4/14/2021

विश्व व्यापार संगठन क्या है? कार्य, उद्देश्य

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विश्व व्यापार संगठन क्या है? परिचय

vishwa vyapar sangathan karya uddeshya;विश्व व्यापार संगठन की स्थापना इसके पूर्वतर्ती गैट (GATT) की उरूग्वे राउण्ड की लंबी वार्ता (1986-93) के परिणामस्वरूप हुई थी। विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के लिए उरूग्वे राउंड के समझौते पर मोरक्को के मराकश नगर मे अप्रैल 1994 मे गैट के सदस्य राष्ट्रो ने हस्ताक्षर किए थे। 1 जनवरी, 1995 से इसकी विधिवत् स्थापना हो गई तथा इसने विश्व व्यापार के नियमन के लिए एक औपचारिक संगठन के रूप मे गैट का स्थान ले लिया। गैट एक अनौपचारिक संगठन के रूप मे ही 1948 से विश्व व्यापार का नियमन करता चला आ रहा था।

गैट की अस्थायी प्रकृति के विपरीत विश्व व्यापार संगठन एक स्थायी संगठन है तथा इसकी स्थापना सदस्य राष्ट्रों की संसदों द्वारा अनुमोदित एक अंतर्राष्ट्रीय संधि के आधार पर हुई है। आर्थिक जगत मे इसकी स्थिति अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक के तुल्य ही है, किन्तु मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक की भांति यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसी नही है।

मुख्यालय एवं सदस्यता

अपने पूर्ववर्ती गैट (GATT) की भांति विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय भी जिनेवा मे ही है। सिंगापुर मे पहला मंत्रिस्तरीय सम्मेलन आरंभ होने से पूर्व इसकी सदस्य संख्या 128 थी, 28 अन्य राष्ट्रों के आवेदन सदस्यता हेतु लंबित थे। इसकी सदस्यता विश्व व्यापार संगठन के विचाराधीन है।

प्रशासन 

इसके कार्यसंचालन हेतु एक सामान्य परिषद् होती है जिसमे प्रत्येक सदस्य राष्ट्र का एक स्थायी प्रतिनिधि होता है। इसकी बैठक सामान्यता माह मे एक बार जेनेवा मे होती है। विश्व व्यापार संगठने नीति-निर्धारण के लिए सर्वोच्च अधिकार प्राप्त इसका मंत्रिस्तरीय सम्मेलन है। मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन प्रत्येक दो वर्ष मे होता है। दिन-प्रतिदिन के प्रशासकीय कार्यों को संपन्न करने के लिए संगठन का सर्वोच्च पदाधिकारी महानिदेशक होता है। सामान्य परिषद् द्वारा महानिदेशक का चुनाव 4 वर्ष के लिए किया जाता है। 01 सितम्बर, 2002 से थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री श्री सुपाचाई पानिचपाकड़ी इसके महानिदेशक बनाए गए। वर्तमान मे इसकी सदस्य संख्या 144 है।

समबद्ध समियियां 

विश्व व्यापार संगठन के कार्य को सुचारू रूप से संचालित करने हेतु अनेक समितियों का गठन किया है। इसकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण दो समितियां है--

1. विवाद निवारण समिति 

विवाद निवारण समिति का कार्य विभिन्न राष्ट्रो के विरूद्ध विश्व व्यापार संगठन के व्यापार नियमों का उल्लंघनों की शिकायतों पर विचार करना है। सभी सदस्य देश इस समिति के सदस्य होते है, किन्तु किसी शिकायत विशेष के गहन अध्ययन के लिए यह विशेषज्ञों की समिति गठित कर सकती है। इस समिति की बैठक माह मे दो बार होती है।

2. व्यापार नीति समीक्षा समिति 

व्यापार नीति समीक्षा समित का कार्य सदस्य राष्ट्रों की व्यापार नीति की समीक्षा करना होता है। सभी बड़ी व्यापारिक शक्तियों की व्यापार नीति की दो वर्ष मे एक बार समीक्षा की जाती है। संगठन के सभी सदस्य राष्ट्र समिति के सदस्य होते है।

