2/24/2021

पूंजी बजटन क्या है? परिभाषा, उद्देश्य, महत्व

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पूंजी बजटन क्या है? (Punji bajatan ka arth)

punji budget arth paribhasha udeshaya mahatva;जब कोई व्‍यवसाय प्रगति के पथ पर चलने लगता है तो उसे विकास की अनेक परियोजनाएं लागू करनी पड़ती है, जिनमें दीर्घकालीन पूंजी की आवश्‍यकता होती है। अनेक बार मशीनें बदलनी पड़ती है या उत्‍पादन की विकसित तकनीक का प्रयेाग करना पड़ता है। इस विनियोग को पूंजी खर्च कहा जाता है जिसमें उचित अनुमान, नीति-निर्धारण, प्रबन्‍ध, नियन्‍त्रण आदि के लिये बजट का बनाना बहुत जरूरी हेाता है जिसे पूंजी बजटन कहा जाता है। पूंजी बजटन का सम्‍बन्‍ध हमेंशा दीर्घकालीन पूंजी परियोजना से होता है। हम यह भी कह सकते हैं कि इसमें ऐसे खर्चो का नियोजन शामिल हैं, जिनसे कई वर्षो तक प्रतिफल प्राप्‍त होने की सम्‍भावना रहती है। पूंजी बजटन के अन्‍तर्गत प्रस्‍तावित पूंजी खर्चो व उनके अर्थ प्रबन्‍धन पर विचार किया जाता है।

पूंजी बजटन की परिभाषा (punji bajatan ki paribhasha)

चार्ल्‍स टी. हॉर्नग्रेन के अनुसार,'' पूंजी बजटन प्रस्‍तावित पूंजीगत व्‍ययों के करने और अर्थ-प्रबन्‍धन के लिये दीर्घकालीन नियोजन है।''

आर.एन.एन्‍थोनी के अनुसार,'' पूंजी बजटन आवश्‍यक रूप से प्रबन्‍धको द्वारा विश्‍वासित उचित परियोजनाओ के लिए मांगी गई नई पूंजी सम्‍पत्ति की सूची है जिसमें प्रत्‍येक परियोजना की अनुमानित लागत भी दी हुई होती है।''

केलर तथा फरेरा के अनुसार,'' पूंजी व्‍यय बजट किसी बजट अवधि में स्‍थायी सम्‍पत्तियों के प्रयोग एंव व्‍ययो के लिए बनाई गई योजनाओं का प्रतिनिधित्‍व करता है।''

पूंजी बजटन के उद्देश्‍य (punji bajatan ke uddeshya)

पूंजी बजटन के उद्देश्य इस प्रकार है--

1. दीर्घकालीन पूंजी व्‍यय परियोजनाओं का मूल्‍यांकन करना

पूंजी बजटन का उद्देश्‍य दीर्घकालीन पूंजी व्‍यय परियोजनाओं का मूल्‍यांकन करके यह पता लगाना होता है कि विनियोग लाभप्रद है अथवा नही।

2. पूंजी विनियोगो का तुलनात्‍मक मूल्‍यांकन करना

पूंजी बजटन का एक उद्देश्‍य यह भी होता है कि विभिन्‍न पूंजी विनियोगों का तुलनात्‍मक मूल्‍यांकन करके यह पता लगाना कि इनमें सबसे अधिक लाभप्रद विनियेाग कौन-सा है।

3. पूंजी परियोजनाओं के अर्थ प्रबन्‍धन का पूर्वानुमान 

पूंजी बजटन का एक उद्देश्‍य यह भी होता है कि इस बात की जानकारी प्राप्‍त करना कि किसी पूंजी परियोजना मे कब कितने धन की आवश्‍यकता होगी। इससे उचित समय पर अर्थ प्रबन्‍ध करना सम्‍भव हो जाता है।

4. व्‍ययों पर नियंत्रण 

पूंजी बजटन से विभिन्‍न विभागो के पहले से अनुमानित व्‍ययो एंव वास्‍तविक व्‍ययों के आंकड़े प्राप्‍त कर उनकी तुलना करना सम्‍भव हो जाता हैं और इससे इस बात की जनकारी मिल जाती है कि कहां वास्‍तविक व्‍यय अनुमानित व्‍ययों से अधिक हुए है। इस प्रकार कारणों की जानकारी प्राप्‍त कर उन पर नियत्रंण स्‍थापित किया जा सकता है।

5. भूतकालीन निर्णयो का विश्‍लेषण 

पूंजी बजटन से पहले किये गये निर्णयों का विश्‍लेषण किया जा सकता है तथा यह जाना जा सकता है कि वे निर्णय कहां तक सही थे।

पूंजी बजटिंग का महत्‍व 

punji bajatan ka mahatva;पूंजी बजटिंग का सम्‍बंध लम्‍बें समय तक पूंजी निवेश के उन प्रस्‍तावों से होता है। जिनसे भावी अनेक सालों तक पूंजी पर प्रतिफल की आशा होती है। इसके अतिरिक्‍त पूंजी बजटिंग इसलिए भी महत्‍वपूर्ण है क्‍योकि इसके अंतर्गत पूंजीगत व्‍यय में काफी बड़ी राशि लम्‍बे समय के लिए विनियोजित की जाती है। पूंजीग‍त व्‍ययों के प्रभाव व परिणाम भी दीर्घकालीन होते हे। पूंजी बजटिंग की सार्थकता भूमिका एंव महत्‍व को निम्‍नलिखित बिन्‍दुओं की सहायता से स्‍पष्‍ट किया जा सकता है--

