5/17/2022

राष्ट्रीय शक्ति का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं

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प्रश्न; राष्ट्रीय शक्ति क्या हैं? 

अथवा" राष्ट्रीय शक्ति की अवधारणा पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।  

अथवा" राष्ट्रीय शक्ति से आप क्या समझते हैं? 

अथवा" राष्ट्रीय से क्या आशय स्पष्ट कीजिए तथा राष्ट्रीय शक्ति की विशेषताएं बताइए।

अथवा" राष्ट्रीय शक्ति की परिभाषित कीजिए।

उत्तर-- 

अंतरराष्ट्रीय राजनीति को सबसे अधिच प्रभावित करने वाला तत्व 'शक्ति' हैं। यदि यह कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति शक्ति की राजनीति हैं। शक्ति से यहाँ तात्पर्य 'राष्ट्रीय-शक्ति' से हैं। राष्ट्रीय-शक्ति ही हैं जिसे प्रत्येक राज्य अर्जित कर अपनी समस्याओं को इसके बल पर हल करने का प्रयत्न करता रहता हैं। प्रश्न यह उत्पन्न होता हैं कि यह 'राष्ट्रीय-शक्ति' क्या हैं? 

राष्ट्रीय शक्ति का अर्थ (rashtriya shakti kya hai)

वास्तव में 'राष्ट्रीय शक्ति' आधुनिक राज्य व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग हैं। किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा तथा राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के लिये यह शक्ति बहुत आवश्‍यक हैं। 

राष्ट्रीय शक्ति को कई विद्वानों ने विविध प्रकार से पारिभाषित किया हैं। किसी राष्ट्र की क्षमता जिसके बल पर वह दूसरे राष्ट्रों को प्रभावित कर सके, राष्ट्रीय शक्ति कहलाती हैं। राष्ट्रीय शक्ति के दो मुख्य हैं-- 

1. आत्म-रक्षा, 

2. अपने प्रभाव की वृद्धि। 

आधुनिक युग में अन्तर्राष्ट्रीय व्यवहार को शक्ति के रूप में ही समझा जा सकता हैं। चाहे राष्ट्रीय राजनीति हो या अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, शक्ति दोनों में ही निहित होती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के संघर्ष शक्ति से ही सुलझाये जा सकते हैं और संसार के सब नीति-नियम शक्ति द्वारा ही निर्धारित होते हैं। 

राज्य का आधार शक्ति हैं। शक्ति के बल पर ही वह टिका हुआ हैं और विकसित होता हैं तथा इसी शक्ति के बल पर उसका मूल्यांकन होता हैं।

मार्गेन्थाऊ के अनुसार," राष्ट्रीय शक्ति कहने को तो समग्र जनता की सामूहिक शक्ति हैं, पर वास्तव में वह उन अधिकारियों के हाथ में रहती हैं, जो देश का शासन चलाते हैं। राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने का अर्थ नागरिकों की व्यक्तिगत शक्ति बढ़ना नहीं, अपितु सत्ताधारियों को शक्ति में वृद्धि से हैं।" 

राष्ट्रीय शक्ति की परिभाषा (rashtriya shakti ki paribhasha)

विलियम एबेन्सटीन के शब्दों में," राष्ट्रीय शक्ति जनसंख्या, कच्चा माल तथा मात्रात्मक तत्वों के योग से कहीं अधिक हैं। राष्ट्र की संयुक्त क्षमता उसके नागरिकों का देश-प्रेम, उसकी संस्थाओं का लचीलापन, उसका प्रावधिक ज्ञान, उसकी कष्ट सहने की क्षमता कुछ ऐसे गुणात्मक तत्व हैं जो किसी राष्ट्र की संपूर्ण शक्ति को निर्धारित करते हैं।" 

स्टोसिंजर के अनुसार," अंतरराष्ट्रीय राजनीति में शक्ति एक राष्ट्र की अपने मूर्त और अमूर्त संसाधनों का इस तरह से उपयोग करने की क्षमता है, जिससे अन्य राष्ट्रों के व्यवहार को प्रभावित किया जा सके।"

पैडेलफोर्ड और अब्राहम लिंकन के अनुसार," राष्ट्रीय शक्ति एक राज्य की उस शक्ति और सामर्थ्य का योग है , जो एक राज्य अपने राष्ट्रीय हितों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उपयोग में लाता हैं।" 

होलस्टी ने, राष्ट्रीय शक्ति को राज्य की उस सामान्य क्षमता के रूप में परिभाषित किया है जिसके अंतर्गत वह अन्य राज्य के आचरण को नियंत्रित करता है।"

ऑर्गेन्स्की के अनुसार, " शक्ति अपने लक्ष्यों के अनुरूप दूसरे राष्ट्रों के व्यवहार को प्रभावित करने की क्षमता है। जब तक कोई राष्ट्र यह नहीं कर सकता, चाहे वह कितना भी बड़ा या संपन्न क्यों न हो, शक्तिशाली नहीं कहा जा सकता है।" 

हार्टमैन के अनुसार, " राष्ट्रीय शक्ति एक राष्ट्र के राष्ट्रीय लक्ष्यों के पूर्ति की क्षमता को दर्शाता है। यह हमें बताता है की कोई राष्ट्र अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों सुरक्षा के लिए कितना शक्तिशाली या कमजोर है।" 

मार्गेथाऊ के अनुसार," राष्ट्रीय शक्ति राष्ट्र की वह शक्ति हैं, जिसके आधार पर कोई व्यक्ति दूसरे राष्ट्रों के कार्यों, व्यवहारों और नीतियों पर प्रभाव तथा नियंत्रण रखने की चेष्टा करता है। यह राष्ट्र की वह क्षमता है, जिसके बल पर वह दूसरे राष्ट्रों से अपनी इच्छा के अनुरूप कोई कार्य करा लेता हैं।" 

