya hai)

राजनीतिक आधुनिकीकरण की संकल्पना उस राजनीतिक परिवर्तन की स्थिति की ओर निर्देशित करती हैं जो विशेषकर आधुनिक काल में यूरोपीय देशों में और फिर हाल ही के वर्षों में विश्व के अन्य देशों में हुआ। राजनीतिक आधुनिकीकरण की अवधारणा का संबंध राजनीतिक व्यवस्था के संपूर्ण रूपांतरण से हैं। अर्थ की दृष्टि से राजनीतिक आधुनिकीकरण राजनीतिक विकास से व्यापक अवधारणा हैं। सामाजिक संचालन तथा तथा आर्थिक विकास के फलस्वरूप हुए राजनीतिक परिवर्तनों को सामान्यतः राजनीतिक आधुनिकीकरण कहा जाता हैं। इसको व्यापक अवधारणा मानने का मुख्य कारण इसका शहरीकरण, औद्योगिकरण, शैक्षाणिक तथा सहभागिता से आगे के परिवर्तनों से संबंधित होना हैं। 

राजनीतिक आधुनिकीकरण की परिभाषा (rajnitik adhunikikaran ki paribhasha)

कोलमैन के शब्दों में," राजनीतिक आधुनिकीकरण ऐसे संस्थागत ढाँचे का विकास है जो पर्याप्त लचीला और इतना शक्तिशाली हो कि उसमें उठने वाली मांगों का मुकाबला कर सके।" 
क्लाउ वेल्च के अनुसार," आधुनिकीकरण एक प्रक्रिया है जो साधनों के विवेकपूर्ण प्रयोग पर आधारित होती हैं और आधुनिक समाज की स्थापना के उद्देश्य से मुक्त होती हैं।" 
डाॅ.एस.पी. वर्मा आधुनिकीकरण को एक बहुपक्षीय प्रक्रिया मानते हैं। उनके अनुसार राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के कई आयाम हैं। अपनी पुस्तक (Modern Political Theory) में उन्होंने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला हैं। उनके शब्दों में," आधुनिकीकरण एक व्यापक घटना है जो आर्थिक विकास के क्षेत्र में औद्योगिकरण, भौतिक प्रगति, राजनीतिक व्यवस्था की प्रगति एवं सारतत्व से सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक जीवन के क्षेत्र में मूलभूत परिवर्तन लाती हैं।"
जी.ए.ऑमंड तथा जी.बी. पाॅवेल के अनुसार," राजनीतिक आधुनिकीकरण सामाजिक आर्थिक परिवर्तन से अनिवार्य रूप से संबंधित हैं। राजनीतिक आधुनिकीकरण के परिप्रेक्ष्य में निम्नलिखित बातें आती हैं-- 
1. किसी राजनीतिक व्यवस्था की क्षमता को इसलिए आगे बढ़ाना कि उसके द्वारा समाज के संसाधनों की वृद्धि की जा सके। फलस्‍वरूप राजनीतिक प्रशासन में कुशलता आ सके। 
2. नई समस्याओं को हल करने हेतु सामाजिक क्रिया की आवश्यकताओं में वृद्धि करना। 
3. समाज के सदस्यों के लिए राजनीतिक सहभागीकरण एवं राजनीतिक आवश्यकताओं में वृद्धि करना। 
इजेनसटेड ने राजनीतिक आधुनिकीकरण की व्याख्या करते हुए लिखा है कि राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रथम विशेषता है राजनीतिक भूमिकाओं और संस्थाओं में उच्च मात्रा का विभेदीकरण और एक केन्द्रीकृत तथा एकीकृत शासन व्यवस्था का विकास जिसके अपने विशिष्ट ध्येय हों। आधुनिकीकरण की दूसरी विशेषता हैं-- केन्द्रीय प्रशासनिक तथा राजनीतिक संगठनों के कार्यों का विस्तार और समाज के सभी क्षेत्रों में उसकी क्रमिक व्याप्ति। तीसरी विशेषता हैं-- संभावित या अंतर्निहित शक्ति का समाज के अधिकाधिक समूहों में और अंततोगत्वा सभी वयस्क नागरिकों में प्रसार। चौथी और अंतिम विशेषता हैं-- परंपरागत अभिजन वर्ग का दुर्बल पड़ जाना, शासकों की परंपरागत वैधता का कमजोर पड़ जाना और उसके स्थान पर शासकों की शासितों के प्रति (जिसके पास अंतर्निहित शक्ति होती हैं) सैद्धान्तिक और संस्थागत उत्तरदायित्व में वृद्धि हो जाना। 
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि राजनीतिक आधुनिकीकरण राजनीतिक विकास से कहीं अधिक व्यापक अवधारणा हैं। हर उचित माँग को स्वीकार करने के साथ उसे पूरा करने और अनुचित माँगों को दृढ़ता से ठुकरा देने की क्षमता रखने वाली राजनीतिक व्यवस्था को ही राजनीतिक दृष्टि से आधुनिक व्यवस्था कहा जाता हैं। 

