5/13/2022

अंतरराष्ट्रीय राजनीति का विषय-क्षेत्र

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अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का विषय-क्षेत्र 

antarrashtriya rajniti ka kshetra;अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति एक नया विषय हैं। विभिन्न राष्ट्रों के मध्य की राजनीति ही अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति हैं। अभी तक इसका क्षेत्र या दायरा निश्चित नहीं हो पाया हैं। 20वीं शताब्दी में अन्तर्राष्ट्रवाद का विकास तेजी से हुआ हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इसमें तेजी आयी हैं। इसका कारण साम्राज्यवाद के किले ठहना और अनेक राष्ट्रों का स्वतंत्र होना हैं। 

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ग्रेसन कर्क ने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में 5 तत्वों को शामिल किया हैं-- 

1. राज्य व्यवस्था के स्वरूप व कार्यप्रणाली का अध्ययन। 

2. राज्य की शक्ति को प्रभावित करने वाले तत्‍वों का अध्ययन। 

3. अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति एवं महाशक्तियों की विदेश नीतियों का अध्ययन। 

4. वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों के इतिहास का अध्ययन। 

5. अधिक स्थायित्व वाली विश्व व्यवस्था के निर्माण की प्रतिक्रिया का अध्ययन करना।

बिसेन्ट बेकर ने निम्नलिखित बातों को शामिल किया--

1. अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के स्वरूप तथा प्रमुख तत्‍वों का अध्ययन। 

2. अन्तर्राष्ट्रीय जीवन के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संगठन का अध्ययन।

3. राष्ट्रीय शक्ति के तत्‍वों का अध्ययन। 

4. राष्ट्रीय हित की अभिवृद्धि के साधनों का अध्ययन। 

5. राष्ट्रीय शक्ति की सीमाओं तथा नियंत्रण के तरीकों का अध्ययन। 

6. महाशक्तियों की विदेश नीति एवं नियंत्रण के तरीकों का अध्ययन। 

7. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व वर्तमान अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अध्ययन। 

अन्य तत्‍वों जैसे-- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में सैद्धान्तीकरण पर बल, नीति-निर्माण की प्रक्रिया के अध्ययन पर बल, समाज विज्ञान के अनेक विषयों की शोध से लाभ लेने की प्रवृत्ति तथा विभिन्न घटनाओं के विशेष अध्ययन पर जोर देने की प्रवृत्ति आदि के अध्ययन पर भी बल दिया।

चार्ल्स श्लाइचर," सभी अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों को अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शामिल करते हैं। 

राबर्ट स्ट्राउस्ज," अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में नागरिकों के कार्यों और राजनीतिक महत्व वाले गैर-सरकारी समुदायों के क्रियाकलापों को भी शामिल करते हैं। 

क्विंसी राइट के अनुसार," विश्व में तनाव एवं हलचल की सामान्‍य दशा, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक क्षेत्रों में राज्यों की पारस्परिक निर्भरता की मात्रा कानून एवं मूल्यों का सामान्‍य स्तर, जनसंख्या तथा साधन, उपज और खपत, जीवन के आदर्श एवं विश्व राजनीति की स्थिति आदि का अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अन्तर्गत अध्ययन अपेक्षित हैं।" 

मार्गेन्थाऊ ने राष्ट्रों के राजनीतिक संबंधों और विश्वशांति की समस्याओं को केन्द्र-बिन्दु मानकर अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का विश्लेषण किया हैं।

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया सकता हैं--

1. राज्यों के बाह्य व्यवहार का अध्ययन 

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के प्रमुख पात्र राज्य होते है तथा इसके अन्तर्गत राज्यों के बाह्य व्यवहार का अध्ययन किया जाता हैं। राज्यों के आपसी संबंधों का अध्ययन इसके विषय क्षेत्र में आता हैं, क्योंकि एक देश को अपनी सीमा क्षेत्र से बाहर अन्य राज्य के संबंध में ज्ञान अर्जित करना होता हैं। राज्यों के संबंध भू-राजनीतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक, वैचारिक, सामरिक आदि कई तत्वों से प्रभावित होते हैं। प्रत्येक देश के संबंध उसकी स्थिति व राष्ट्रीय हित से निर्धारित होते हैं। जैसे-- भारत के पड़ौसी देशों व अन्य राष्ट्रीय हित वाले देशों से विशेष संबंध हैं और उनका सामाजिक दृष्टि से विशेष महत्व हैं।

2. शक्ति संबंधों का अध्ययन 

अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति पर सर्वाधिक बल दिया गया है, इसलिए मार्गेन्थाऊ ने लिखा है कि," राष्ट्रों के मध्य शक्ति के लिए संघर्ष तथा उनका प्रयोग अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति कहलाता हैं।" 

3. अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं तथा संगठनों का अध्ययन 

आज के युग में राज्यों के मध्य बहुपक्षीय संबंधों की भूमिका महत्वपूर्ण हैं। ये संगठन आपसी सहयोग के अत्यंत ही उपयोगी मंच हैं। राज्यों में आर्थिक, सैनिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक आदि क्षेत्रों में सहयोग हेतु संगठन का निर्माण हुआ। संयुक्त राष्ट्र संघ एक संगठन हैं। इसने अनेक प्रकार के संगठनों में सहायता की। विभिन्न संगठनों में से कुछ इस प्रकार हैं--