हाॅब्स कहते हैं कि," शक्ति वह बल है, जो एक राष्ट्र अपने हितों की पूर्ति के लिए दूसरे राष्ट्र पर डालता हैं।" 

इन परिभाषाओं के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि शक्ति वह क्षमता है जो एक राष्ट्र द्वारा अपने हितों की पूर्ति के लिए दूसरे राष्ट्र के विरूद्ध प्रयोग में लायी जाती हैं। वास्तव में राष्ट्रीय शक्ति राष्ट्र की वह क्षमता है जिसके आधार पर वह दूसरे राष्ट्र के व्यवहार को प्रभावित और नियन्त्रित करता है। यह अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में राज्य का संपूर्ण प्रभाव है। इस राष्ट्रीय शक्ति का निर्माण अनेक तत्वों से होता है जो एक-दूसरे से संबंधित होते हैं।

राष्ट्रीय शक्ति की विशेषताएं (rashtriya shakti ki visheshta)

राष्ट्रीय शक्ति की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-- 

1. अस्थायी स्वरूप 

राष्ट्रीय शक्ति के स्वरूप में स्थायित्व का अभाव पाया जाता हैं इसका कारण है कि समयानुसार इसके तत्वों में परिवर्तन होता रहता हैं। भारत की राष्ट्रीय शक्ति के स्वरूप में भी हमें महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलता हैं। पूर्वकाल में सैन्य दृष्टि से पिछड़े तथा सुरक्षा के प्रति आशंकित भारत की तुलना में वर्तमान भारत आज अपनि सैन्य क्षमता तथा सुरक्षा के प्रति आत्मविश्वास से परिपूर्ण हैं। 

2. तुलनात्मक स्वरूप 

राष्ट्रीय शक्ति के स्वरूप एवं स्तर को तुलनात्मक पद्धति से ही आँका जाता है। एक राष्ट्र की राष्ट्रीय शक्ति के एक तत्व की दूसरे राष्ट्र की राष्ट्रीय शक्ति के उसी तत्व से तुलना करते है। शक्तिशाली राष्ट्रों की शक्ति और क्षमता से तुलना करने पर ही किसी राष्ट्र को निर्बल कहा सकता है। इस तरह से निर्बल राष्ट्रों की शक्ति को ध्यान में रखकर ही किसी राष्ट्र को शक्तिशाली कहा जाता हैं। 

3. सापेक्षता 

जब एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के साथ अपने शक्ति-संबंधों में परिवर्तन करता है तो उन राष्ट्रों के अन्य संबंध भी स्वतः ही परिवर्तित हो जाते हैं। ऑर्गेन्स्की के शब्दों में," चाहे दो राष्ट्र मित्र हों अथवा शत्रु केवल सुयोग्य साथी हों या मिलकर लड़ते हों, मिलकर व्यापार करते हों या उनके केवल कुछ सांस्कृतिक हित एक जैसे हों, प्रत्‍येक राष्ट्र यह ध्यान रखता हैं कि दूसरा क्या कह रहा है तथा जिस क्षण राष्ट्र को ध्यान आता है उसी क्षण उसके पास दूसरे को प्रभावित करने की शक्ति आ जाती हैं।" 

उदाहरणार्थ, भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत और ब्रिटेन के संबंधों में स्वतः ही सापेक्ष परिवर्तन आ गया। 

4. शक्ति की दृष्टि से दो राष्ट्र समान नहीं होते 

जिस प्रकार दो व्यक्ति शक्ति की दृष्टि से पूर्ण रूप से समान नहीं हो सकते उसी प्रकार दो राष्ट्र शक्ति की दृष्टि से एक समान नहीं हो सकते। किसी भी देश की तुलना दूसरे देश से करने पर पूर्ण समानता नहीं पायी जा सकती हैं। एक देश दूसरे देश से या तो निर्बल होगा या सबल। राष्ट्रीय शक्ति की दृष्टि से न्यूनाधिक अंतर पाया जाना स्वाभाविक हैं। 

5. सभी तत्त्वों का समान महत्व 

राष्ट्रीय शक्ति के अनेक तत्त्व होते हैं। इन सभी तत्वों का महत्व समान होता हैं। यदि राष्ट्रीय शक्ति के किसी एक तत्व को अधिक और दूसरों को कम महत्व दिया जायेगा तो देश की विदेश नीति असफल रहेगी। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रायः भूलोग-राजनीति, राष्ट्रवाद और सैनिकवाद पर अधिक बल दिया जाता हैं जो राष्ट्रीय शक्ति के प्रतिनिधि न होकर केवल एक तत्व मात्र हैं। 

6. राष्ट्रीय शक्ति का सही मूल्यांकन संभव नहीं 

किसी भी राष्ट्र की शक्ति का सही मूल्यांकन संभव नहीं हैं क्योंकि किसी भी देश की शक्ति का सही आंकलन नहीं किया जा सकता। प्रायः यह देखा जाता है कि लोकतांत्रिक देश सामान्यतया दूसरे देशों की शक्ति को और सर्वाधिकारवादी देश दूसरे देश की शक्ति को कम आँकते है। अपनी शक्ति का सही मूल्यांकन अवश्य ही किसी भी राष्ट्र के लिए शक्ति का एक साधन सिद्ध होता हैं, जबकि गलत मूल्यांकन उसके लिए हमेशा विफलता का कारण सिद्ध होता हैं।

यह भी पढ़े; राष्ट्रीय शक्ति के तत्व, सीमाएं/प्रतिबंध लगाने वाले तत्‍व

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