इसके अतिरिक्त विश्व व्यापार संगठन के अन्य महत्वपूर्ण समितियां-- वस्तु व्यापार परिषद् (Council for Trade in Goods), सेवा व्यापार परिषद् (Council for Trade in Serviced), तथा बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं पर परिषद् (Council for Trade-RelatedAspects of Intellectual Property Rights) आदि है।

विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य  

विश्व व्यापार संगठन की प्रस्तावना मे इसके उद्देश्यों को स्पष्ट किये गये है, जो इस प्रकार हैं--

1. जीवन स्तर मे वृद्धि करना।

2. पूर्ण रोजगार एवं प्रभावपूर्ण मांग मे वृहस्तरीय, परत ठोस वृद्धि करना।

3. वस्तुओं के उत्पादन एवं व्यापार का प्रसार करना।

4. सेवाओं के उत्पादन एवं व्यापार का प्रसार करना।

5. विश्व के संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग करना।

6. अविरत विकास की अवधारणा को स्वीकार करना।

7. पर्यावरण का संरक्षण एवं उसकी सुरक्षा करना।

विश्व व्यापार संगठन के कार्य 

अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विश्व व्यापार संगठन निम्न कार्य संपन्न करता है--

1. विवादों के निपटारे के लिये प्रशासन 

विश्व-व्यापार संगठन अपने सदस्य राष्ट्रों के बीच व्यापार तथा इससे संबंधित विवादों के निपटारे से संबंधित नियमों एवं प्रक्रियाओं को प्रकाशित करने का प्रमुख कार्य करता है।

2. व्यापार संबंधी मद्दों पर विचार-विमर्श के लिये मंच प्रदान करना 

विश्व व्यापार संगठन का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य सदस्य राष्ट्रों को व्यापार संबंधी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिये साझा मंच प्रदान करना है।

3. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष एवं विश्व बैंक से सहयोग करना 

विश्व व्यापार संगठन का एक कार्य यह भी है कि विश्व की आर्थिक नीति निर्माण मे पहले से अधिक सामंजस्य स्थापित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष तथा विश्व बैंक से प्रभावी सहयोग स्थापित करे।

4. विश्व व्यापार समझौते के कार्यान्वयन, प्रशासन एवं परिचालन के लिये सुविधायें उपलब्ध कराना 

विश्व व्यापार संगठन का कार्य विश्व व्यापार समझौता, प्रशासन एवं परिचालन के लिये सुविधायें उपलब्ध कराना भी है।

5. व्यापार निति समीक्षा तन्त्र के प्रावधानों को लागू करना 

विश्व व्यापार संगठन का पांचवा कार्य-व्यापार नीति समीक्षा तन्त्र से संबंधित नियमों एवं प्रावधानों को लागू करना है।

7. विश्व संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग को प्रोत्साहन देना 

विश्व व्यापार संगठन का अंतिम कार्य विश्व के सीमित संसाधनों के अनुकूलतम प्रयोग को प्रोत्साहित करना है, जिससे समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हो सके।

