7/01/2022

तुलनात्मक लोक प्रशासन का अर्थ, परिभाषा, महत्व, क्षेत्र

By:   Last Updated: in: ,

प्रश्न; तुलनात्मक लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? तुलनात्मक लोक प्रशासन की विशेषताएं बताइए। 

अथवा" तुलनात्मक लोक का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा तुलनात्मक लोक प्रशासन के उद्देश्य बताइए। 
अथवा" तुलनात्मक लोक प्रशासन को परिभाषित कीजिए तथा तुलनात्मक लोक के विषय क्षेत्र की विवेचन कीजिए। 
अथवा" तुलनात्मक लोक प्रशासन के अध्ययन के महत्व की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर--

तुलनात्मक लोक प्रशासन का अर्थ (tulnatmak lok prashasan kya hai)

तुलनात्मक लोक प्रशासन से अभिप्राय ऐसे विषय से है जिसके अन्तर्गत दो या दो से ज्यादा देशों की प्रशासनिक इकाईयों की संरचना तथा इन संरचनाओं के कार्यों की परस्पर तुलना की जाती है। यह तुलना राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय, अन्तर सांस्कृतिक तथा सामयिक (समय) हो सकती है। राष्ट्रीय में एक ही राष्ट्र के विभिन्न राज्यों की या अलग अलग विभागों की प्रशासनिक इकाइयों की तुलना की जा सकती है। अन्तर्राष्ट्रीय में दो विभिन्न देशों की प्रशासनिक संरचनाओं की तुलना की जाती है जैसे भारत तथा अमेरिका के अधिकारी तंत्र की तुलना या राष्ट्रपति चुनाव की प्रणाली की तुलना आदि। अन्तर सांस्कृतिक में दो विभिन्न संस्कृतियों की प्रशासनिक व्यवस्थाओं की तुलना की जाती है, जैसे पूंजीवादी संस्कृति तथा समाजवादी या साम्यवादी संस्कृति या अन्य संस्कृतियों के विभिन्न पहलुओं का तुलना अध्ययन सामयिक में विभिन्न समय विन्यास के दृष्टिकोण से तुलना की जाती है जैसे मौर्य काल एवं गुप्त काल की न्यायिक प्रणाली की तुलना। तुलना के विभिन्न स्वरूप स्पष्ट करते है कि आधुनिक तुलानात्मक लोक प्रशासन का कार्य क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत हो गया है।

तुलनात्मक लोक प्रशासन की परिभाषा (tulnatmak lok prashasan ki paribhasha)

निमरोद रफैली, " तुलनात्मक लोक प्रशासन, तुलनात्मक आधार पर लोक प्रशासन का अध्ययन।"  

तुलनात्मक प्रशासन समूह, “ विभिन्न संस्कृतियों तथा राष्ट्रीय परिदृश्य में प्रयुक्त हुए लोक प्रशासन के सिद्धांत तथा तथ्यात्मक सामग्री जिसके द्वारा इसका विस्तार एवं परीक्षण किया जा सकता है।"  

फैरल हैडी, “ तुलनात्मक लोक प्रशासन सिद्वान्त निर्माण की प्रक्रिया के समान है।"

टी. एन. चतुर्वेदी, " तुलनात्मक लोक प्रशासन के अन्तर्गत विभिन्न संस्कृतियों में कार्यरत विभिन्न राज्यों की सार्वजनिक एवं प्रशासनिक संस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।" 

गाई पीटर्स के शब्दों में, " यदि प्रशासन को जाँच का एक विशाल तथा सामान्य क्षेत्र समझा जाए तो तुलनात्मक लोक प्रशासन इसकी एक विशिष्ट शाखा है जो प्रशासन के सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक वातावरण को समझने में हमारी सहायता करती है।" 

ए. आर. त्यागी के कथनानुसार, “ तुलनात्मक लोक प्रशासन एक ऐसा अनुशासन है जो लोक प्रशासन के संपूर्ण सत्य को जानने के लिए समय, स्थान और सांस्कृतिक विभिन्नता की परवाह किए बिना तुलनात्मक अध्ययन में व्यावहारिक यंत्रों का प्रयोग करता है।"

