5/25/2022

आतंकवाद के उद्देश्य, परिणाम

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आतंकवाद के उद्देश्य (aatankwad ke uddeshy)

आतंकवाद कुछ व्यक्तियों के द्वारा निजी या सार्वजनिक सम्पत्ति एवं सुविधाओं के खिलाफ किया गया आपराधिक कार्य हैं। इसका मुख्य उद्देश्य हिंसक गतिविधियों द्वारा राज्य या समाज से अपनी जायज-नाजायज माँगों को मनवाना हैं। आतंकवाद एक व्यक्ति द्वारा अथवा व्यक्तियों के समूह के कार्यों का परिणाम हो सकता हैं। आतंकवाद किसी भी प्रकार का हो सभी आतंकवादियों का प्रायः एक ही उद्देश्य होता हैं वह यह हैं कि उनके लक्ष्य या मनसूबे की प्राप्ति में बाधा पहुँचाने वाले लोगों, समूहों, वर्गों, राजनेताओं से बदला लेना, इसके लिए वे शांति व्यवस्था एवं जन-सामान्य को अपना निशाना बनाते हैं। आतंकवादियों के लक्ष्य सामान्यतया अवैधानिक, विध्वंसकारी, अनैतिक होते हैं। राजनीतिक-सामाजिक क्रांति की बात करते हुए आतंकवादियों का उद्देश्य ऐसी सत्ता एवं नीतियों को उखाड़ फेंकना होता हैं, जो उन्हें विरोधकारी महसूस होती हैं, इस हेतु आतंकवादी ऐसे नागरिक समुदाय पर अत्याचार करते हैं, जो उस नीति या निर्णय विशेष के लिए दोषो नहीं होते हैं। आतंकवादी अपनी गतिविधियों द्वारा राज्य व समाज में भय तथा आतंक का वातावरण लम्बे समय तक जारी रखना चाहते हैं, जिससे जनता का विश्वास सरकार से उठ जाए, जिसका स्वाभाविक परिणाम आर्थिक विनाश के साथ राजनीतिक, प्रशासनिक अस्थिरता का होना हैं, जिसके द्वारा आतंकवादी अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल हो सकें एवं सरकार का पतन हो जाए। 

संक्षेप, में आतंकवाद के उद्देश्यों को निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता हैं-- 

1. अपने उद्देश्य व आदर्शों का सघन प्रचार करना और जनता का अधिकाधिक समर्थन प्राप्त करना। 

2. अपने संगठन की शक्ति को बढ़ाने के लिए विशेषकर युवा वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करना और अपने आदेशों के पक्ष में उनके दिल व दिमाग में विष घोलना और उन्हें संगठन के लिए मर मिटने को तैयार करना। 

3. धमकी, हिंसा, हत्या, अपहरण और सार्वजनिक सम्पत्ति को अन्धाधुन्ध नष्ट करके सरकार या शासन पर अपनी माँगों को मनवाने के लिए दबाव बनाना। 

4. विरोधियों और मुखबिरों को किसी भी कीमत पर सहन या क्षमा न करना और उन्हें खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाना। उसी प्रकार आंदोलन या उनकी गतिविधियों के रास्ते में आने वाली हर बाधा को दूर करना, पर अपने समर्थकों या अनुयायियों की हर तरह से मदद करना और उनके पकड़े जाने पर उन्हें जाने पर उन्हें छुड़ाने के लिए हर संभव प्रयास करना। 

5. शासन व सेना के मनोबल को गिराने का प्रयास करना ताकि वे अपने कारनामों को अंजाम दे सकें। 

6. देश की सुरक्षा, शांति व अखण्डता के लिए हर संभव खतरा उत्पन्न करना ताकि देश में भय, आतंक व असुरक्षा का वातावरण बना रहे। 

7. देश के अन्य अलगाववादी शक्तियों को भड़काना ताकि सरकार व जनता का सिर दर्द बना रहें।

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आतंकवाद के परिणाम (aatankwad ke parinam)

आज सर्वत्र आतंकवाद की आँधी धीरे-धीरे सभी कुछ तहस-नहस कर रही हैं जिसके कारण कुछ भयंकर परिणाम सामने आते हैं, जो निम्नलिखित हैं-- 

1. दंगे-फसाद को बढ़ावा

आतंकवाद से दंगे-फसादों को अत्यंत बढ़ावा मिलता हैं। जगह-जगह मारकाट व खून की होलियाँ खेली जाती हैं, जो एक राष्ट्र के लिए भयंकर स्थिति होती हैं। 

उदाहरण के लिए पंजाब व कश्मीर में आतंकवाद का बोलबाला हैं। आतंकवादी कभी भी आकर आतंक फैलाने के लिए परिवार के परिवार नष्ट कर जाते हैं। लोगों के समूह के समूह गोलियों से भून दिये जाते हैं। आज इस आतंकवाद में आतंकवादी हत्याओं के साथ-साथ लड़कियों का अपहरण भी करने लगे हैं जिससे अब इनका निर्द्वन्द्व साम्राज्य फैलता जा रहा हैं। परिणामस्वरूप जगह-जगह दंगों को बढ़ावा मिल रहा हैं। 

2. सरकार के प्रति अविश्वास की भावना का उदय 

बढ़ते हुए आतंकवाद के फलस्वरूप जनता के मन में सरकार के प्रति अविश्वास की भावना का उदय होता है। वह यह सोचने पर मजबूर हो जाती हैं कि यह सरकार हमारी जान व माल की रक्षा करने में समर्थ नहीं हैं। 

3. असुरक्षा की भावना का उदय 

आतंकवाद के भयंकर परिणामों के कारण जनता में असुरक्षा की भावना का उदय होता है। उनके मन में भय व्याप्त हो जाता हैं कि वह कहीं भी जाने में सुरक्षित नहीं हैं। बच्चों में बचपन से ही एक भय समा जाता हैं जिसके परिणामस्वरूप उनका विकास स्वाभाविक गति से नहीं हो पाता हैं। 

4. राष्ट्रीय एकता में बाधक

आतंकवाद राष्ट्रीय एकता में भी बाधक हैं क्योंकि यह एक विशिष्ट सम्प्रदाय के लोगों द्वारा फैलाया जाता हैं और जिस राष्ट्र में विभिन्न सम्प्रदाय एक-दूसरे से बैर रखेंगे वहाँ एकता हो ही नहीं सकती। अतः यह आतंकवाद विभिन्न सम्प्रदाय के लोगों में एक-दूसरे के प्रति अविश्वास पैदा करता हैं जिस कारण राष्ट्रीय एकता में बाधा पहुंचती हैं।

5. राष्ट्र की आर्थिक स्थिति असन्तोषजनक 

आतंकवाद के फलस्वरूप हजारों-लाखों रूपये की आर्थिक हानि सरकार को उठानी पड़ती है व जनता को भी काफी नुकसान उठाना पड़ता हैं क्योंकि आतंकवादी व्यक्तियों की हत्यायें करते हैं, लूटपाट करते हैं व घरों को जला देते हैं जिससे काफी जान-माल का नुकसान होता हैं। जनता के हुए इस नुकसान को सरकारी कोष से पूरा करना पड़ता हैं अतः राष्ट्र की आर्थिक स्थिति भी असन्तोषजनक हो जाती हैं।

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