4/10/2021

कर का वर्गीकरण/प्रकार

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कर का वर्गीकरण या प्रकार 

करों के वर्गीकरण को करों के प्रकार या स्वरूप कहा जा सकता है। इससे विभिन्न प्रकार के करों की जानकारी प्राप्त होती है। करों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है--

1. प्रत्यक्ष तथा परोक्ष कर 

2. आनुपातिक, प्रगतिशील एवं प्रतिगामी करारोपण 

3. विशिष्ट कर एवं मूल्यानुसार कर 

4. एक कर तथा बहु-कर प्रणाली 

5. संपत्ति कर तथा वस्तु कर 

6. अस्थायी कर तथा स्थायी कर 

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प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों का विवरण इस तरह है--

(अ) प्रत्यक्ष कर 

कर की परिभाषा के अनुसार यह जनता द्वारा सरकार को दिए जाने वाले अनिर्वाय अंशदान है। कर या तो उसी व्यक्ति के द्वारा चुकाया जाता है या उसे अन्य व्यक्ति पर विवर्तित किया जा सकता है। इस दशा मे वह कर जिसको वही चुकाता है, जिस पर कर लगाया जाता है, तो उसे प्रत्यक्ष कर कहते है।

प्रत्यक्ष कर की परिभाषा 

प्रो. जे. एस. मिल के अनुसार," एक प्रत्यक्ष कर वह है जो उसी व्यक्ति से मांगा जाता है जिससे कि भुगतान करने की इच्छा रखी जाती है।" 

प्रो. डाल्टन के अनुसार," एक प्रत्यक्ष कर वास्तव मे उसी व्यक्ति के द्वारा भुगतान किया जाता है जिस पर यह कानूनी तौर पर लगाया जाता है।" 

प्रो. फिण्डले शिराज के अनुसार," वे कर जो व्यक्तियों की संपत्ति एवं आय पर लगाये जाते हो और जो उपभोक्ताओं द्वारा राज्य को प्रत्यक्ष रूप से दिये जाते हो, उन्हे अप्रत्यक्ष कर कहा जाता है, जबकि शेष अन्य अप्रत्यक्ष कर होते है।

प्रो. बैस्टेबल के अनुसार," प्रत्यक्ष कर वे कर है जो कि स्थाई और बार-बार उत्पन्न होने वाले अवसरों पर लगाये जाते है।" 

प्रो. डी. मार्कों के अनुसार," यदि किसी व्यक्ति की आय का प्रत्यक्ष अनुमान लगाकर उस पर कर लगाया जाता है तो वह प्रत्यक्ष कर कहलाता है।" 

उपरोक्त परिभाषाओं मे से किसी भी एक परिभाषा को प्रत्यक्ष कर की पूर्ण परिभाषा कहना कठिन है। संक्षेप मे, प्रत्यक्ष कर वह है जिनका करापात और कराघात एक ही व्यक्ति पर पड़ता है। इन्हें अन्यों पर डालना संभव नही है, जैसे आयकर, निगम कर, उत्तराधिकार कर आदि।

(ब) परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर 

जब किसी कर का करापात एवं करभार अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ता है, तो उसे परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर कहा जाता है। जो व्यक्ति अप्रत्यक्ष करों को अदा करता है, उसे कर-भार सहन नही करना पड़ता है वरन् वह इस करभार को अन्य व्यक्तियों पर विवर्तित कर देता है। उदाहरण के तौर पर बिक्री कर  को लिया जा सकता है। बिक्रीकर का भुगतान व्यापारी द्वारा किया जाता है, किन्तु वह इस कर के भार को फुटकर विक्रेताओं या उपभोक्ताओं की ओर, वस्तु के मूल्य मे वृद्धि करके, विवर्तित कर देता है। इसी प्रकार, उत्पादन कर, मनोरंजन कर, आदि भी अप्रत्यक्ष करों के उदाहरण है। 

अप्रत्यक्ष कर की परिभाषा 

प्रो. डाल्टन के अनुसार," अप्रत्यक्ष कर एक व्यक्ति पर लगाया जाता है, किन्तु इसका भुगतान पूर्णतया या अंशतया दूसरे व्यक्ति के द्वारा किया जाता है।" 

प्रो. जे. एस. मिल के अनुसार," अप्रत्यक्ष कर, वह कर है जो एक व्यक्ति से इच्छा और आशा से मांगा जाता है कि वह अपनी क्षतिपूर्ति दूसरे से कर लेगा।" 

प्रो. बैस्टेबल के अनुसार," परोक्ष कर वह कर है जो कभी-कभी उत्पन्न होने वाले विशेष अवसरों पर लगाया जाता है।" 

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के अपने-अपने गुण और दोषों के कारण अर्थशास्त्री इनमे से कौन-सा कर श्रेष्ठ है, यह बताने मे मतभेद रखते है। कुछ प्रत्यक्ष करों को अच्छा मानते है, क्योंकि इनका भार अमीरों पर पड़ता है तथा गरीब बच जाते है। कुछ अप्रत्यक्ष करो को अच्छा मानते है, क्योंकि इनको वसूलना सरल है, किन्तु सभी अर्थशास्त्रियों का मत है कि ये दोनो एक दूसरे के पूरक है। ग्रेट स्टाॅटमेन के शब्दों मे," प्रत्यक्ष एवं कर दो आकर्षक बहनों के समान है। जो लन्दन के सुन्दर संसार मे आई है। दोनों के मां-बाप एक है। उनमे उतना ही अंतर है जितना कि दो बहनों मे होता है।" 

इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों मे से कौन-सा अच्छा है और कौन-सा बुरा, यह कहना कठिन है। वास्तव मे यह दोनों समान रूप से सम्माननीय है। दोनों एक दूसरे के पूरक है।

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