फ्रेड डब्लू.  रिग्स का मत हैं कि," शब्द 'तुलनात्मक' का प्रयोग केवल अनुभवमूलक विधि-संबंधी अध्ययनों के लिए किया जाना चाहिए। वे लोक प्रशासन के तुलनात्मक अध्ययन में तीन प्रवृत्तियों का उल्लेख करते हैं-- 

1. आदर्शमूलक से अधिक अनुभवमूलक दृष्टिकोण की ओर, 

2. भावचित्र-विषयक (वैयक्तिक) से विधि-संबंधी (सर्वव्यापी) की ओर, 

3. लोक-प्रशासन के अध्ययन के लिए प्रमुखतया पर्यावरण-हीन से पर्यावरण आधारित अध्ययन की ओर चला जाना (From non-ecological to ecological)। 

पहली प्रवृत्ति पर्याप्त मात्रा तक स्थापित हो चुकी है और दूसरी दोनों प्रवृत्तियाँ शीघ्रता से उदय हो रही हैं। 

व्यवहार में तुलनात्मक लोक-प्रशासन ज्ञान की नई शाखा है जो दो या अधिक प्रशासनिक संगठनों देशों तथा विभिन्न व्यवस्थाओं के मध्य तुलनात्मक अध्ययन करती है। इसमें विभिन्न प्रशासनिक अभिकरण विभाग तथा निगम प्रक्रिया आदि होते हैं। यह सामान्यीकरण तथा वैज्ञानिक विधि पर बल देती है। यह अन्तर्विषयक दृष्टिकोण जो एक विषय का दूसरे विषय के साथ में मेल जोल वाले सम्बन्ध पर बल देती है।

तुलनात्मक लोक प्रशासन की मान्यताएं 

तुलनात्मक लोक प्रशासन का विकास अभी शैशव अवस्था में है। अभी भी इस विषय पर प्रचुर मात्रा में साहित्य उपलब्ध नहीं हो सका है। अतः तुलनात्मक लोक प्रशासन की मान्यताओं के सम्बन्ध में रॉबर्ट जैक्सन द्वारा व्यक्त मान्यताओं को भी प्रश्रय दिया जाता है। रॉबर्ट जैक्सन ने तुलनात्मक लोक प्रशासन की चार मान्यताओं का उल्लेख किया है--  

1. प्रशासनिक व्यवहार में कुछ ऐसी परिस्थितियाँ हैं, जिनका व्यवस्थित विश्लेषण किया जा सकता है। 

2. प्रशासन के क्षेत्र के अर्न्तगत जो पद्धतियाँ अपनायी गयी हैं, उनका अध्ययन विभिन्न संस्कृतियों और राष्ट्रों के सन्दर्भ में किया जा सकता है। 

3. तुलनात्मक अध्ययन के फलस्वरूप प्राप्त निष्कर्षों की परीक्षा की जा सकती है। 

4. ऐसी आशा की जाती है कि इस प्रकार का तुलनात्मक विश्लेषण प्रायोगिकता और सार्वभैमिकता की भिन्न-भिन्न मात्राओं के लिए सामान्यीकरण के विविध स्तरों पर प्रशासनिक प्रतिरूपों से सम्बन्धित परिकल्पनाओं के निर्माण में सहायक सिद्ध होगा। अन्ततः इस प्रकार की प्रतिज्ञप्तियों को लोक प्रशासन के सामान्य सिद्धान्तों में स्वीकृत किया जा सकेगा। 

तुलनात्मक लोक प्रशासन की मान्यताओं के सन्दर्भ में जो प्रारम्भिक अध्ययन किये गये थे, उनमें वुडरो विल्सन ने अमेरिकी प्रशासन को पढ़ने, समझने तथा सुधारने के लिए यूरोपीय अनुभव पर जोर दिया था। जो प्रारम्भिक अध्ययन किये गये थे, उनमें अध्ययन का मुख्य केन्द्र स्थानीय समस्याएँ ही थीं, जिनका सम्बन्ध यूरोपीय प्रशासनिक व्यवस्थाओं तक ही सीमित था मात्र प्रसंगवश ही अन्य व्यवस्थाओं के नामों का उल्लेख किया गया था। लेकिन रॉबर्ट जैक्सन ने जो मान्यताएँ प्रकट की हैं, वह लगभग समस्त देशों में लागू होती हैं।

