अरस्तु का जीवन परिचय
arastu ka jivan parichay;अरस्तु का जन्म 384 ईसा पूर्व में मेसीडोनिया के स्टेजिरा (stagira) नामक नगर मे हुआ था तथा उसकी मृत्यु 322 ई. पूर्व मे हुई थी। इस प्रकार अरस्तु प्लेटो से लगभग 43 वर्ष छोटा था। उन्हें प्लेटो के सबसे मेधावी शिष्यों में गिना जाता था। विश्व विजेता कहलाने वाला सिकन्दर अरस्तू का ही शिष्य था। अरस्तू ने प्लेटो की शिष्यता 17 वर्ष की आयु में ग्रहण की थी। राजा फिलिप के निमंत्रण पर अरस्तू को अल्पवयस्क सिकन्दर का गुरु नियुक्त किया गया था। उन्होंने भौतिकी, आध्यात्म, कविता, नाटक, संगीत, तर्कशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और जीव विज्ञान सहित कई विषयों पर रचनाएँ की थीं। उनके पिता मकदूनिया के राजा के दरबार में शाही वैद्य थे। इस प्रकार अरस्तू के जीवन पर मकदूनिया के दरबार का काफी गहरा प्रभाव पड़ा था। उनके पिता की मौत उनके बचपन में ही हो गई थी। पिता की मौत के बाद 17 वर्षीय अरस्तू को उनके अभिभावक ने शिक्षा पूरी करने के लिए बौद्धिक शिक्षा केंद्र एथेंस भेज दिया। वह वहां पर बीस वर्षो तक प्लेटो से शिक्षा पाते रहे। पढ़ाई के अंतिम वर्षो में वो स्वयं अकादमी में पढ़ाने लगे। अरस्तू को उस समय का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता था जिसके प्रशंसा स्वयं उनके गुरु भी करते थे। अरस्तू की गिनती उन महान दार्शनिकों में होती है जो पहले इस तरह के व्यक्ति थे और परम्पराओं पर भरोसा न कर किसी भी घटना की जाँच के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचते थे।
347 ईस्वी में प्लेटो के निधन के बाद अरस्तू ही अकादमी के नेतृत्व के अधिकारी थे किन्तु प्लेटो की शिक्षाओं से अलग होने के कारण उन्हें यह अवसर नही दिया गया। एत्रनियस के मित्र शाषक र्ह्यियाज के निमंत्रण पर अरस्तू उनके दरबार में चले गये। वो वहां पर तीन वर्ष रहे और इस दौरान उन्होंने राजा की भतीजी हिपलिस नामक महिला से विवाह कर लिया। अरस्तू की ये दुसरी पत्नी थी उसे पहले उन्होंने पिथियस नामक महिला से विवाह किया था जिसके मौत के बाद उन्होंने दूसरा विवाह किया था। इसके बाद उनके यहां नेकोमैक्स नामक पुत्र का जन्म हुआ।
सबसे ताज्जुब की बात ये है कि अरस्तू के पिता और पुत्र का नाम एक ही था शायद अरस्तू अपने पिता को बहुत प्रेम करते थे इसी वजह से उनकी याद में उन्होंने अपने पुत्र का नाम भी वही रखा था। मकदूनिया के राजा फिलिप के निमन्त्रण पर वो उनके तेरह वर्षीय पुत्र को पढ़ाने लगे। पिता-पुत्र दोनों ही अरस्तू को बड़ा सम्मान देते थे। लोग यहाँ तक कहते थे कि अरस्तू को शाही दरबार काफी धन मिलता है और हजारों गुलाम उनकी सेवा में रहते है हालांकि ये सब बातें निराधार थीं।
एलेक्जैंडर के राजा बनने के बाद अरस्तू का काम खत्म हो गया और वो वापस एथेंस आ गये। अरस्तू ने प्लेटोनिक स्कूल और प्लेटोवाद की स्थापना की। अरस्तू अक्सर प्रवचन देते समय टहलते रहते थे इसलिए कुछ समय बाद उनके अनुयायी पेरीपेटेटिक्स कहलाने लगे। अरस्तू को खोज करना बड़ा अच्छा लगता था खासकर ऐसे विषयों पर जो मानव स्वाभाव से जुड़े हों जैसे कि," आदमी को जब भी समस्या आती है वो किस तरह से इनका सामना करता है? और आदमी का दिमाग किस तरह से काम करता है। समाज को लोगों से जोड़े रखने के लिए काम करने वाले प्रशासन में क्या ऐसा होना चाहिए जो सर्वदा उचित तरीके से काम करें। ऐसे प्रश्नों के उतर पाने के लिए अरस्तू अपने आस-पास के माहौल पर प्रायोगिक रुख रखते हुए बड़े इत्मिनान के साथ काम करते रहते थे।" वो अपने शिष्यों को सुबह-सुबह विस्तृत रूप से और शाम को आम लोगों को साधारण भाषा में प्रवचन देते थे। एलेक्सेंडर की अचानक मृत्यु पर मकदूनिया के विरोध के स्वर उठ खड़े हुए। उन पर नास्तिकता का भी आरोप लगाया गया। वो दंड से बचने के लिये चल्सिस चले गये और वहीं पर एलेक्सेंडर की मौत के एक साल बाद 62 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गयी।
इस तरह अरस्तू महान दार्शनिक प्लेटो के शिष्य और सिकन्दर के गुरु बनकर इतिहास के पन्नों में महान दार्शनिक के रूप में अमर हो गये।
अरस्तु की रचनाएं
अरस्तु स्वयं अत्यधिक विद्वान थे, विभिन्न क्षेत्रों (विषयो) पर उनका जबरदस्त अधिकार था। शरीर-विज्ञान, आध्यात्मशास्त्र, प्राणीशास्त्र, भौतिकशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, यन्त्रशास्त्र, मनोविज्ञान, ज्योतिषशास्त्र, अर्थशास्त्र, अभिव्यंजना, कला एवं काव्य आदि में शोध कार्य कर लेने से, वह इन सबके ज्ञाता हो गये थे। अरस्तु का लगभग समस्त जीवन अध्ययन और अध्यापन में ही व्यतीत हुआ था। यही कारण हैं कि उसे ज्ञान का 'विश्व कोष' कहा गया। उनका प्रत्येक क्षेत्र में समान अधिकार था। उसके मुख्य ग्रन्थ निम्नलिखित हैं--
1. पाॅलटिक्स (Politics)।
2. काॅन्स्टीट्यूशन्स (Constitutions)।
3. इथिक्स (Ethics)।
4. रिटोरिक्स (Rhetorics)।
5. इन्टरप्रेटेशन्स (Interpretations)।
6. मैटरोलोजी (Meterology)।
7. हिस्ट्री ऑफ एनीमल्स (History of Animals)।
8. मेटाफिजिक्स (Mataphysics)।
9. दी टोपिक्स (The Topic)।
कोई टिप्पणी नहीं:
Write commentआपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।