8/22/2020

उत्पादन प्रबंधन का महत्व और कार्य

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उत्पादन प्रबंधन का महत्व या लाभ (utpadan prabandhan ka mahatva)

utpadan prabandhan ka mahatva or karya;उत्पादन उधोग एवं व्यवसाय की बुनियादी क्रिया है, जिस पर अन्य क्रियाएँ निर्भर करती है। अपनी इस धुरीय स्थिति के कारण ही इन क्रियाओं को प्रबंध अब तक अपना विशिष्ट महत्व बनाए हुए है। उत्पादन प्रबंधन निर्माण संस्थाएं या व्यापार मे आने वाली समस्याओं के समाधान मे अपूर्व योगदान देता है। उत्पादन प्रबंधन का महत्व निम्म प्रकार से हैं--
1.सामग्री का निरन्तर प्रवाह
कुशल उत्पादन प्रबंध मे एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसकी सहायता से उपक्रम मे लगने वाली सामग्री के लिए उचित समय एवं स्टाॅक तालिका के माध्यम से सामग्री के प्रवाह को निरंतर बनाया जा सकता है तथा सामग्री के अति एवं अल्प स्टाॅक की समस्या से बचा जा सकता है तथा सामग्री का सही-सही उपयोग करते हुए न्यूनतम लागत पर अधिक उत्पादन किया जा सकता है।
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2. सामग्री का अनुकूलतम स्तर
उत्पादन कुशल प्रबंध के द्वारा कच्चे माल के भण्डार का अनुकूलतम स्तर बनाये रखा जा सकता है। इससे एक तो सामग्री की समय से पहले कमी नही होती और दूसरी अनावश्यक सामग्री के स्टाॅक मे पूँजी नही लगानी पड़ती है। सदुपयोग किया जा सकता है तथा उत्पादन मे वृद्धि की जा सकती है और न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन करके अधिक लाभ कमाया जा सकता है।
3. ग्राहक सन्तुष्टि
उत्पादन प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को वस्तुओं के समबन्ध मे अधिकतम संतुष्टि प्रदान करना है। न्यूनतम लागत पर श्रेष्ठतम उत्पादन के फलस्वरूप उपभोक्ताओं को अच्छे किस्म की वस्तुएँ कम मूल्य पर प्राप्त हो जाती है।
4. रोजगार के अवसरों मे वृद्धि
उत्पादन-प्रबंधन के परिणामस्वरूप उत्पादन तथा उत्पादकता दोनों मे वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसरों मे वृद्धि होती है तथा रोजगार मे स्थिरता आती है।
5. जीवन-स्तर मे वृद्धि
उत्पादन प्रबंधन के परिणामस्वरूप रोजगार के अवसरों मे वृद्धि होती है, जिससे समाज की आय मे वृद्धि होती है तथा लोगों को कम मूल्य पर श्रेष्ठ वस्तुएँ प्राप्त होती है, इससे समाज का जीवन स्तर ऊँचा उठता है।
6. साधनों का सदुपयोग
उत्पादन प्रबंधन के अन्तर्गत उत्पादन के सभी साधनों का पूर्ण उपयोग सम्भव होता है क्योंकि इसमे सभी साधनों का उचित नियोजन किया जाकर उन पर उचित नियंत्रण रखना भी सम्भव हो जाता है।
7. समाज को लाभ
जब समाज मे चल रहे सभी उधोग और व्यापार उत्तम उत्पादन प्रबंध के कारण समृध्दिशाली होते है तो समाज और समाज के नागरिकों मे गौरव और संन्तोष की भावना उत्पन्न होती है।
8. राष्ट्र को लाभ
राष्ट्रीय अर्थिक पद्धति मे जब सभी उधोग अच्छे उत्पादन प्रबंध को प्रदर्शित करते है तो सम्पूर्ण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था चहुँओर सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त करेगी।

उत्पादन प्रबंधक के कार्य (utpadan prabandhan ke karya)

वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग मे आधुनिक उपक्रम मे एक उत्पादन प्रबंधक को अनेक महत्वपूर्ण एवं जोखिम भरे कार्य करने पड़ते है। कच्चे माल की व्यवस्था करने से लेकर तैयार माल के अभिनिर्माण तक तथा उपभोक्ताओं तक अपने उत्पान और सेवाओं को पहुँचाने के सभी कार्य उत्पादन प्रबंधक को देखने होते है। उत्पादन प्रबंधक के प्रमुख कार्य इस प्रकार है--
1. उत्पादन नियोजन
क्या उत्पादन करना है? कैसे उत्पादन करना है? इन समस्याओं के समाधान हेतु उत्पादन से पूर्व एक मार्गदर्शक तथा नियंत्रक योजना तैयार करना " उत्पादन नियोजन" कहलाता है।
2. उत्पादन नियंत्रण
उत्पादन नियंत्रण वह क्रिया समूह है, जो आदेशों को नियोजित करने, उत्पादन आदेश देने तथा उत्पादन होने तक उनका अनुगमन करने की क्रियाओं को अपने मे सम्मिलित करता है। स्पष्ट है कि " उत्पादन नियंत्रण" का निर्माणी प्रक्रिया मे मात्रा को नियंत्रित करने का कार्य है।
3. किस्म नियंत्रण
विशिष्ट विवरणों एवं निर्धारित मानकों के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन करना " किस्म नियंत्रण है " कहलाता है। " किस्म नियंत्रण " के द्वारा तैयार होने वाले माल को अनेक्षित विशिष्ट विवरणों के अनुरूप ज्यादा से ज्यादा बनाने तथा दोषपूर्ण माल को पृथक् करने का कार्य किया जाता है।
4. विधि विश्लेषण
विधि विश्लेषण मानवीय एवं यांत्रिक स्थितियों का गहन अध्ययन है, जो श्रेष्ठ पद्धतियों के विकास को सम्भव बनाता है। विधि विश्लेषण अपने मे संयंत्र सज्जा, अभिन्यास, मानवीय प्रयास, उत्पादन डिजाइन, उत्पादन पद्धति, सामग्री हस्तन विधि, परिचालन अनुक्रम आदि क्रियाओं मे सुधार को सम्मिलित करता है।
5. संयंत्र अभिन्यास
संयंत्र अभिन्यास उत्पादन प्रबंधक का वह प्रमुख कार्य है, जो सही साज-सज्जा को, सही तरीके से, सही स्थान पर स्थापित करने से सम्बन्ध रखता है, ताकि वस्तुओं का उत्पादन कम से कम दूरी एवं कम से कम समय मे सम्भव हो सके।
6. सामग्री हस्तन
सामग्री हस्तन से आशय उन बुनियादी क्रियाओं से है, जो गुरुत्वाकर्षण, शारीरिक प्रयत्नों एवम् स्वचालित उपकरणों के जरिए सामग्री के मूवमेंट के समबन्ध मे की जाती है। निरर्थक हस्तन को समाप्त करने तथा हस्तन लागतों को न्यूनतम करने से सम्बन्ध रखता है, ताकि मानव एवम् मशीनों का मितव्ययी एवम् प्रभावी उपयोग किया जा सके।
7. कार्य मापन
श्रम लागतों को कम करना भी उत्पादन प्रबंध का एक प्रमुख दायित्व है, जिसका निर्वाह वह अपने कर्मचारियों के कार्य के मापन द्वारा करता है, ताकि यह मालूम हो सके कि कोई कर्मचारी औसत से नीचे तो कार्य नही कर रहा। कार्य मापन हेतु समय अध्ययन एवं गति अध्ययन तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
8. इन्वेन्ट्री नियंत्रण
इन्वेन्ट्री नियंत्रण अथवा इन्वेन्ट्री प्रबंध उत्पादन प्रबंध का वह कार्य है, जिसके द्वारा मितव्ययी आदेश मात्राओं और आदशे बिन्दुओं का निर्धारित किया जाता है तथा सामग्री अभाव व आधिक्य लागतों को समाप्त किया जाता है। वह कार्य सामग्री के भौतिक एवं वित्तीय पहलुओं के नियंत्रण से सम्बन्ध रखता है।
9. भण्डार-रक्षण
उत्पादन प्रबंध का यह दायित्व सामग्री के भौतिक संग्रहण, संचयन, नियंत्रण एवं उसकी सुरक्षा से सम्बन्ध रखता है। इस कार्य का मुख्य उद्देश्य भण्डारण लागत को न्यूनतम करना होता है।
10. लागत नियंत्रण
उत्पादन मे लागत का महत्वपूर्ण स्थान होता है, इसी पर निर्मित माल का मुल्य निर्धारण होता है। माल का मुल्य कम या ज्यादा होना मूल रूप से माल की लागत पर ही निर्भर करता है, यदि लागत कम है तो बिक्री मूल्य और यदि लागत ज्यादा है तो बिक्री मूल्य भी ज्यादा होने की स्थिति मे माल की बिक्री कम होगी।

11. पैकेजिंग एवं डिज़ाईनिंग
उत्पादन को बेचने के उद्देश्य से माल की पैकिंग एवं डिज़ाइन तय किया जाता है कि किस प्रकार की डिजाइन एवं पैकिंग मे ग्रहक माल को पसंद करते है। छोटे, बड़ी, मध्यम पैकिंग, सुरक्षात्मक पैकिंग आकर्षक डिजाइन, उचित आकार, वजन एवं सम्पूर्ण जानकारी वाला पैकिंग इत्यादि बातों का ध्यान रखना होता है, तभी एक अच्छा उत्पादन डिज़ाइन एवं पैकिंग हो सकेगा।
12. परिवहन प्रबंध
कच्चा माल, चालू कार्य माल एवं निर्मित माल के संग्रहण स्थल से फैक्टी, निर्माण स्थल एवं पुनः गोडाउन मे स्टोर हेतु लाने ले जाने का खर्च, साथ ही उत्पादन की बिक्री स्थल तक ले जाने का खर्च इत्यादि परिवहन प्रबंध के अन्तर्गत शामिल है। परिवहन प्रबंध मे इन खर्चों को न्यूनतम करके तथा कम समय मे कम खर्च मे अधिकतम परिवहन सुविधा प्राप्त करना भी उत्पादन प्रबंधन का कार्य होता है।
13. अन्य कार्य
1. बीमा प्रबंधन
2. शोध एवं विकास
3. संसाधनों का सफलतम प्रयोग
संदर्भ; मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, लेखक डाॅ.  सुरेश चन्द्र जैन
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