1. पूंजी बजटिंग के अन्‍तर्गत बड़ी राशि दीर्घकाल के लिए विनियेाजित की जाती है। व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठान में पूंजीगत संसाधन सीमित होते है। इन पूंजीगत  संसाधनों अथवा कोषों को अनेक विकल्‍पों में उपयेाग किया जा सकता है। अत: प्रबन्‍धन नये पूंजीगत विनियोग के निर्णय लेने से पूर्व पूंजी बजटिंग के तहत विश्‍लेषण व सोच-विचार करता है और सर्वोपयुक्‍त लाभकारी पूंजी विनियोजन करता है। इस प्रकार पूंजी बजटिंग नये पूंजीगत विनियेाजन मे काफी सहायक होता है।

2. पूंजी बजटिंग के अनतर्गत साधनों का विनियेाग दीर्घकाल के लियें किया जाता है। आर्थिक जगत अनेक प्रकार की अनिश्चिताओं से भरा है तथा इन अनिश्चितताओं के कारण जोखिमें भी काफी होती है। दीर्घकालीन पूंजी विनियोग के लिए पूंजी बजटिंग जोखिमों के विश्‍लेषण के लिए सहायक होता है। यही कारण है कि पूंजी बजटिंग जोखिमों व अनिश्चिततओं का समुचित विश्‍लेषण कर दूर‍दार्शिता पूर्ण-विनियोजन के निर्णय लिये जा सकते है।

3. पूंजी बजटिंग के अन्‍तर्गत प्रबन्‍धन पूर्णत: आश्‍वस्‍त व सन्‍तुष्‍ट होने के उपरांत ही पूंजीगत विनियोग के सम्‍बंध में निर्णय लेते है। इसका कारण यह है कि एक बार उपलब्‍ध कोषों का विनियोग कर देने के उपरांत इन्‍हें शीघ्रता से वापिस नहीं किया जा सकता है क्‍योकि विनियेाग के कारण प्राप्‍त स्‍थायी परि-सम्‍पत्तियों को आसानी से बेच पाना संभव नही होता है। साथ ही, सम्‍पत्तियों के विक्रय से काफी हानि होती है। यही कारण है कि पूंजी बजटिंग में निर्णय काफी ठोस ढंग से लियें जा सकते है।

4. पूंजी बजटिंग अप्रचलित एंव नष्‍ट हो चुकी परि-सम्‍पत्तियों के पुनसंस्‍थापन में सहायक होता है। इसकें अन्‍तर्गत उपलब्‍ध वैकल्पिक परि-सम्पत्तियों की तुलनात्‍मक स्थिति के आधार पर सर्वोत्‍तम सम्‍पत्ति के विकल्‍प को चुना जा सकता है। अत: पूंजी बजटिंग श्रेष्‍ठ परि-सम्‍पत्ति के चयन में सहायक सिद्ध होता है।

5. पूंजी बजटिंग में दीर्घकालीन कोषों का विनियोग करने के पूर्व काफी सोच विचार व विश्‍लेषण प्रबन्‍धन द्वारा किया जाता है। इससे स्‍थायी सम्‍पत्तियों की लाभदायकता का ठोस परीक्षण हो जाता है। यही कारण है कि पूंजी बजटिंग स्‍थायी सम्‍पत्तियों की लाभदायकता का आकलन करने मे सहायक होता है।

6. पूंजी बजटिंग के अन्‍तर्गत भारी विनियेाग के सम्‍बन्‍ध में निर्णय लिए जाते है। इससे प्रबन्‍धन को दीर्घकालीन वित्तीय योजनांए बनाने तथा वित्तीय नीति निर्धारण मे काफी सहायता मिलती है। यही कारण है कि पूंजी बजटिंग दीर्घकालीन वित्तीय नियोजन व नीति निर्धारण में सहायक होता है।

7. पूंजी बजटिंग की प्रक्रिया में स्‍थायी सम्‍पत्तियों के क्रय करने के लिये वित्त व्‍यवस्‍था के उपयुक्‍त स्‍त्रोत कौन-से है इस प्रकार पूंजी बजटिग स्‍थायी सम्‍पत्तियों के क्रय के उचित समय व कोषों की व्‍यवस्‍था की उपयुक्‍तता में सहायक होता है। 

8. पूंजी बजटिंग रोकड़ प्रवाह विवरण एंव रोकड़ बजट तैयार करने के लियें महत्‍वपूर्ण तथ्‍य व सूचनांए प्रदान करता है। इसकी सहायता से रोक-बजट आसानी से तैयार किया जा सकता है। 

9. पूंजी बजटिंग प्रबन्‍धन को स्‍थायी परि-सम्‍पत्तियों की मरम्‍मत,अवक्षण व पुनसंस्‍थापन सम्‍बन्‍ध में मजबूत, व्‍यापक एंव लाभ-दायक नीति बनाने में सहायक होता है। कारण, प्रबन्‍धन को इनके सम्‍बंध में समुचित समायोजनएंव प्रावधानकरना पड़ते है। अत: पूंजी बजटिंग इसमें सहायक होता है।

10. किसी भी व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठान की सफलता के लियें पूंजी  बजटिंग महत्‍वपूर्ण है क्‍योकि व्‍यवसाय की सफलता दीर्घकालीन विनियेागो के निर्णयों की गुणवत्ता पर निर्भर होते है। पूंजी बजटिंग के अन्‍तर्गत उपलब्‍ध कोषों का विनियोग करने के पहले व्‍यापक जांच-पड़ताल व खोजबीन की जाती है। इससे पूंजीगत विनियोग के निर्णय गुणवत्ता पूर्ण हो जाते है। जो अन्‍तत: संस्‍था को लाभकारी सिद्ध होते है।

शायद यह जानकारी आपके काफी उपयोगी सिद्ध होंगी 

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