अमेरिका के राष्ट्रपति विल्सन के 14 सूत्र
vilsan ke 14 sutra;अमेरिका के राष्ट्रपति वोडरों विल्सन शांति के समर्थक थे। अतः उन्होंने अमेरिका को प्रथम विश्व युद्ध में सम्मिलित होने के पूर्व तथा बाद में यही प्रयास किया कि युद्ध के बाद शांति की व्यवस्था की जाए। उसका आधार सर्वमान्य कुछ निश्चित सिद्धांत हों जिससे युद्ध से उत्पन्न हुए असंतोष एंव कटुता को सदैव के लिए दूर किया जा सके और परस्पर स्नेह और सौहाद्र्र उत्पन्न हो, पारस्परिक मैत्री संबंध स्थापित हो सके। 12 अप्रैल, 1917 को विल्सन ने कांग्रेस के समक्ष भाषण करते हुए अमेरिका के युद्ध संबंधी उद्देश्यों का स्पष्टीकरण किया,"विश्व शांति की स्थापना राजनैतिक स्वतंत्रता के सुपरिचित आधारों पर होनी चाहिए। हम अपनी स्वार्थ सिद्धि के इच्छुक नहीं, हमें किसी विजय अथवा अदेशों को विजय करने की आकांक्षा नहीं रखतें, हम तो केवल मानव जाति के अधिकारों के सरंक्षक है।"
मानव जाति के यह अधिकार कौन से थे। उनकी व्याख्या विल्सन ने जनवरी, 1917 ई. को कांग्रेस में दिए गए अपने भाषण में की जो कि "विल्सन के चौदहा सूत्र" के नाम से विख्यात है। विश्व शांति की स्थापना के भावी कार्यक्रम को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने निम्नलिखित 14 सूत्रों का पालन करने पर जोर दिया--
1. विश्व शांति के लिए आवश्यक है कि विश्व के सभी राष्ट्र परस्पर होने वाली गुप्त संधियों और समझौतों को समाप्त करके शांति के सभी समझौते सार्वजनिक और खुले वार्तालाप के द्वारा तय करें।
2. सभी समुदों पर सभी राष्ट्रों का विभिन्न देशों की प्रादेशिक जलीय सीमाओं में पूरे युद्ध और शांति के समय स्वतंत्र रूप से आवागमन रहे।
3. सब देशों में व्यापार की परिस्थिति में समानता की स्थापना करने के लिए स्वतंत्र व्यापार की सुविधा हो। उनके व्यापार तथा अन्य आर्थिक संबंधों पर कोई प्रतिबंध या चुंगी आदि कोई कर नहीं हो।
4. विश्व शांति के लिए प्रत्येक देश को अपने आयुधों में कमी करना आवश्यक है - वे केवल गृह रक्षा की आवश्यकता की पूर्ति भर के लिए ही युद्ध उपकरणों का उत्पादन करें।
5. आधीन राज्यों को प्रसन्न करने के लिए आवश्यक है कि उपनिवेशों का फैसला वहां के निवासियों के हितों को दृष्टि में रखकर किया जाए अर्थात् सब औपनिवेशिक दावों का स्वतंत्र रूप से, खुले दिल और निष्पक्ष रूप से निपटारा इस सिद्धांत के आधार पर हो कि प्रश्नों का निर्णय करने वाले अवसरों पर जनता के हितों का, वहां की सरकार के न्यायिक दावों के साथ समान महत्व दिया जाएगा।
6. रूस के संपूर्ण प्रदेश से सेनांए हटा ली जाएं और राष्ट्रीय जीवन की पुनसर््थापना के लिए उसका सहयोग प्राप्त किया जाए।
7. बेल्जियम को खाली कर दिया जाए। वहां सर्वसत्ता संपन्न प्रभुतापूर्ण सत्ता की स्थापना की जाए।