(अ) आर्थिक

यूरोपीय साझा बाजार, विश्व-बैंक आदि।

(ब) नाटो, सीटो, सेन्टो, वारसा आदि।

(स) राजनीतिक 

संयुक्त राष्ट्रसंघ आदि। 

(द) अरब लीग, अफ्रीकी एकता संगठन आदि।

(ई) सांस्कृतिक 

यूनेस्को आदि। 

(फ) अन्य 

अंतरराष्ट्रीय मजदूर संघ, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) आदि।

4. युद्ध व शांति की गतिविधियों का अध्ययन 

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में युद्ध और शांति विषय महत्वपूर्ण हैं। विभिन्न राष्ट्रों में गंभीर मसलों पर युद्ध स्वाभाविक हैं। अब तो कागज पर वाक् युद्ध (शीत युद्ध के रूप में) बिना बंदूक चलाये लड़े जाते हैं, आर्थिक प्रतिबंधों द्वारा राष्ट्र एक-दूसरे से आर्थिक मोर्चे पर लड़ते रहते हैं। शीत युद्ध एक प्रकार का स्नायु युद्ध होता हैं। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की विषय-वस्तु युद्ध व शांति के प्रश्नों के आस-पास ही चक्कर काटती हैं। 

5. अंतरराष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन 

अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विषय क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों का अध्ययन विशेष महत्व रखता हैं, क्योंकि अध्ययनकर्ता इन संबंधों के विश्लेषण द्वारा निष्कर्ष पर पहुँचता हैं। अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, अन्तर्राष्ट्रीय कानून, अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र, कूटनीति, इतिहास व राजनैतिक भूगोल का अध्ययन आता हैं।

6. विदेश नीति निर्माण की प्रक्रिया का अध्ययन 

फैलिक्स ग्रास का मत हैं," अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का अध्ययन वास्तव में विदेश नीति का अध्ययन हैं। अन्तर्राष्ट्रीय, राजनीति की प्रक्रिया से विभिन्न राष्ट्र अपने हितों की रक्षा करते हैं।" पूर्व में विदेश नीति को विषय-वस्तु पर ही बल दिया जाता था, किन्तु अब विदेश नीति की प्रक्रिया पर अधिक जोर दिया जाने लगा हैं। अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं को समझने के लिए विभिन्‍न तथ्यों को समझना जरूरी हैं, जो कि विदेश नीति-निर्माण की प्रक्रिया में सहायक हो सकें। 

7. अन्तर्राष्ट्रीय कानून का अध्ययन 

स्वतंत्र राष्ट्रों के पारस्परिक संबंधों के संचालन में अन्तर्राष्ट्रीय कानून अत्यधिक महत्व रखते हैं। जिस तरह से समाज में व्यक्ति नियम, कानून व रीति-रिवाज के बिना नहीं रह सकता हैं, उसी प्रकार कोई भी राष्ट्र बिना अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अच्छे संबंध नहीं बना सकता। अंतरराष्ट्रीय राजनीति अन्तर्राष्ट्रीय कानून पर बल देने वाला विषय हैं।

8. विदेशी व्यापार और आर्थिक संगठनों का अध्ययन 

राष्ट्रों के आर्थिक हित ही राजनीतिक क्रिया-कलापों को प्रभावित करते हैं। विदेशी व्यापार और आर्थिक संगठन राजनीतिक संबंधों को बनाता हैं। विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय नियम विकासोन्मुख देशों को दी जाने वाली सहायता, व्यापार समझौतों आदि का अध्ययन भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में किया जाता हैं। 

9. सैनिक संगठन व गुटों का अध्ययन 

द्वितीय विश्‍व-युद्ध के बाद साम्यवादी गुट, स्वतंत्र समाज, गुट निरपेक्ष गुट, अरब समुदाय, अफ्रीकी देश जैसे अनेक गुट अस्तित्व में आये। ये गुट संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर अनेक मामलों में मिल-जुलकर कार्य करते हैं। इन गुटों को जोड़ने वाले तत्‍व, उनके विवादों व मतभेदों का अध्ययन अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में आता हैं। जब राजनीतिक समुदाय देश आपस में सैनिक संधियाँ कर लेते हैं, तो सैनिक गुटों का रूप धारण कर लेते हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में इन गुटों के निर्माण, विश्व में शक्ति सन्तुलन तथा शांति की समस्या का अध्ययन किया जाता हैं। 

10. निःशस्त्रीकरण का अध्ययन 

वर्तमान समय में विश्व में शस्त्रों की होड़ बहुत बढ़ी हैं, जबकि विश्व में शांति के लिए निःशस्त्रीकरण आवश्यक हैं। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसका भी अध्ययन होता हैं। अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों की प्रक्रिया को समझने के लिए इसमें मानवीय व्यवहार व सांस्कृतिक व्यवहार का भी अध्ययन किया जाता हैं। अर्थात् ये भी इसके क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। 

इस प्रकार स्‍पष्‍ट है कि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के अध्ययन की सीमा में छोटे-बड़े अनेक विषय शामिल हैं। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के क्षेत्र में वे संबंध आते हैं, जिन्हें एक राज्य दूसरे राज्यों से स्थापित करता हैं। यह संबंध राष्ट्रीय हितों व संघर्ष के कारण उत्पन्न होते हैं, जिन्हें शक्ति से पूरा करने का प्रयास किया जाता हैं, साथ ही इस में हम इनके संचालन, संबंधों के नियमन, नियंत्रण की विधियों तथा इनके परिवर्तनशील तत्वों का अध्ययन करते हैं। यह विषय अपनी परिधि में विभिन्न विषयों को समेटने और अपना क्षेत्र समुचित रूप से व्यापक बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं।

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