राजनीतिक आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण अथवा विशेषताएं (rajnitik adhunikikaran ki visheshta)

राजनीतिक आधुनिकीकरण के लक्षण या विशेषताएं निम्नलिखित हैं-- 
1. राजनीतिक शक्ति के महत्व में वृद्धि 
राजनीतिक आधुनिकीकरण का यह महत्वपूर्ण लक्षण है कि मानव जीवन की गतिविधियों से संबंधित सभी प्रकार की शक्तियों का राज्य या राजनीतिक व्यवस्था में केन्द्रीयकरण होने लगता हैं अर्थात् राजनीतिक शक्ति का महत्व बढ़ना राजनीतिक आधुनिकीकरण की निशानी हैं। 
2. सरकार और जनता का प्रत्येक स्तर पर संपर्क 
राजनीतिक आधुनिकीकरण की दूसरी विशेषता यह मानी जाती है कि इसके लिए सरकार तक जनता की पहुँच वृद्धिपरक होनी चाहिए। जनता व सरकार के प्रत्येक स्तर पर संपर्क का अर्थ हैं, राज्य का समाज में अधिकाधिक प्रवेश। यह तभी संभव हैं जब सरकारें सकारात्मक कार्यों का संपादन करें।
3. केन्द्र और परिसर की अंतःक्रिया में वृद्धि 
राजनीतिक आधुनिकीकरण की अगली विशेषता यह हैं कि राजनीतिक समाजों में केन्द्र और परिसर की अंतःक्रिया में काफी वृद्धि हो जाती हैं। यहाँ केन्द्र का अर्थ राजनीतिक व्यवस्था से है और परिसर का अर्थ समाज से हैं। राजनीतिक दल, दबाव समूह, नौकरशाही एवं निर्वाचनों के माध्यम से यह संपर्क बढ़ता हैं तथा संचार साधनों द्वारा इसमें निरंतरता बनी रहती हैं। 
4. लौकिक और राष्ट्रीय राजनीतिक सत्ता 
सत्ता के परंपरागत स्त्रोतों का निर्गत होना और उनके स्थान पर राष्ट्रीय राजनीतिक सत्ता की स्थापना राजनीतिक आधुनिकीकरण की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता हैं। आधुनिक राजनीतिक समाजों में धार्मिक, परंपरागत, पारिवारिक तथा जातीय सत्ताओं का स्थान एक लौकिकीकृत व राष्ट्रीय राजनीतिक सत्ता द्वारा ले लिया जाता हैं। 
5. राजनीतिक संस्थाओं का विभिन्नीकरण एवं विशेषीकरण 
राजनीतिक आधुनिकीकरण के लिए यह जरूरी हैं कि आधुनिक राजनीतिक संस्थाओं में विभिन्नीकरण व विशेषीकरण हो। 
6. संस्थाओं और प्रक्रियाओं में जनसहभागिता 
राजनीतिक आधुनिकीकरण के लिए संस्थात्मक और प्रक्रियात्मक परिवर्तन ही पर्याप्त नहीं हैं। इसके अतिरिक्त इसकी यह भी विशेषता मानी जाती है कि संस्थाओं और प्रक्रियाओं में जनसहभागिता में वृद्धि हो। जनसहभागिता कितनी है यह भी राजनीतिक आधुनिकीकरण का मापदंड हैं। 
7. नागरिकों की अभिवृत्तियों में परिवर्तन 
राजनीतिक आधुनिकीकरण के लिए यह आवश्यक है कि लोगों की अभिवृद्धियों में परिवर्तन आए। 
8. नौकरशाही के आधार की व्यापकता 
राजनीतिक आधुनिकीकरण की यह भी महत्वपूर्ण विशेषता है कि नौकरशाही के कर्मचारी सारे समाज में आए, इस हेतु मात्र प्रक्रियात्मक व्यवस्था ही पर्याप्त नही हैं, अपितु ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि वास्तविक रूप से समाज के सभी वर्गों से कर्मचारियों की भर्ती हो सके। 

आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तथा अभिकरण 

राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया आधुनिकीकरण की व्यापक प्रक्रिया का अंश है अर्थात् राजनीतिक आधुनिकीकरण, आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का उपजात है। व्यापक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से अलग करके आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को नही समझा जा सकता। जब समाज प्राचीन तत्वों को छोड़कर नवीन प्रतिमानों की ओर बढ़ता हैं, अर्थात् मशीनों, भवनों तथा प्रयोग की विभिन्न वस्तुओं के प्रदर्शन द्वारा आधुनिक जीवन के पहलुओं के प्रति उद्भासन होता है अर्थात प्रभावन होता हैं, जनसंचार में वृद्धि होती हैं, निवास मे परिवर्तन, नगरीकरण में वृद्धि, कृषि व्यवसायों में परिवर्तन, शिक्षा सुविधाओं में वृद्धि तथा प्रति व्यक्ति आय मे वृद्धि होती है तो यह माना जाता है कि सामाजिक परियोजन हो रहा है अर्थात् समाज प्राचीन तत्वों को छोड़कर नवीन प्रतिमानों की ओर बढ़ रहा है। सामाजिक विभेदीकरण एवं संरचनात्मक विभेदीकरण होता हैं, द्वितीयक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका होने लगती हैं, सहमतिजन्य जनप्रवृत्तियां तथा नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना बढ़ती है तो यह माना जाता है कि आधुनिकीकरण की व्यापक प्रक्रिया चल रही है। आधुनिकीकरण की इस व्यापक प्रक्रिया का प्रभाव राजनीतिक आधुनिकीकरण पर भी पड़ता है तथा राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती हैं। 
राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया जटिल है। इसमें अनेक अभिकरणों, माध्यमों एवं बलों का योगदान शामिल हैं किन्तु इसका मुख्य स्वरूप आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक होता हैं। राजनीतिक आधुनिकीकरण को लाने में राजनीतिक अभिजन, बुद्धिजीवियों, शासन, शिक्षा, राजनीतिक दल, दबाव समूह आदि का साथ रहता हैं। राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में न सिर्फ राजनीतिक व्याख्या बल्कि उसकी उप-व्यवस्थाएं, राजनीतिक संरचनाएं, राजनीतिक संस्कृति तथा उसकी प्रक्रियाएं आदि शामिल होती हैं। राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में संभ्रांत वर्ग तथा राजनीतिक नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस भूमिका में राजनीतिक दल काफी सक्रिय हो जाते हैं। 
विभिन्न समाजों में राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया एक समान न होकर भिन्न-भिन्न प्रकार से हुई हैं। इसमें देश, काल तथा परिस्थिति की अमिट छाप होती हैं। विश्व स्तर पर राजनीतिक आधुनिकीकरण के अनेक प्रतिमान पाए जाते हैं, जैसे-- पश्चिमी यूरोपीय प्रतिमान, पूर्वी यूरोपीय प्रतिमान, अमेरिकी प्रतिमान, दक्षिण अमेरिकी प्रतिमान, एशियाई एवं अफ्रीकी प्रतिमान तथा चीनी एवं जापानी प्रतिमान। इन तमाम प्रतिमानों अपने-अपने देश में आने वाली राजनीतिक समस्याओं का समाधान भिन्न-भिन्न ढंग से किया है। इस प्रक्रिया में भिन्न-भिन्न प्रतिमानों ने भिन्न-भिन्न तरीकों को अपनाया हैं। 
राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के दौरान अनेक समाजों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। ये समस्याएं निम्नलिखित हैं-- 
1. राष्ट्रीय एकता की समस्या। 
2. प्रजाति, परंपरा, भाषा तथा धर्म के प्रति विशेष प्रतिबद्धता। 
3. नवीन तथा परंपरावादी मूल्यों में संघर्ष तथा प्रतिरोधी समाजीकरण की प्रक्रियाएं।

