स्कन्ध या सामग्री नियंत्रण का अर्थ (skand niyantran kya hai)
सामग्री नियंत्रण के अन्तर्गत दो शब्दों का समावेश है : प्रथम सामग्री एंव द्वितीय नियंत्रण अत: दोनो शब्दों के अर्थो को समझना जरूरी है--
1. सामग्री का अर्थ
सामग्री से तात्पर्य व्यापारिक संस्थाओं में विक्रय के लिए उपलब्ध माल अथवा वस्तुओं से है, जबकि किसी भी संस्थाओं में सामग्री से तात्पर्य कच्चा माल, अर्द्ध निर्मित माल एंव निर्मित माल से है। कच्चे माल से तात्पर्य ऐसी सामग्री से हैं जिसे उत्पादन प्रक्रिया द्वारा निर्मित माल के रूप में परिवर्तित किया जाना है। अर्द्धनिर्मित माल से तात्पर्य ऐसे माल से है। जो न तों कच्चे माल के रूप में है और न ही पूर्ण रूप से निर्मित माल के रूप में है। इसी प्रकार निर्मित माल से तात्पर्य ऐसे माल से है जिसका कि रूप परिवर्तित किया जा चुका है एंव यह उपयोग योग्य हो।
2. नियंत्रण का अर्थ
नियंत्रण के अन्तर्गत दो प्रमुख बातें सम्मिलित है-- प्रथम इकाई अथवा मौलिक नियंत्रण एंव द्वितीय मूल्य नियंत्रण इकाई अथवा मौलिक नियंत्रण का सम्बन्ध मुख्य रूप से उत्पादन विभाग से सम्बन्धित होता है। इन विभागों का प्रमुख उद्देश्य उत्पादन हेतु आवश्यक मात्रा में समयानुसार सामग्री की व्यवस्था का निर्गमन एंव प्रदाय करने से होता है। ये विभाग रूपसे सामग्री नियंत्रण अर्थ सामग्री के मौलिक प्रबन्ध से ही लगातें है। अत: सर्वोत्तम क्रय व्यवस्था, सर्वोत्तम भण्डार व्यवस्था, सामग्री की सुरक्षा, चोरी गबन से बचाव इत्यादि को स्टोर्स नियंत्रण के अन्तर्गत सम्मिलित किया जाता है। दूसरी ओर उपक्रम का वित्त विभाग मुख्य रूप से सामग्री के मूल्य नियंत्रण ही अधिक ध्यान देता है क्योकि इसका प्रमुख उद्देश्य सामग्री में विनियोजित पूंजी का कुशलता प्रबन्ध करना है। अत: इस सम्बन्ध में वित्त विभाग सामग्री में लगने वाली पूंजी की मात्रा लागत एंव लाभ जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार किया जाता है। दूसरे शब्दों में वित्तीय प्रबन्धक मूल्य नियंत्रण पर अधिक ध्यान देते है।
संक्षेप में सामग्री नियंत्रण से तात्पर्य कच्चे माल, अर्द्ध निर्मित माल तथा निर्मित माल की मात्रा इकाई अथवा भौतिक नियंत्रण एंव मूल्य नियंत्रण से सम्बन्धित है सामग्री नियंत्रित मुख्य रूप से क्रय विभाग, भण्डार विभाग, उत्पादन विभाग एंव विपणन विभाग के कार्य-कलापों द्वारा नियंत्रित होता है। प्रत्येक विभाग सदैव इस बात का प्रयास करते है कि उन्हें प्रर्याप्त मात्रा में एवं सस्ती दरों पर स्कंध की उपलब्धि हो जिससे उद्योग का कार्य व्यवस्थित एंव नियंत्रित रखकर आधिकाधिक लाभ कराया जा सके।
सामग्री नियंत्रण के उद्देश्य अथवा कार्य
प्रत्येक उद्योग की लाभदायकता एंव व्यवस्थित सामग्री नियंत्रण पर निर्भर करता है। सामग्री नियंत्रण का प्रमुख उद्देश्य सामग्री की उचित समय पर उचित संसाधन से उचित मात्रा में गुण स्तर की तथा उचित मूल्य पर व्यवस्था करना है। संक्षेप में सामग्री नियंत्रण के नीचे लिखे प्रमुख उद्देश्य है--
1. उपक्रम का उत्पादन, विक्रय एंव वित्तीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम स्टाक की पूर्ति करना।
2. स्ंकध की बर्बादी एंव दूरूपयोग तथा धोखाधडि़यों से रोक।
3. पूंजी का प्रभावशाली एंव मितव्ययी प्रयोग।
4. निर्माणी क्षमता का सम्पूर्ण विकास।
5. क्रय में मितव्ययिता।
6.ग्राहकों को सर्वोत्तम सेवा का सुविधांए।
7. उपक्रम में हानियों एंव जोखिमों को न्यूनतम करना।
उपरोक्त समस्त उद्देश्यों की पूर्ति का प्रमुख आधार यह है कि उपक्रम में विभिन्न विभागों की आवश्यकतानुसार पर्याप्त मात्रा में स्कंध उपलब्ध हो, स्कंध का न तों अधिक संग्रह हो और न ही कम। जहां समयानुसार पर्याप्त उपलब्धि होने के कारण उत्पादन की मात्रा प्रभावित होती है वहीं दूसरी ओर अधिक स्कंध में आवश्यकता से अधिक कार्यशील पूंजी विनियोजित होती है जिसका सीधा प्रभाव लाभदायकता पर होता है। अत: स्कंध नियंत्रण का प्रमुख उद्देश्य उचित समय पर उचित मात्रा में स्टाक की उपलब्धि है।
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