10/10/2020

हड़प्पा या सिंधु सभ्यता क्या है? खोज, विस्तार क्षेत्र

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हड़प्पा या सिन्धु सभ्यता क्या है? (sindhu sabhyata  kise kahte hai)

sindhu sabhyata in hindi;हड़प्पा या सिंधु सभ्यता को प्रायः तीन नामों से जाना जाता है। सिंधु सभ्यता, सिन्धु घाटी की सभ्यता और हड़प्पा सभ्यता। यह तीनो नाम उसके क्षेत्र विस्तार और प्रारंभिक उदाहरण के आधार पर पड़े है। हड़प्पा संस्कृति नाम पड़ने का मुख्य कारण है कि इस विस्तृत सभ्यता को सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थान पर पहचाना गया था। सिंधु घाटी की सभ्यता इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस सभ्यता के जितने स्थल अभी तक खोजे गये है, वे अधिकांश सिंधु नदी घाटी के क्षेत्र मे है। 

सिन्धु या हड़प्पा सभ्यता उत्खनन एवं खोज

सिन्धु नदी के किनारे हड़प्पा मे सर्वप्रथम सन् 1921 मे रायबहादुर साहनी ने उत्खनन कार्य करके इस सभ्यता के अवशेषों को प्राप्त किया। इसके पश्चात सन् 1922 ई. मे राखोलदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो जो हड़प्पा से 640 कि. मी. दूर है, मे खुदाई कराकर एक बौद्ध स्तूप प्राप्त किया। इसी समय गहराई मे उत्खनन कार्य के कालण मोहनजोदड़ो नगर मे सात स्तर (तहें) प्राप्त हुए।

इनके अतिरिक्त दयाराम साहनी, जाॅन मार्शल, अर्नेस्ट, व्हीलर, डाॅ. ई. मैके, सर अरिलस्टाइन, एच. हारग्रीव्ज, पिगट, काशीनाथ दीक्षित, एन. जी. मजूमदार आदि ने सिन्धु घाटी क्षेत्र मे एक विकसित सभ्यता के हाजारों अवशेष प्राप्त किये। मार्शल ने इसे सिन्धु सभ्यता का नाम दिया। यह उत्खनन कार्य सन् 1935 तक चलता रहा।

सिंधु या हड़प्पा सभ्यता का विस्तार

सर जान मार्शल ने यह स्वीकार किया है कि हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो के उत्खनन से प्राप्त सिंधु घाटी की सभ्यता प्रारंभिक सभ्यता नही थी बल्कि सभी युगों सभ्यता से प्राचीन हो चुकी थी। विश्व मे इस सभ्यता के स्थापित होने पर अन्य प्राचीन सभ्यताओं की तुलना मे सिंधु घाटी सभ्यता ज्यादा प्राचीन एवं उन्नतशील होने से प्राचीन भारतीय इतिहास मे इस सभ्यता का महत्व स्थापित हो गया।

सिंधु सभ्यता विस्तार क्षेत्र 

सिंधु घाटी सभ्यता हड़प्पा, मोहनजोदड़ो तक ही सीमित नही थी। कालान्तर मे पुरातत्वीय सर्वेक्षण से देश के कई भागों मे इस सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए। प्रारंभिक खोज मे सतलज तट पर रोपड़ एवं दक्षिण पूर्व मे गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र मे रंगपुर उत्खनन से इस सभ्यता के विस्तार का पता चला।

विशाल क्षेत्र 

उत्तरी बलूचिस्तान मे दबारकोट एवं दक्षिण बलूचिस्तान मे कुल्ली और माही तक यह सभ्यता विस्तृत थी। यह क्षेत्र वर्तमान मे पाकिस्तान मे है, एवं इसी आधार पर पाकिस्तान अपनी सभ्यता 5,000 वर्ष ई. पूर्व की सभ्यता होने का दावा करता है। यद्यपि इस्लाम का उदय ईसा बाद हुआ है।

इस सभ्यता के अवशेष काठियावाड़, उत्तरी भारत मे गंगा की घाटी (कालीबंगा), राजस्थान, मालवा मे (आवरा उत्खनन) एवं नर्मदा की घाटी मे नावड़ा टोली (महेश्वर) मे भी प्राप्त हुए है। इस तरह यह सभ्यता हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो तक सीमित न रहकर उत्तर भारत के विशाल क्षेत्र मे प्रसारित हो गई थी। वस्तुतः यह सभ्यता बलूचिस्तान से गुजरात मे लोथल, रंगपुर, मेरठ जिले मे आलमगीरपूर, बंगाल मे कालीबंगा एवं मालवा तथा राजस्थान तक विस्तृत होकर लगभग पाँच लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र मे व्याप्त थी। इसलिए इस सभ्यता को सिंधु घाटी की सभ्यता के स्थान पर सिंधु सभ्यता कहना उचित होगा।

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