समुद्रगुप्त की उपलब्धियां/विजय या सफलताएं
समुद्रगुप्त गुप्त सम्राट प्रथम और कुमारदेवी का पुत्र था। समुद्रगुप्त ने वीरता और रण-कौशलता से साम्राज्य की सीमाये उत्तर-पश्चिम के सीमान्त राज्यों से दक्षिण और पूर्व पश्चिम के समुद्रो तक फैलाई। समुद्रगुप्त एक महान विजेता था। इतिहासकार स्मिथ ने समुद्रगुप्त को " भारतीय नेपोलियन " कहकर उसकी विजयों को सम्मान दिया।
1. आर्यावर्त (उत्तर भारत) का प्रथम अभियान
समुद्रगुप्त ने सर्वाप्रथम आर्यावर्व (उत्तर भारत) के नौ राज्यों को पराजित किया। आर्यावर्त अर्थात् विन्ध्य तथा हिमालय के बीच की भूमि। समुद्रगुप्त ने समस्त उत्तरी भारौ के राजाओं को विजित करके एकछत्र राज्य की स्थापना की। आर्यावर्त मे समुद्रगुप्त के सैन्य अभियानों ने उसे सम्पूर्ण गंगा घाटी के साथ-साथ चमर्णवती नदी के पूर्व से लेकर दक्षिण मे एरण तक फैले हुए विशाल क्षेत्र का स्वामी बना दिया। आर्यावर्त गुप्त साम्राज्य का ह्रदय स्थल था। इसे सुरक्षित बनाने के लिए समुद्रगुप्त ने इसके चारों ओर करद राज्यों का एक घेरा बना दिया था।
2. आटविक राज्यो पर विजय
समुद्रगुप्त ने उत्तरी भारत के राज्यों पर विजय प्राप्त करने के बाद विन्ध्य प्रदेश के आटविक राजाओ पर विजय प्राप्त की। समुद्रगुप्त से आठ आटठिक राजाओं को परास्त कर उन्हे अपना परिचय दिया। समुद्रगुप्त ने इनको पराजित कर इन्हें अपने साम्राज्य मे शामिल नही किया बल्कि इन्हें आधीन अपना अधीन राज्य बना लिया।
3. दक्षिण के राज्य
दक्षिण के 12 राज्यों पर समुद्रगुप्त ने विजय प्राप्त कर अपनी प्रभुसत्ता को स्वीकार करवाया। उसने विजित राजाओ को अपना बंदी बना लिया और फिर उनके अनुग्रह करने पर उन्हें मुक्त कर दिया।
4. पूर्वी सीमान्त राज्य
समुद्रगुप्त ने आसाम, ढाका, कामरूप और कर्तपुर के पांच राज्य जो साम्राज्य की पूर्वी सीमा पर थे, उन्हें भयभीत करके और कुछ को पराजित कर उन्हे अपने सामंतराज्य बनाये।
5. गणराज्य
समुद्रगुप्त ने सर्वाधिक उदार और अच्छा व्यवहार नौ स्वशासित और स्वतंत्र गणराज्यों से किया। इन्हें समुद्रगुप्त ने अपना मित्र माना। इनमे मध्यप्रदेश, राजस्थान और पंजाब के गणराज्य प्रमुख थे। इनमे मालव, अर्जुनायन, प्रार्जुन आदि राज्य थे।
6. उत्तर पश्चिम सीमान्त के राज्य
यह राज्य भारत की पश्चिमी सीमा पर थे। इनमे कुछ समय यूनानी शासन रह चुका था तथा इस समय शाही कुषाणों और शंको के राज्य थे। समुद्रगुप्त ने इन राज्यों से आत्मसमर्पण करवाये, आधीनता स्वीकार करने को विवश किया किया तथा अपने सैनिक बल से इन्हे सदैव आतंकित बनाये रखा तथा सीमान्त पर सदैव अपनी सेना, चौकसी और आक्रामण की तैयारी रखी। इस वजह से सीमान्त राज्य दबे रहे और मित्रता प्रगट करते रहे।
7. विदेशी राज्यो से सम्बन्ध
