5/19/2022

साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद में अंतर

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साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद में अंतर 

samrajyavad aur upniveshvad mein antar;औद्योगिक उत्पादन की तीव्र गति ने यूरोप में तीव्र औद्योगिक आर्थिक विकास के साथ एक बड़े बाजार और उत्पादन के लिए कच्चे माल की मांग भी राजनैतिक इकाईयों के समक्ष प्रस्तुत की। इन दो प्रमुख कारकों ने यूरोप के प्रमुख औद्योगिक देशों को राजनैतिक विस्तार के कारण उपलब्ध कराए जिसकी परिणति साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के रूप में सामने आयी। कई चिन्तक और विद्वान साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद को एक ही मानते हैं तथापि इनमें गहरा जुड़ाव होने के बाद भी इनमें कुछ प्रकृतिजन्य भिन्नता निहित है। यह तथ्य भी उतना ही सत्य है कि अठारहवीं में उभरने और उन्नीसवीं शताब्दी में विस्तार पाने वाले साम्राज्यवाद की उत्कंठा ने ही एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों को यूरोपीय देशों के उपनिवेश के रूप में परिणीत कर दिया।

साम्राज्यवाद उपनिवेशवाद के मध्य निम्नलिखित अंतर हैं-- 

1. साम्राज्यवाद अधिक संगठित, आर्थिक, सैनिक और अधिक जानबूझकर की गई सैनिक आक्रमण कार्यवाही हैं, लेकिन उपनिवेशवाद धीरे-धीरे अधिकार जमाने की नीति हैं। 

2. साम्राज्यवाद उपनिवेशवाद की उपेक्षा अधिक प्राचीन है तथा युद्धों द्वारा विजय प्राप्त कर अपने राज्य के विस्तार से संबंधित धारणा हैं। उपनिवेशवाद अपेक्षाकृत नई विचारधार हैं।

3. साम्राज्यवाद का स्वरूप राजनीतिक अधिक होता हैं, लेकिन उपनिवेशवाद का स्वरूप मूलतः आर्थिक हैं। 

4. उपनिवेशवाद में एक देश के नागरिक दूसरे देश में बसते हैं और अपनी सांस्कृतिक व राजनीतिक संस्थाओं को वहाँ स्थापित कर लेते हैं। साम्राज्यवाद में यह भावना कम होती हैं। 

5. उपनिवेशवाद में मातृ देश का नियंत्रण साम्राज्यवाद से अपेक्षाकृत ढीला होता हैं। 

6. उपनिवेश क्षेत्रों को विकास के अवसर मिल जाते है। साम्राज्य के आधीन प्रदेश पिछड़े रहते हैं, क्योंकि शासक देश का उद्देश्य मात्र शासित का शोषण ही होता हैं। 

साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद दोनों ही बुराई ही हैं। वास्तव में साम्राज्यवाद की अभिव्यक्ति अनेक प्रकार से होती हैं तथा उपनिवेशवाद भी साम्राज्यवाद की अभिव्यक्ति का एक रूप हैं।

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आर्थिक साम्राज्यवाद का विकृत रूप वर्तमान उपनिवेशवाद 

साम्राज्यवाद शब्द का विकास सम्राट शब्द से हुआ है। इसमें एक देश-दूसरे देश पर आक्रमण कर अपने राज्य का विस्तार दूर-दूर तक करके अपने विशाल साम्राज्य की स्थापना कर लेता था। बाद में यह प्रवृत्ति विकसित हुई कि साम्राज्यवादी देश ने अपने अधीनस्थ के शोषण द्वारा अपने मूल देश की तरक्की की नीति अपनाई तथा बाद में उसने नये-नये क्षेत्रों और राज्य में यदि वहाँ उपयुक्त वातावरण मिला तो अपनि बढ़ी हुई जनसंख्या को बसाना भी शुरू कर दिया। इस प्रकार उपनिवेश (Colony) बने। पश्चिमी विकसित राज्यों ने अविकसित राज्यों के अनेक क्षेत्र में आधिपत्य स्थापित किया और वहाँ अपने उपनिवेश बसाये। जहाँ उन्हें वातावरण नहीं मिला वहाँ उन्होंने केवल शोषण कर अपने मूल राज्य का हित किया। 

इस प्रकार उपनिवेशवाद आधुनिक, आर्थिक साम्राज्य का ही विकृत रूप हैं। जब शासक जातियों ने जीते हुये प्रदेशों में बसना प्रारंभ कर दिया तो इस प्रकार उपनिवेशीकरण (Colonization) का प्रारंभ हुआ। 

कुछ विद्वानों ने उपनिवेशीकरण और उपनिवेशवाद में भी भेद बताया हैं। फ्रांसीसी विद्वान रेमी आरो ने लिखा हैं," उपनिवेशीकरण से अभिप्राय एक राष्ट्र और दो जातियों से हैं, जैसे दक्षिणी अफ्रीका व रोडेशिया आदि में हुआ। जबकि उपनिवेशवाद से अभिप्राय दो राष्ट्र और दो जातियों से हैं। उपनिवेशवाद में शासक देश अल्पसंख्यक व्यक्ति साम्राज्यवादी सत्ता के प्रतिनिधि के रूप में उपनिवेशों में शासन चलाते हैं।" 

उदाहरण के लिये, ब्रिटेन ने भारत में यही किया। इस प्रकार 15 अगस्त, 1947 तक भारत ब्रिटेन का एक उपनिवेश था। 

अतः उपनिवेशवाद (Colonism) की परिभाषा प्रसिद्ध विद्वान बेबस्टर ने अपनी प्रसिद्ध डिक्सनरी में इन शब्दों में दी हैं," उपनिवेशवाद उन आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक नीतियों का नाम है जिन पर चलकर कोई साम्राज्यवादी शक्ति दूसरे क्षेत्रों अथवा लोगों पर अपना नियंत्रण बनाये रखना तथा उसका विस्तार करना चाहती हैं।"

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