चालुक्य कौन थे? चालुक्य वंश की उत्पत्ति
चालुक्य वंश का उदय छड़ी शती के प्रारम्भ मे हुआ होगा। इनकी उत्पत्ति का प्रश्न विवादास्पद है। उनकी कई शाखाएं इतिहास के पटल पर दिखाई देती है। इनमे तीन शाखायें प्रसिद्ध है--
1. वातापी (बादामी) पश्चिमी चालुक्य (550 से 750 ई.)
2. कल्याणी के उत्तरकालीन चालुक्य (950-1100 ई.)
3. वेंगी के पूर्वी चालुक्य (600 से 1200 ई.)
उक्त तीनो शाखाओ मे वातापी वंश के चालुक्य सबसे महत्वपूर्ण है।
चालुक्यों की उत्पत्ति के सम्बन्ध मे कई मत प्रतिपादित किए गए है--
1. चालुक्य चंद्रवंशीय क्षत्रिय थे।
2. राजतरंगिणी के अनुसार चालुक्यों की उत्पत्ति ब्रह्रा के चुलूक से हुई थी।
3. पृथ्वीराजरासो के अनुसार चालुक्यों की उत्पत्ति आबू पर्वत पर वशिष्ठ द्वारा संपन्न यज्ञ के हवन कुंड से हुई थी।
4. यह गुर्जरों की एक शाखा थी।
5. यदुनाथ सरकार चालुक्यों को कन्नड़ जाति के मानते है।
6. ह्रेनसांग ने चालुक्यों को क्षत्रिय कहा है।
चालुक्यों की उत्पत्ति के सम्बन्ध मे डाॅ. वी. एस. भार्गव निष्कर्ष रूप मे लिखते है," चालुक्यों की उत्पत्ति के सम्बन्ध मे निश्चयपूर्वक कुछ नही कहा जा सकता, तथापि यह निश्चित है दक्षिण मे चालुक्य वंश की राजसत्ता की नींव डालने वाला जयसिंह था। वह एक पराक्रमी राजा था जिसने राष्ट्रकूटों और कदम्बों से युद्ध किया तथा अपने लिए एक छोटा सा राज्य स्थापित किया। अधिकांश इतिहासकार इस विचार से सहमत है कि चालुक्य उत्तरी भारत के क्षत्रिय कुलों के ही थे और दक्षिण भारत मे आने ने पहले राजस्थान मे रहते थे। छठीं शताब्दी मे वे दक्षिण भारत मे बस चुके थे और अनुकूल परिस्थितियों का लाभ उठाकर उन्होंने अपने राजवंश की स्थापना की।
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