10/02/2020

हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक, न्यायिक सुधार

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वाॅरेन हेस्टिंग्स के सुधार कार्य

warren hastings ke sudhar;उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध तक ईस्ट इंडिया कंपनी का अधिकार प्रायः संपूर्ण भारत मे हो गया था। अधिकार स्थापित होने के साथ ही कंपनी के अधिकारियों के सामने अनेक आस्थाएं- प्रशासनिक, आर्थिक, सामाजिक-आई, जिनका समाधान अत्यंत आवश्यक था। सबसे बड़ी समस्या प्रशासनिक थी। बात यह थी कि कंपनी का भारतीय साम्राज्य इतना बड़ा था और समस्याएँ इतनी पेचीदी थी कि मुगलकालीन प्रशासनिक व्यवस्था नवीन परिप्रेक्ष्य मे ठीक से काम नही कर पा रही थी। उसमे परिवर्तन करना आवश्यक था।

राॅबर्ट क्लाइव ने बंगाल मे एक नई प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की जिसे क्लाइव का "दोहरा शासन या द्वैध शासन" कहा जाता है। इस व्यवस्था के अनुसार कंपनी के अधिकारियों के ऊपर बंगाल के वित्तीय दायित्व का भार था और बंगाल के नवाब के ऊपर प्रशासनिक दायित्व का भार था। परिणाम यह होता था कि इस विभाजित दायित्व के कारण प्रशासन का कार्य ठीक से नही चलता था। दोनों प्रशासकों के अधिकारी आपस मे बराबर लड़ते-झगड़ते रहते थे। अतः दोहरे शासन की व्यवस्था को हटाकर एक नई प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना अत्यंत ही आवश्यक थी। इसीलिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने वारेन हेस्टिंग्स को 1772 ई. मे प्रशासन मे आवश्यक सुधार लाने के लिए पूरी तरह से अधिकृत करके भारत भेजा।

वाॅरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक सुधार

हेस्टिंग्ज ने क्लाइव द्वारा स्थापित दोहरे या द्वैध शासन का अंत कर दिया। हेस्टिंग्ज ने ऐसा अनुभव किया कि कंपनी को दिवानी का दायित्व स्वयं उठाना चाहिए। इसी उद्देश्य से मुहम्मद रजा खाँ, बंगाल के नायब नवाब तथा राजा सिताब राय को उनके पद से हटा दिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया। यद्यपि वे दोषमुक्त पाए गए, फिर भी उनकी काफी मानहानि हुई। इसके अलावा बंगाल के नवाब के हाथों से प्रशासनिक अधिकार छीन लिया गया और उनकी पेंशन 32 लाख से 16 लाख रूपये प्रति वर्ष कर दि गई। यही नही, यह बहाना बनाकर कि बादशाह शाह आलम ने अपने को मराठों के संरक्षण मे डाल दिया है तथा 1770 ई. के अकाल के कारण बंगाल प्रदेश की वार्षिक आय कम हो गई है। शाह आलम की पेंशन भी समाप्त कर दी गुई। इसके अलावा कंपनी का खजाना मुर्शिदाबाद से हटाकर कलकत्ता लाया गया। इसका कारण यह बताया गया की राजनीतिक गुरूत्वकेन्द्र मुर्शिदाबाद से कलकत्ता स्थानांतरति हो गया है तथा कलकत्ता का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है।

नवाब का संरक्षक नियुक्त

उस समय बंगाल का नवाब नाबलिग था। इसलिए हेस्टिंग्ज ने मीर जाफर की विधवा पत्नी मुन्नी बेगम को उसकी संरक्षिका नियुक्त किया। उसकी सहायता के लिए नंदकुमार के पुत्र राजा गुरूदास को बेगम के दीवान के रूप मे नियुक्त किया गया। 