आधुनिकीकरण की प्रक्रिया में सहायक अभिकरण 

1. नवीन विचार 
आधुनिकीकरण का सबसे पहला स्त्रोत नवीन विचार है। किसी भी देश के राजनीतिक ढांचे मे जो परिवर्तन आता है उसकी प्रेरणा नए विचारों, संस्थाओं, शिल्प एवं उद्योग तथा संचार के साधनों के संपर्क से मिलती है। यदि हम भारत का उदाहरण लें तो कहा जा सकता है कि भारत के राजनीतिक आधुनिकीकरण का मुख्य स्रोत पश्चिमी विचारों का प्रभाव रहा हैं। 
2. अभिजनों तथा बुद्धिजीवियों की भूमिका 
राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण अभिकरण यही वर्ग होता है क्योंकि किसी प्रकार की शासन प्रणाली मे यही वर्ग सत्ता का वास्तविक धारक होता है। विकसित तथा विकासशील दोनों ही प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाएं आधुनिकीकरण के किसी भी स्थान पर क्यों न हों-जीवन शक्ति देने का कार्य राजनीतिक अभिजनों का है। अभिजन तथा बुद्धिजीवी वर्ग राजनीतिक प्रक्रियाओं को मोड़ने से लेकर उलटने तक का कार्य कर सकने की क्षमता रखते है। इसलिए राजनीतिक आधुनिकीकरण मे इनका स्थापन और महत्व निर्णयकर्ता की स्थिति मे होता हैं। 
3. विचारधारा की भूमिका 
राजनीतिक आधुनिकीकरण की प्रक्रियाओं मे गति लाने हेतु कई बार विचारधारा का प्रयोग किया जाता है। राजनीतिक समाज मे परिवर्तन की प्रक्रियाओं को गति देने और प्राथमिकताओं के निर्धारण मे राजनीतिक विचारधारा की भूमिका सर्वाधिक है। राजनीतिक दलों के माध्यम से विचारधारा राजनीतिक आधुनिकीकरण का एक महत्वपूर्ण प्रेरक तत्व हो जाती है। विचारधारा के आधार पर राजनीतिक आधुनिकीकरण के लक्षणों मे-- जिनका संबंध मनुष्यों की अभिवृत्तियों से होता हैं-- परिवर्तन लाना आसान हो जाता है। 
4. सरकार की भूमिका 
सरकारों की देख-रेख में आधुनिकीकरण की तमाम गतिविधियां संचालित होती हैं। सरकारों के पास बाध्यकारी शक्ति होती है और वे अपने निर्णयों को क्रियान्वित कराने की स्थिति मे भी होती हैं। इसके साथ ही सरकारें आधुनिकीकरण की प्रवृत्तियों की ओर पहल करती हैं और उन्हें प्रश्रय देती हैं। सरकारें अपनी बाध्यकारी शक्ति का प्रयोग करके आधारभूत और आमूल परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है। आधुनिक युग मे सब कार्य सरकारों के माध्यम से ही संपादित किए जाते हैं। विकासशील राज्यों में सरकारों के ऊपर जनता अत्यधिक आश्रित होती जा रही हैं। यही कारण है कि सरकारों को राजनीतिक आधुनिकीकरण का महत्वपूर्ण उपकरण समझा जाता हैं। 
5. दलीय संगठन 
राजनीतिक दलों के दलीय संगठन भी राजनीतिक आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण अभिकरण है। बिना ऐसे संगठन के महान नेता भी आधुनिकीकरण के लक्ष्य की ओर देश को नही ले जा सकते। भारतीय इतिहास से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदाहरण द्वारा इसे अच्छी तरह समझा जा सकता हैं। बहुधा जवाहरलाल नेहरू को जिन बातों का श्रेय दिया जाता है वे इस महान संगठन का सहारा मिले बिना संभव न हो पाती।
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