5/21/2022

अन्तर्राष्ट्रीय नैतिकता का अर्थ, परिभाषा, नियम

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प्राचीनकाल में युद्धों के दो प्रकार प्रचलित थे-- धर्मयुद्ध एवं कूटयुद्ध। धर्मयुद्ध नैतिक नियमों के आधार पर होता था; जबकि कूटयुद्ध में धोखाधड़ी एवं छल-छद्मपूर्ण साधनों का प्रयोग वर्जित नहीं था तथा न नैतिक नियमों का पालन करना ही आवश्यक माना जाता था। इस तरह अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के संचालन में दो दृष्टिकोण प्रचलित थे। प्रथम दृष्टिकोण की मान्यता थी कि उचित साधनों द्वारा ही उचित साध्य की प्राप्ति की जा सकती हैं। अर्थात् राज्य को हमेशा अच्छा तथा नैतिकतापूर्ण आचरण करना चाहिए एवं अपने लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सिर्फ वैध साधनों का ही प्रयोग करना चाहिए। द्वितीय सिद्धांत की मान्यता थी कि साध्य ही साधनों का औचित्य हैं। अर्थात् इश्क और जंग में सब कुछ जायज हैं। अतएव लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अनुचित, अवैध एवं बूरे साधनों का प्रयोग करने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए  

अन्तर्राष्ट्रीय नैतिकता का अर्थ (antarrashtriya naitikta kya hai)

नैतिकता का अर्थ हैं औचित्य-अनौचित्य एवं अच्छाई अथवा बुराई पर विचार करने के बाद उचित और सद् मार्ग को चुनना। अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता का तात्पर्य हैं कि राष्ट्र कतिपय नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए वे ही कार्य करें जो उचित हों। वास्तविकता यह हैं कि अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता उन मापदण्डों एवं मूल्यों का संकलन होता हैं, जिनका दूसरे राष्ट्रों से व्यवहार करते समय पालन करना राष्ट्र तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा जरूरी माना जाता हैं।

नैतिका की परिभाषा 

मनोवैज्ञानिक आधार पर," मूल्य दृष्टिकोण तथा अभिलाषाएं हैं। अच्छा, सच्चा एवं यथार्थ क्या हैं? इसकी निर्णायक स्वयं व्यक्ति की अन्तरात्मा हैं।" 

समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अनुसार," जिसे सभी अच्छा मानते हैं, उसे अच्छा कहा जाना चाहिए। इस संदर्भ में अच्छाई का निर्धारण परम्परा, विचार एवं पुरातन मान्यताओं के आधार पर होता हैं।" 

वैज्ञानिक मान्यता यह हैं," जो भी अपरिहार्य है उसे स्वीकार किया जाना चाहिए।" अर्थात् नैतिकता कतिपय मूल्‍यों का संग्रह हैं। 

इस दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता का अर्थ हैं-- अन्तर्राष्ट्रीय मानदण्डों तथा मूल्‍यों का ऐसा संग्रह जिसे राज्य पास्परिक व्यवहार में पालन करना, जरूरी समझें। ये मूल्य और मानदंड चाहे राष्ट्रों की इच्छाएं एवं अभिलाषाएं हों या सामाजिक रूढ़ियों तथा परम्पराओं पर आधारित हों। यथार्थ में ये मानदंड तथा मूल्‍य विज्ञान एवं तकनीकी विकास में अनवरत प्रभावित होते हैं और परिवर्तित होते रहते हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय नैतिकता के नियम 

अन्तर्राष्ट्रीय नैतिकता का पालन विभिन्न राष्ट्रों के द्वारा किया जाता हो या नहीं तथापि इन नियमों का अस्तित्व इस बात का द्योतक हैं कि इन नियमों का पालन किया जाना चाहिए। ये नियम निम्नलिखित हैं-- 

1. राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु अमानवीय कार्यों को अनुचित माना जाता हैं। 

2. युद्धकाल में जनसाधारण के जीवन को सुरक्षा प्रदान की जाये। 

3. ऐसे साधनों से शत्रु के प्राण लेना वर्जित हैं, जिसके द्वारा अनावश्यक रूप से पीड़ा होती हो। हेग नियमों के अनुसार इस दृष्टि से विष का एवं अनावश्यक हानि पहुँचाने वाले जलता हुआ द्रव पदार्थ डालने वाले हाथियारों, अग्निबाणों का प्रयोग वर्जित हैं। 

4. शत्रुपक्ष द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले जलस्त्रोतों, कुओं, पम्पों, नदियों को विषैला नहीं बनाया जा सकता। 

5. योद्धाओं को धोखे से मारा या घायल नहीं किया जा सकता।

6. वध के लिए हत्यारों को किराये पर नहीं रखा जा सकता। 

7. जनता के विरूद्ध कार्यवाही सिर्फ तभी की जानी चाहिए, जबकि सत्ताधारी को सामूहिक विश्वेह की संभावना हो। 

8. जहाँ तक संभव हो सके, शस्त्रहीन नागरिकों के शरीर, सम्पत्ति तथा सम्मान को क्षति नहीं पहुँचाई जानी चाहिए। 

9. सेना से सम्बन्धित सभी बीमार तथा घायलों का संरक्षण तथा देखभाल होनी चाहिए। 

10. युद्ध में अणुबमों का प्रयोग वर्जित होना चाहिए।

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