8. जर्मन से फ्रांस की सेनाएं हटा ली जाएं और संपूर्ण फ्रेंच प्रदेश को स्वतंत्र किया जाए तथा ऑल्सेस एंव लॉरेन प्रदेश फ्रांस को वापस लौटाए जाए।
9. इटली की राष्ट्रीय सीमाओं का पुनः निर्माण किया जाए अर्थात् इटली की सीमाओं की पुनः व्यवस्था राष्ट्रीयता के सिद्धांत पर की जाए।
10. आस्ट्रेलिया एंव हंगरी के साम्राज्य के अधीनस्थ जनता को स्वतंत्र विकास का पूर्ण अवसर प्रदान किया जाए तथा विभिन्न जातियों से सभी प्रतिबंध हटा दिए जाएं।
11. बाल्कान राज्यों की स्वतंत्र सत्ता फिर स्थापित की जाए। रूमानिया, सर्बिया और मांटीनीग्रों से सेनाएं हटा ली जाएं तथा आक्रांत प्रदेश उन्हें लौटाए जाएं। सर्बिया को भी समुद्र तट तक पहुंचने का स्वतंत्र मार्ग प्रदान किया जाए।
12. तुर्की साम्राज्य के अधीन सब तुर्क जातियों को स्वाधीन कर दिया जाए। अर्थात् खलीफा साम्राज्य के तुर्क अंशों का एक पृथक सर्वोच्च सत्ता संपन्न राज्य निर्मित किया जाए। तुर्क शासन के अंतर्गत अन्य जातियों को स्वतंत्र विकास का अवसर दिया जाए। दर्रे दानियाल और डार्डेनल्स के पास के थोरोप के जलडमरूमध्य अंतर्राष्ट्रीय समझौतें के अनुसार सब देशों के जलयानों तथा व्यापार के लिए खोल दिए जाएं।
13. पोलैंड को एक स्वतंत्र पृथक राज्य बना दिया जाए अर्थात् पोल लोगों द्वारा बने हुए असंदिग्ध पोल प्रदेशों से स्वतंत्र पोलैंड का निर्माण किया जाए तथा उसे समुद्री मार्ग दिया जाए।
14. राज्यों को एक सूत्र से संगठित करने के लिए राष्ट्र संघ की स्थापना की जाए अर्थात् निश्चित शर्तो के आधार पर सब राष्ट्रों का एक सामान्य संगठन बनाया जाए। इसमें छोटे-बड़े सभी राष्ट्रों को बिना किसी भेद-भाव के सम्मिलित किया जाए। इनमें सभी राष्ट्रों को समान रूप से राजनीतिक स्वतंत्रता और प्रादेशिक अखंडता का विश्वास दिलाया जाए।
विल्सन के चौदहा सिद्धान्तों पर सम्मेलन के अध्यक्ष क्लीमेन्शों ने व्यंग्यात्मक रूप से कहा,"चौदहा भी दस आदेशों से संतुष्ट था परन्तु विल्सन चौदहा पर बल देता है। विल्सन के 9 सिद्धांत भू-भागीय व्यवस्था से सम्बंन्धित तथा 5 सिद्धांतों का आधार भविष्य में युद्ध के पुनरावृत्ति नहीं हो इसलिए प्रस्तावित था। विल्सन के सिद्धांतों का आधार भविष्य में युद्ध की पुनरावृत्ति नहीं हो इसलिए प्रस्तावित था। विल्सन के सिद्धांतों की विजित राष्ट्रों ने आलोचना कर उन्हें काल्पनिक और आदर्शवादी घोषित किया। अतः विल्सन के प्रस्तावित सिद्धांतों से क्रमांक 7, 8, 10, तथा 14 को ही स्वीकार किया गया था। दुर्भाग्य से जर्मनी के व्यवहार तथा मित्र राष्ट्रों की प्रतिशोध की भावना के कारण विल्सन के सिद्धांतों को मान्य नहीं किया गया वरना विश्व को द्वितीय विश्व युद्ध से बचाया जा सकता था। चैदह सिद्धांतों के अतिरिक्त विल्सन ने 13 बातें (चार सिद्धांत, चार लक्ष्य और पांच विशिष्ट बातें) प्रस्तुत की थीं। इनमें से कई परस्पर विरोधी थीं।
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