साम्राज्यवाद के लाभ या गुण (samrajyavad ke labh)
साम्राज्यवाद से अधिकारी देशों को निम्नलिखित लाभ होते हैं--
1. अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण से चाहे साम्राज्यवाद की अत्यधिक आलोचना की जाए किन्तु साम्राज्यवाद ने अपने राज्य और देशवासियों के हित के लिए हमेशा ही कार्य किया हैं। साम्राज्य की प्राप्ति से साम्राज्यवादी देश के लिए सुरक्षित मण्डियाँ और कच्चे माल की पूर्ति दोनों ही प्राप्त हो जाते हैं। इससे देश के सम्मान में वृद्धि होती हैं।
2. सामाजिक दृष्टि से साम्राज्यवाद की यह मान्यता है कि कर्मशील जातियों के हित में यह आवश्यक है कि वे अपने कार्यकुशलता को छोटी जातियों से युद्ध करके और बराबर की जातियों से व्यापार मार्गों, कच्चे माल और खाद्य सामग्री प्राप्त करने में संघर्ष द्वारा उच्च शिखर पर रखें। मानव तथा समाज के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न परिपाटियों वाली भिन्न चरित्र और सभ्यता वाली जातियों में निरंतर संघर्ष चलता रहे।
3. प्राणीशास्त्रीय दृष्टिकोण से भी साम्राज्यवाद का समर्थन किया जाता है। इसका आधार यह है कि मानव इतिहास में शक्तिशाली जातियों ने समय-समय पर अन्य जातियों को पद-दलित किया हैं, दास बनाया है और समाप्त कर दिया हैं।
4. नैतिक दृष्टि से यह माना जाता हैं कि प्राचीनकाल में बलवानों द्वारा निर्बलों पर विजय प्राप्त करना प्रगति का प्रतीक माना जाता था। इसलिए यह परिपाटी निरंतर चलती रहनी चाहिए।
5. धार्मिक आधार पर कहा जाता हैं कि यूरोप में साम्राज्यवाद ने पिछड़ी हुई जातियों को पाश्चात्य सभ्यता का वरदान और ईसाई धर्म की शिक्षा दी हैं।
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साम्राज्यवाद से हानियाँ/दोष (samrajyavad ke dosh)
साम्राज्यवाद से निम्नलिखित हानियां होती हैं--
1. साम्राज्यवाद अनेक युद्धों का जन्मदाता तथा मानव समाज पर दुःख लाने के लिए उत्तरदायी रहा हैं।
2. साम्राज्यवाद विश्वशांति की स्थापना में बहुत बाधक रहा है। यदि साम्राज्यवाद का अस्तित्व बना रहने दिया गया तो युद्ध अवश्यम्भावी है। इस तथ्य कुछ पुष्टि हिटलर तथा मुसोलिनी द्वारा अपनाई गई साम्राज्यवादी नीति से होती हैं।
3. साम्राज्यवाद विजितों के चरित्र का पतन करता है तथा उनका शोषण करता है। परिणामतः इस प्रकार के शासन में समानता तथा स्वतंत्रता के लिए कोई स्थान नहीं हैं। साम्राज्यवाद में विजितों की संस्कृति की पवित्रता, विभिन्नता तथा गुणों का सम्मान नहीं होता। इसका मूल आधार शक्ति हैं, बुद्धि नहीं।
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