भारत की सीमा के आसपास गुप्त साम्राज्य की सामाओं से लगे कुछ विदेश राज्य थे। समुद्रगुप्त की भारतीय विजयो की कीर्ति विदेशी राज्यो तक फैल गई थी। विदेशी राज्य उससे मित्रता करने के लिए उत्सुक रहने लगे थे। समुद्रगुप्त कुटनीतिज्ञ था वह अपने साम्राज्य की सीमाओं से परे के राज्यों के साथ मैत्री सम्बन्ध रखना चाहता था। उसने विदेशी शासको से विविध शर्तो पर सेवा और सहयोग की सन्धियाँ की। समुद्रगुप्त ने श्रीलंका के राजा मेघवर्ण से सदैव घनिष्ठ मित्रता रखी तथा उसको सुरक्षा एवं मदद के आश्वासन दिये तथा बौद्ध गया मे श्री लंका को बौद्ध विहार बनवाने की अमुमति दी।
8. अश्वमेघ यज्ञ
समुद्रगुप्त ने अपनी विजयों के बाद अश्वमेघ यज्ञ किया जिसका परिचय सिक्कों और उसके उत्तराधिकारियों के अभिलेखों से मिलता है।
समुद्रगुप्त की नेपोलियन से तुलना
स्मिथ महोदय ने समुद्रगुप्त के कार्यक्रम का मूल्यांकन करते हुए टिप्पणी की थी कि " समुद्रगुप्त भारत का नेपोलियन था।" लेकिन यह टिप्पणी समुद्रगुप्त की नेपोलियन से तुलना के लिए नही की गयी थी, बल्कि विश्व इतिहास मे नेपोलियन की महानता को जिस तरह रेखांकित किया गया है, स्मिथ महोदय भारतीय इतिहास मे समुद्रगुप्त को उसी महत्व से रेखांकित करना चाहते थे।
समुद्रगुप्त को " भारतीय नेपोलियन " कहा जाता है। नेपोलियन ने समस्त यूरीपीय प्रदेश पर आक्रमण कर उन्हे अपने अधीन बनाया था, उन पर अत्याचार किये, अपने आदेश थोपे और अंत मे यूरोपिय संघ से अनेक बार अनेक युद्धों मे पराजित हुआ। परन्तु समुद्रगुप्त ने पराजितो के साथ सदैव अच्छा व्यवहार किया। उसकी नीति सद्भावना, भारत की सांस्कृतिक एकता पर निर्भर थी। वह विदेशी शत्रुओं के प्रति अत्यधिक कठोर था तथा भारतीय और विदेशी मित्रों के लिये घनिष्ठ मित्र था। नेपोलियन मे इन गुणों का पूर्णतः अभाव था। समुद्रगुप्त जीवन मे कभी पराजित नही हुआ और न उसने नेपोलियन के समान उसने साम्राज्य का त्याग किया, न कभी शत्रुओ द्वारा अपमानित होकर समुद्रगुप्त कभी बंदी बनाया गया। नेपोलियन के प्रति यूरोप घृणा करता था परन्तु समुद्रगुप्त का प्रत्येक राज्य मे आदर सम्मान था। अतः नेपोलियन से समुद्रगुप्त की तुलना करना अनुचित है। समुद्रगुप्त नेपोलियन से वीरता, साम्राज्य विस्तार, आदर्श, उदारता, संगीत, कला और प्रशासन आदि सभी गुणो मे बहुत अधिक श्रेष्ठ था।
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Usake aage ka jiwan byayit
जवाब देंहटाएंPlease spellingmistake sahi kre Bahut hi spelling galat h
हटाएंGood answer
जवाब देंहटाएंSamudr gupt
जवाब देंहटाएंसमुद्र गुप्त कि उपलब्धि
जवाब देंहटाएंAap kisi bhi sawal ka jvab shi tarike se de kyu jo chij ham Janna chate hai vo hme shi tarike se samjh nhi aati esi liye Jo pucha Jaye usi ka jvab milna chahiye naa ki puri jankari
जवाब देंहटाएंindia
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