प्रश्न; साम्राज्यवाद क्या हैं? तथा साम्राज्यवाद से आशय स्पष्ट कीजिए।
अथवा" साम्राज्यवाद किसे कहते हैं?
अथवा" साम्राज्यवाद से अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
अथवा" साम्राज्यवाद को परिभाषित कीजिए तथा साम्राज्यवाद की विशेषताएं बताइए।
उत्तर--
यद्यपि वर्तमान युग साम्राज्यवाद के पतन के बाद की शताब्दी है परन्तु राक्षस कभी मरता नहीं है वह नये-नये रूपों में प्रकट हो जाता है। यही हाल साम्राज्यवाद का है। यह ठीक है कि द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व का नग्न साम्राज्यवाद विगत की वस्तु बन चुका हैं। परन्तु उसके कई रूप यथा उपनिवेशवाद, नव साम्राज्यवाद या नव उपनिवेशवाद आज भी अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक समाज में मौजूद हैं और महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा हैं।
साम्राज्यवाद शब्द एक देश का दूसरे देश के ऊपर प्रभुत्व को सूचित करता है। साम्राज्यवाद एक ऐसी घटना है, जिसका विकास पूँजीवाद द्वारा हुआ और जिसने राज्य राष्ट्रों को दुनिया के दूसरे क्षेत्रों के साथ सम्बन्धों को प्रभावित किया साम्राज्यवाद अपने समय की राजनीतिक एवं आर्थिक प्रक्रियाओं का एक परिणाम है। साम्राज्यवाद न केवल अपने समय की राजनीति एवं अर्थव्यवस्था से संबद्ध है, बल्कि उनके उन परिणामों से भी सम्बद्ध है जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध को जन्म दिया।
इस प्रकार, साम्राज्यवाद राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन की एक ऐसी विशेषता बन गई, जिसका विश्व के विकास एवं मानव जाति के इतिहास पर काफी प्रभाव पड़ा। अपने आरम्भिक चरणों में साम्राज्यवाद उपनिवेशवाद के नाम से जाना जाता था।
साम्राज्यवाद का अर्थ (samrajyavad kya hai)
जब कोई राज्य शक्ति द्वारा अथवा अन्य उपायों से अपनी सत्ता और प्रभुता का विस्तार अपने राज्य की सीमाओं से बाहर करने लगता हैं तो वह राज्य साम्राज्य का रूप धारणा कर लेता हैं। उसकी यह नीति साम्राज्यवाद कहलाती है। इसमें एक राष्ट्र या जाति का शासक वर्ग बलपूर्वक अन्य जातियों और राष्ट्रों की की स्वतंत्रता का अपहरण करके उन पर अपना राजनीतिक आधिपत्य स्थापित करके उनकी सम्पत्ति, भूमि, उद्योगों, व्यापार आदि का प्रयोग अपने स्वार्थ लाभ के लिए करता हैं।
साम्राज्यवाद शब्द, साम्राज्यवाद का अर्थ अपने आप में ही साधारण शब्दों में ही स्पष्ट करने में समक्ष हैं, परन्तु फिर भी साम्राज्यवाद को गहराई से समझने के लिए जरूरी हैं कि हम विद्वानों द्वारा दी गई उसकी कुछ परिभाषाओं का भी अध्ययन कर लें। तो नीचे प्रस्तुत हैं प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा दी गयी साम्राज्यवाद की कुछ परिभाषाएं--
साम्राज्यवाद की परिभाषा (samrajyavad ki paribhasha)
प्रोफेसर शर्मा के अनुसार," साम्राज्यवाद शक्ति तथा हिंसा का प्रयोग करके विदेशी शासन को किसी भी देश पर लागू करना हैं।"
सी. डी. बर्नस के अनुसार," विभिन्न देश और जातियों पर एक समान कानून व शासन व्यवस्था लागू करना ही साम्राज्यवाद हैं।"
रिचर्ड सट्टन के शब्दों में," साम्राज्यवाद ऐसी राष्ट्रीय नीति हैं जो दूसरे देश अथवा उसकी सम्पत्ति पर अपनी शक्ति अथवा नियंत्रण का विस्तार करना चाहती हैं।"
एन. एल. बुखारिन के मतानुसार," साम्राज्यवाद में दूसरे देशों को जीतने का प्रयास निहित रहता हैं।"
लेनिन के शब्दों में," साम्राज्यवाद पूँजी का चरमोत्कर्ष हैं।"
माॅर्गेन्थों के अनुसार," एक देश द्वारा अपनी सीमाओं के बाहर, अपनी शक्ति का विस्तार करना साम्राज्यवाद हैं।"
जूलियस बाॅन के अनुसार," साम्राज्यवाद वह नीति हैं, जिसका उद्देश्य एक साम्राज्यवाद या बहुत बड़े राज्य की स्थापना, संगठन तथा संरक्षण करना होता हैं, जिसमें पृथक-पृथक तथा संयुक्त राज्यों का समावेश होता है तथा जो एक केन्द्रीय सत्ता के आधीन रहता हैं।