राजस्व सुधार 

वारेन हेस्टिंग्ज द्वैध या दोहरा शासन के अवगुणों से परिचित था। अब उसने निश्चय किया कि कंपनी के अधिकारी स्वयं कर-वसूली का काम करें। इसी उद्देश्य से उसने एक समिति नियुक्त की जिसका अध्यक्ष वह स्वयं बना। इस समिति की अनुशंसा के अनुसार 1774 ई. मे राजस्व व्यवस्था मे अनेक सुधार किए गए। नई व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक जिले की कर वसूली का दायित्व उस व्यक्ति को पाँच वर्ष के लिए दिया गया जो अधिकतम लगान देने का वादा करते थे। अधिकतम लगान देने का वादा करने वाले नव-जमींदार कहलाए। उन्हें किसानों को पट्टा देना पड़ता था जिसमे प्रत्येक किसान द्वारा दी जानी वाली मालगुजारी लिखी रहती थी। इसके अलावा, लगान की वसूली के लिए प्रत्येक जिले मे एक कलेक्टर की नियुक्ति की गई। पूर्व प्रबंधक ही जिला कलेक्टर नियुक्त किए गए। बंगाल प्रांत के सभी जिलों को छह डिवीजनों मे बाँट दिया गया, वे थे- बर्दवान, मुर्शिदाबाद, ढाका, कलकत्ता दिनाजपुर एवं पटना। प्रत्येक डिविजन मे एक परिषद स्थापित की गई जिसका अध्यक्ष कलकत्ता कौंसिल का एक सदस्य होता था। प्रत्येक डिविजन मे एक दीवान नियुक्त किया गया जो वहाँ की क्षेत्रीय भाषा मे हिसाब-किताब रखता था। उसकी सहायता के लिए एक नायब दीवान नियुक्त किया गया जो जिले मे रहता था। 1781 ई. मे हेस्टिंग्ज ने पुनः राजस्व प्रशासन मे परिवर्तन किया। जिसके अनुसार डिविजन परिषदों तथा कलेक्टरों के पद समाप्त कर दिए गए और राजस्व शासन का दायित्व चार सदस्यों की एक समिति को दिया गया। ये चार सदस्य थे-- ऐंडरसन, चार्ट्स क्राफ्ट्स एवं एक अन्य। इन्हें मासिक वेतन नही मिलता था बल्कि मासिक भू-राजस्व की वसूली का दस प्रतिशत कमीशन के रूप मे मिलता था।

वारेन हेस्टिंग्ज के न्याय संबंधी सुधार

वारेन हेस्टिंग्स ने न्याय सुधार के क्षेत्र मे निम्म सुधार किये--

1. अंग्रेजी शासन के अंतर्गत हर जिले मे दीवानी तथा फौजदारी अदालतों की स्थापना की गई। दीवानी पर अंग्रेज कलेक्टर तथा फौजदारी पर भारतीय काजी का नियंत्रण रहता था। काजी के कार्यों का निरीक्षण कलेक्टर करता था। 

2. जमींदारों को न्याय व्यवस्था से हटाकर उनके स्थान पर वैतनिक न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई।

3. सदर निजामत आदलत को कलकत्ते से हटाकर मुर्शिदाबाद मे कर दिया गया।

4. अनेक नियमों तथा कानूनों मे आवश्यकतानुसार परिवर्तन किये गये।

वारेन हेस्टिंग्ज के आर्थिक सुधार

शासन की सफलता हेतु यह परमावश्यक था कि कंपनी की आर्थिक दशा को सुधारा जाये। आर्थिक सुधार के क्षेत्र मे हेस्टिंग्ज ने निम्म कार्य किये--

1. बंगाल के नबाव की पेंशन 32 लाख रूपये वार्षिक से घटाकर 16 लाख रूपये वार्षिक कर दी गयी। इससे कंपनी को बहुत लाभ हुआ।

2. हेस्टिंग्ज ने शाहआलम से कड़ा एवं इलाहाबाद के जिले ले लिये और इन्हें अवध के नवाब के हाथों बेच दिया।

3. कर्मचारियों को दी जाने वाली पेंशन मे भी भारी कमी कर दी गई।

4. शुजाउद्दौला से सहायता के बदले मे 40 लाख रूपये तथा बनारस का जिला प्राप्त किया गया।

1773 मे कंपनी की दशा अत्यधिक शोचनीय थी। लेकिन हेस्टिंग्ज के प्रयत्नों के फलस्वरूप कंपनी की दशा शीघ्र ही सुधर गयी।

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