योग का आधार क्या है?
योग का आधार प्रसन्नता की तलाश करना हैं, हम प्रसन्नता की तलाश बाह्य रूप में ऐन्द्रियिक सुख में करते हैं। जबकि प्रसन्नता तो हमारे अंदर से आती हैं। प्रसन्नता मन को शांत रखने से मिलती है। यह विचारो से विहीन स्थिति होती हैं। यह आनन्द, स्वतंत्रता, ज्ञान और रचनात्मकता की स्थिति होती है। उपनिषदों मे भी यह उल्लेख मिलता है कि मौन साधना की मूल स्थिति, समस्त सृष्टि (सृजन) की हेतुक (कारणात्मक) स्थिति होती है। जो लोग उस व्यापक और स्थाई प्रसन्नता और आनंद की तलाश में रहते है, जो लोग ज्ञान को प्राप्त करना चाहते है, जो एकदम स्वतंत्र रहकर अधिक से अधिक रचनात्मक बनने की इच्छा रखते है, उनका एकमात्र उद्देश्य रहता है कि वे एकदम पूर्ण मौन की स्थिति में पहुँच जाएँ। यह स्थिति होती है, जहाँ विचारों के लिए कोई स्थान नहीं होता और यह तब होता है जब हम स्वयं को उस आनंदमय आंतरिक बोध से सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं।
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