वेबेस्टर शब्द कोष के अनुसार," युद्ध एक ऐसी नीति के अनुसरण या संविधान या मौन सहमति को कहते हैं जिसका उद्देश्य किसी देश के नियंत्रण अथवा क्षेत्राधिकार को उसकी प्राकृतिक सीमाओं के बाहर के नवीन प्रदेशों या अधीनस्थ क्षेत्रों की प्राप्ति द्वारा विस्तार करना तथा उसके शासन को अन्य मानव जातियों तक प्रसारित करना हैं।"
रेमण्ड ब्यूएल के मतानुसार," साम्राज्यवाद एक ऐसा शब्द हैं, जिसके अन्तर्गत वास्तव में सभी प्रकार के पाप आ जाते हैं।"
एच. जी. वेलास के अनुसार," एक राष्ट्रीय राज्य का जगत् व्यापक बन जाने के लिए प्रयत्नशील होना ही साम्राज्यवाद हैं।"
प्रो. हाॅजेस के अनुसार," साम्राज्यवाद का उद्देश्य विश्व शांति की दृष्टि से अधिक उन्नत देशों के हित की दृष्टि से पिछड़ी हुई जातियों पर प्रभुत्व स्थापित करना हैं।"
सामाजिक विज्ञान कोष के अनुसार," साम्राज्यवाद एक नीति हैं जिसका उद्देश्य एक साम्राज्य का निर्माण करना, उसे संगठित करना तथा उसे बनाए रखना हैं। वह एक ऐसा राज्य हैं जिसका आधार बहुत बड़ा होता हैं, जिसमें अनेक पृथक राष्ट्रीय इकाइयाँ सम्मिलित रहती हैं और जो केन्द्रीय इच्छा के अधीन रहता हैं।"
साम्राज्यवाद की विशेषताएं (samrajyavad ki visheshta)
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर साम्राज्यवाद की निम्नलिखित विशेषताएं स्पष्ट होती हैं--
1. साम्राज्यवाद अपने राज्य की सीमाओं में वृद्धि करने में विश्वास करता हैं।
2. साम्राज्यवाद किसी राज्य द्वारा दूसरे राज्यों पर अपने राजनीतिक और आर्थिक प्रभुत्व का विस्तार हैं।
3. साम्राज्यवाद के अंतर्गत विविध राष्ट्रीय इकाइयों पर एक ही राष्ट्र का आधिपत्य होता हैं।
4. साम्राज्यवाद का मूल उद्देश्य तो आर्थिक होता हैं, परन्तु कभी-कभी सैनिक व राजनीतिक शोषण भी हो सकता हैं।
5. साम्राज्य के सारे अंग एक केन्द्रीय सत्ता के अधीन होते हैं।
6. साम्राज्यवाद स्थापित करने वाले देश के पास अधीनस्थ राज्यों की उपेक्षा तकनीकी दृष्टि से उत्कृष्ट कोटि के अस्त्र-शस्त्र, रणनीति कौशल, अधिक पूँजी और उत्पादन के उन्नत साधन होते हैं।
7. साम्राज्यवादी देश केवल अपने हितों का ही ध्यान रखता है और अपने अधीन देशों का शोषण करता हैं।
8. साम्राज्यवादी देश अपने हितों की रक्षा और बढ़ोत्तरी के लिए सब प्रकार के अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं।
9. साम्राज्यवाद का संबंध राष्ट्र की विदेश नीति से हैं।
10. साम्राज्यवाद का उद्देश्य अन्य देशों को अपने अधीन करके उनका शोषण करना हैं।
11. साम्राज्यवाद का प्रधान आधार सैनिक शक्ति होता हैं।
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साम्राज्यवाद के साधन
साम्राज्यवाद के निम्नलिखित साधन हैं--
1. सैनिक साम्राज्यवाद
सैनिक साम्राज्यवाद में प्रत्यक्ष रूप से सैनिक आक्रमण कर साम्राज्यवाद स्थापित करने का प्रयास किया जाता हैं। 20वीं शताब्दी में इस साधन को हिटलर, मुसोलिनी ने प्रयोग किया था। इसमें नये साम्राज्य का निर्माण होता हैं और पूराने साम्राज का पतन हो जाता है।
2. आर्थिक साम्राज्यवाद
आर्थिक साम्राज्यवाद में एक देश का दूसरे के राजनीतिक दृष्टि से अधीन होना आवश्यक नहीं है। एक देश दूसरे देश की नीतियों को आर्थिक नियंत्रण से प्रभावित करता है। वर्तमान में एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरिका के अनेक राज्यों की अर्थव्यवस्था पश्चिमी राज्यों द्वारा नियन्त्रित होती हैं।
3. सांस्कृतिक साम्राज्यवाद
इसमें व्यक्तियों के मस्तिष्कों पर सांस्कृतिक प्रभाव डालने का प्रयास किया जाता है। ब्रिटिश राज्य ने भारत में यहाँ के धर्म और संस्कृति को विकृत कर ईसाई धर्म और संस्कृति को लादने का प्रयास किया।
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