भारत मे परिवार कल्याण कार्यक्रम
parivar kalyan karyakram arth uddeshya;भारत को आजादी मिलने के बाद लागू विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं मे देश की जनसंख्या वृद्धि की समस्या को हल करने के लिये परिवार को नियोजित करने के प्रयास किये जा रहे है। जून 1977 से पूर्व तक इन प्रयासों को सीमित रखने को परिवार नियोजन कार्यक्रमों के अंतर्गत सम्मिलित किया जाता था, लेकिन जून 1977 मे देश मे भारतीय जनता पार्टी का शासन होने पर परिवार नियोजन कार्यक्रम का नाम बदलकर परिवार कल्याण कार्यक्रम कर दिया गया है।
परिवार कल्याण का अर्थ
परिवार कल्याण का अर्थ है, परिवार को नियोजित करना या सीमित रखना। परिवार से अभिप्राय- पति, पत्नी और उनके बच्चे। परिवार कल्याण का आशय है कि विवाह के बाद पति-पत्नी आपस मे मिलकर सलाह-मशविरा करके, यह तय करे कि घर मे कितने बच्चे होगे, कब-कब होगे तथा परिवार मे कब और बच्चे नही चाहिए। बच्चो की संख्या को दो तक सीमित रखा जाये तो अच्छा है। ऐसे परिवारों को नियोजित परिवार कहा जायेगा। वर्तमान मे भारत की जनसंख्या की बहुलता और उससे उत्पन्न समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए परिवारो को एक बच्चे तक सीमित रखने की आवश्यकता है। परिवार नियोजन मूल रूप से प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक परिवार तथा देश की बेहतरी और खुशहाली की कुंजी है।
भारत मे परिवार कल्याण कार्यक्रम समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गया है। वर्तमान मे राजकीय प्रयासों और लोगो की जागरूकता के कारण परिवार कल्याण कार्यक्रम को बढ़ावा मिला और यह लोगों का जाना-पहचाना कार्यक्रम बन गया। भारत मे परिवार नियोजन का प्रतीक लाल त्रिकोण सर्वाधिक चर्चित है। साथ ही छोटे परिवार के बारे मे आम लोगों के मन मे चेतना जागृत हुई। यह अलग बात है कि आज भी लोगो की मनोवृत्ति अधिक बच्ची की है।
परिवार कल्याण कार्यक्रम के उद्देश्य
परिवार नियोजन कार्यक्रम एक परिवार कल्याण कार्यक्रम है जिसे अपनाकर व्यक्ति परिवार को सीमित, अविवेकपूर्ण मातृत्व पर रोक तथा संतानों का समुचित पालन-पोषण कर सकता है। परिवार नियोजन अथवा परिवार कल्याण का उद्देश्य है, बच्चे का जन्म इच्छा से हो चूक से नही, सोच समझकर हो, संयोग से नही। भारत मे परिवार कल्याण कार्यक्रम के उद्देश्य निम्न प्रकार है--
1. परिवार कल्याण कार्यक्रम का उद्देश्य सीमित परिवार के लिये इच्छा शक्ति जागृत करना है। एक परिवार मे संतानों की संख्या दो तक सीमित हो ताकि उनका भली-भाँति पालन पोषण किया जा सके।
2. संतानोत्पत्ति के बीच अंतराल हो जिससे मां के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव न पड़े और बच्चे की देखभाल भी उचित रूप से हो सके।
3. संतानोत्पत्ति नियंत्रण के तरीको की जानकारी देना तथा संतानोत्पत्ति नियंत्रण के सस्ते साधन मुहैया कराना।
4. परिवार नियोजन के तरीको की खोज व अनुसंधान कार्यो को प्रोत्साहन देना।
5. जनसंख्या की विस्फोटक स्थिति को नियंत्रित करना।
6. जनसंख्या मे गुणात्मक सुधार करना।
7. परिवार कल्याण कार्यक्रम से परिवारों की सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करना।
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