विश्व व्यापार संगठन का दोहा सम्मेलन 

दोहा (कतर) मे 9-13 नवम्बर, 2001 को आयोजित विश्व व्यापार संगठन का चौथा मंत्रिस्तरीय सम्मेलन विभिन्न मुद्दों पर सदस्य राष्ट्रों की सहमति के लिए एक दिन आगे बढ़ाना पड़ा, अतः इसका समापन 14 नवम्बर को हुआ। 142 सदस्य राष्ट्रों के वाणिज्यिक मंत्रियों के इस सम्मलेन मे कृषि, सेवाओं व औद्योगिक उत्पादों के व्यापार के विस्तार एवं पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर नए सिरे से वार्ता का दौर प्रारंभ करने की सहमति बनी। इसके एजेंडे (दोहा डेवलेपमेंट एजेण्डा) को स्वीकार किया जाना विकासशील राष्ट्रों की बजाया यूरोपीय संघ एवं अमेरिका के लिए ही अधिक लाभदायक माना गया। सम्मेलन मे भारत के नेतृत्व मे विकासशील राष्ट्रों को एक बड़ी सफलता जनस्वास्थ्य संबंधी औषधियों के उत्पादन एवं अधिग्रहण के मामले मे मिली। एचआईवी/एड्स/टी.बी. व मलेरिया आदि रोगो से जनसामान्य की सुरक्षा के लिए औषधियों के उत्पादन के मामले मे विश्व व्यापार संगठन के ट्रिप्स एवं पेटेण्ट संबंधी नियम अब आड़े नही आ सकेंगे। कृषि के क्षेत्र मे डोमेस्टिक रिपोर्ट तथा निर्यात सब्सिडी मे कटौती का प्रस्ताव दोहा घोषणा पत्र मे शामिल किए जाने से विकासशील राष्ट्रों के किसान लाभान्वित हो सकेंगे तथा इससे भारत को भी लाभ मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि दोहा सम्मेलन मे चीन व ताइवान को भी विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना लिया गया था। इस प्रकार संगठन के कुल सदस्यों की संख्या 144 हो गई। विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों के व्यापार एवं कृषि मंत्रियों का तीऑ दिवसीय अनौपचारिक लघु सम्मेलन 14-16 फरवरी, 2003 को टोकियो मे संपन्न हुआ। संगठन के सितम्बर 2003 मे कानकुन मे होने वाली द्विवार्षिक मंत्रिस्तरीय औपचारिक सम्मेलन के परिप्रेक्ष्य मे यह बैठक हुई थी।

विश्व व्यापार संगठन का दोहा सम्मेलन 

दोहा (कतर) मे 9-13 नवम्बर, 2001 को आयोजित विश्व व्यापार संगठन का चौथा मंत्रिस्तरीय सम्मेलन विभिन्न मुद्दों पर सदस्य राष्ट्रों की सहमति के लिए एक दिन आगे बढ़ाना पड़ा, अतः इसका समापन 14 नवम्बर को हुआ। 142 सदस्य राष्ट्रों के वाणिज्यिक मंत्रियों के इस सम्मलेन मे कृषि, सेवाओं व औद्योगिक उत्पादों के व्यापार के विस्तार एवं पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर नए सिरे से वार्ता का दौर प्रारंभ करने की सहमति बनी। इसके एजेंडे (दोहा डेवलेपमेंट एजेण्डा) को स्वीकार किया जाना विकासशील राष्ट्रों की बजाया यूरोपीय संघ एवं अमेरिका के लिए ही अधिक लाभदायक माना गया। सम्मेलन मे भारत के नेतृत्व मे विकासशील राष्ट्रों को एक बड़ी सफलता जनस्वास्थ्य संबंधी औषधियों के उत्पादन एवं अधिग्रहण के मामले मे मिली। एचआईवी/एड्स/टी.बी. व मलेरिया आदि रोगो से जनसामान्य की सुरक्षा के लिए औषधियों के उत्पादन के मामले मे विश्व व्यापार संगठन के ट्रिप्स एवं पेटेण्ट संबंधी नियम अब आड़े नही आ सकेंगे। कृषि के क्षेत्र मे डोमेस्टिक रिपोर्ट तथा निर्यात सब्सिडी मे कटौती का प्रस्ताव दोहा घोषणा पत्र मे शामिल किए जाने से विकासशील राष्ट्रों के किसान लाभान्वित हो सकेंगे तथा इससे भारत को भी लाभ मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि दोहा सम्मेलन मे चीन व ताइवान को भी विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना लिया गया था। इस प्रकार संगठन के कुल सदस्यों की संख्या 144 हो गई। विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों के व्यापार एवं कृषि मंत्रियों का तीऑ दिवसीय अनौपचारिक लघु सम्मेलन 14-16 फरवरी, 2003 को टोकियो मे संपन्न हुआ। संगठन के सितम्बर 2003 मे कानकुन मे होने वाली द्विवार्षिक मंत्रिस्तरीय औपचारिक सम्मेलन के परिप्रेक्ष्य मे यह बैठक हुई थी।

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