बेरोजगारी
bharat me berojgari ke kya karan hai;भारत की प्रमुख समस्याओं मे से एक हैं बेरोजगारी की समस्या हैं। बेरोजगारी एक प्रकार से निर्धनता है को की एक वैश्विक सामाजिक समस्या है। सभी देशों में बेरोजगारी के भिन्न-भिन्न कारण हो सकते है। विकसित और विकासशील देशों में बेरोजगारी के कारण भिन्न-भिन्न हो सकते है। भारत एक विकासशील देश है अर्थात् भारत अभी विकास की और बढ़ रहा है। आज के इस लेख मे हम भारत मे बेरोजगारी के कारण जानेंगे।
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बेरोजगारी श्रम की मांग और पूर्ति की असंतुलित अवस्था का परिणाम है। बेरोजगारी को दूर करने के लिए भारत सरकार ने समय-समय पर अनेक प्रयास किए है। भारत सरकार ने रिक्तियों की अनिर्वार्य अधिसूचना अधिनियम 1959 के तहत पूरे भारत में रोजगार कार्यालय खोले। इन कार्यलयों का उद्देश्य रोजगार की सूचना एवं रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से खोले गए है। सन् 2011 की जनगणना के आँकड़ो के अनुसार भारत की युवा आबादी का 20% यानि 4.7 करोड़ पुरूष और 2.6 करोड़ महिलाएं पूरी तरह से बेरोजगार है।भारत में बेरोजगारी के कारण
भारत में बेरोजगारी के मुख्य कारण निम्न प्रकार से है--
1. दोषपूर्ण शिक्षा प्रणालीभारत में बेरोजगारी की समस्या का एक कारण भारत की दोष पूर्ण शिक्षा प्रणाली भी रही है। भारतीय विद्यालयों में किताबी शिक्षा दी जाती है। भारत की शिक्षा प्रणाली में व्यवहारिक शिक्षा का अभाव रह है। विद्यार्थियों को श्रम का महत्व भी नही बतलाया जाता है जिससे उनमें श्रम करने के प्रति उदासीनता रहती है।
2. कृषि का पिछड़ापन
भारत एक कृषि प्रधान देश है भारत की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा भाग कृषि से ही आता है। भारत में ग्रामीण समाज की आजीविका का मुख्य साधन कृषि ही है। लेकिन आज जनसंख्या की अधिकता, खेती को उन्नत करने के लिए पूंजी की कमी। तकनीकी अभाव आदि कारणों से भारत कृषि से पिछड़ रहा है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है भारत की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा भाग कृषि से ही आता है। भारत में ग्रामीण समाज की आजीविका का मुख्य साधन कृषि ही है। लेकिन आज जनसंख्या की अधिकता, खेती को उन्नत करने के लिए पूंजी की कमी। तकनीकी अभाव आदि कारणों से भारत कृषि से पिछड़ रहा है।
3. उदारीकरण
1991 में नई आर्थिक नीतियों को अपनाने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था मे बेहद बदलव आए। उदाकरीकरण के इस दौर मे बड़े उधोग-धंधो के आने से विदेशी मुद्रा भंडार तो बढ़ा लेकिन छोटे उधोग-धंधो मे लगे कामगारों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई।
1991 में नई आर्थिक नीतियों को अपनाने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था मे बेहद बदलव आए। उदाकरीकरण के इस दौर मे बड़े उधोग-धंधो के आने से विदेशी मुद्रा भंडार तो बढ़ा लेकिन छोटे उधोग-धंधो मे लगे कामगारों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई।
4. नये रोजगार के अवसरो का अपर्याप्त होना
तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण रोजगार के अवसर भी बढ़ने चाहिए लेकिन ऐसा नही हो रहा हैं रोजगार के अवसरों मे वृद्धि नही हो पा रही हैं।
तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण रोजगार के अवसर भी बढ़ने चाहिए लेकिन ऐसा नही हो रहा हैं रोजगार के अवसरों मे वृद्धि नही हो पा रही हैं।
5. जनसंख्य वृध्दि
भारत की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। विश्व में जनसंख्या के मामले में भारत का दूसरा स्थान है। 2011 की जनगणन के आँकड़ो के मुताबिक 11% यानी की 12 करोड़ लोगों को रोजगार की तलाश है। भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है और खेती दिनों-दिनों छोटी होती जा रही है। खेती पर जनसंख्या का दवाब तेजी से बढ़ रहा है। अगर इसे समय रहते नही रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलगे है।
भारत की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। विश्व में जनसंख्या के मामले में भारत का दूसरा स्थान है। 2011 की जनगणन के आँकड़ो के मुताबिक 11% यानी की 12 करोड़ लोगों को रोजगार की तलाश है। भारत में जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है और खेती दिनों-दिनों छोटी होती जा रही है। खेती पर जनसंख्या का दवाब तेजी से बढ़ रहा है। अगर इसे समय रहते नही रोका गया तो इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलगे है।
6. मशीनीकरण
बेरोजगारी को बढ़ने में मशीनीकरण का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जो काम एक व्यक्ति 10 दिन में करता है वह काम एक मशीन 1 घंटे मे कर देती है। इस प्रकार मशीनीकरण भी बेरोजगारी की समस्या का एक प्रमुख कारण है।
बेरोजगारी को बढ़ने में मशीनीकरण का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जो काम एक व्यक्ति 10 दिन में करता है वह काम एक मशीन 1 घंटे मे कर देती है। इस प्रकार मशीनीकरण भी बेरोजगारी की समस्या का एक प्रमुख कारण है।
7. दोष पूर्ण आर्थिक नियोजन
बेरोजगारी का एक कारण दोष पूर्ण आर्थिक नियोजन का भी होने है। बिजली, सड़क, यातायात, संचार, आदि सुविधाओं की कमी या अभाव के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के लोग नगर की और पलायन करने लगते है जिसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसरों की उपलब्धता में कमी आ जाती है।
बेरोजगारी का एक कारण दोष पूर्ण आर्थिक नियोजन का भी होने है। बिजली, सड़क, यातायात, संचार, आदि सुविधाओं की कमी या अभाव के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के लोग नगर की और पलायन करने लगते है जिसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसरों की उपलब्धता में कमी आ जाती है।
8. विकास की धीमी गति
पंचवर्षीय योजनाओं मे विकास की दर लक्ष्य से नीची रही है इससे रोजगार के अवसरो मे अधिक वृद्धि नही हो पाई है।
9. पूंजी का अभाव
कृषकों की आय कम होने से बचत नही हो पाती। इससे पूंजी विनियोग नही हो पाता और रोजगार के अवसर कम हो जाते है।
10. रोजगार मार्गदर्शन का अभाव
देश मे रोजगार के इच्छुक व्यक्तियों को सूचना न मिलने से अवसरों की जानकारी नही होती है। उन्हे सही मार्गदर्शन नही मिल पाता है।
11. श्रमिको मे गतिशीलता का अभाव
ग्रामीण जनता आज भी परम्परा, कुरीतियों व अंधविश्वासों मे जकड़ी हुई है। इसके कारण उनकी गतिशीलता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जहां रोजगार उपलब्ध है वे वहां भी नही पहुंच पाते।
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बहुत बढ़िया 👍👍👍
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