तुलनात्मक लोक प्रशासन की विशेषताएं (tulnatmak lok prashasan ki visheshta)

उपर्युक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर तुलनात्मक लोक प्रशासन की कुछ विशेषतायें उभर के सामने आती हैं, जिनको निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर देखा जा सकता है--- 

1. सर्वप्रथम तुलनात्मक लोक प्रशासन, लोक प्रशासन की एक अलग शाखा के रूप में विकसित हो रहा है।

2. यह लोक प्रशासन के अध्ययन के क्षेत्र में एक नई अवधारणा है।

3 . इसके द्वारा दो या दो से ज्यादा देशों की व्यवस्थाओं या प्रशासनिक संगठनों के बीच तुलनात्मक अध्ययन व विश्लेषण किया जाता है।

4. तुलनात्मक लोक प्रशासन के माध्यम से विभिन्न देशों, राज्यों और संगठनों के बीच की दूरी को समाप्त करके उनके अनुभवों का लाभ उठाने का प्रयास किया जाता है। 

5. इसमें परम्परागत सिद्धान्तों के स्थान पर वैज्ञानिक विधि पर ज्यादा बल दिया जाता है। 

6. इसमें विशिष्टता के स्थान पर सामान्यीकरण की ओर जाने के प्रयास किये जाते हैं। 

7. तुलनात्मक लोक प्रशासन पर्यावरणीय अध्ययन पर बल देता है और ऐसा मानता है कि लोक प्रशासन न केवल पर्यावरण से प्रभावित होता है बल्कि स्वयं भी पर्यावरण के घटकों को प्रभावित करता है। 

8. पर्यावरणीय अध्ययन पर बल देने वाली अपनी प्रकृति के कारण ही तुलनात्मक लोक प्रशासन की एक और विशेषता उभर कर सामने आती है कि यह अन्य सामाजिक विज्ञानों से समन्वय स्थापित करने का प्रयास करता है। अर्थात् साधारण शब्दों में तुलनात्मक लोक प्रशासन अन्तरविषयी दृष्टिकोण अपनाने पर जोर देता है।

तुलनात्मक लोक प्रशासन के अध्ययन का महत्व (tulnatmak lok prashasan ka mahtva)

तुलनात्मक लोक प्रशासन का अध्ययन विद्वानों का केवल बौद्धिक व्यायाम ही नहीं, न ही यह केवल तुलनात्मक अध्ययनों तक सीमित हैं। इसके निष्कर्षों का समूचे लोक प्रशासन पर महत्वपूर्ण प्रभाव हैं। तुलनात्मक अध्ययन का मूल योगदान यह हैं कि इसने 'क्षेत्रवाद' और 'प्रांतवाद' की संकीर्णता को समाप्त किया हैं। लोक प्रशासन में तुलनात्मक अध्ययन की बढ़ती हुई प्रवृत्ति ने इस विषय को विशाल, गहरा तथा उपयोगी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। तुलनात्मक अध्ययन राजनीति और लोक प्रशासन को एक-दूसरे के निकट लाया हैं। सामाजिक विज्ञान अनुसंधान का क्षेत्र जो पहले सांस्कृतिक बन्धनों तक सीमित था, तुलनात्मक विज्ञान-प्रणाली (Methodology) से विस्तृत बना है। तुलनात्मक क्रान्ति के कारण सिद्धांत-निर्माण में अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण आया हैं। अन्त में, इससे सामाजिक विश्लेषण के क्षेत्र को विस्तृत बनाने की प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिला हैं। 

किन्तु इसके विकास की दृष्टि से तुलनात्मक लोक प्रशासन में कुछ अपूर्णताएँ देखी गई हैं। तुलनात्मक प्रशासन ने, विशेषतया रिग्स (Riggs) के उपरान्त, जिस दृष्टिकोण (Approach) को अपनाया, वह सिस्टम्ज (Systems) समाजशास्त्र के नमूने पर महान् सिद्धांत का मार्ग था। उदाहरण के तौर पर रिग्स का दृष्टिकोण (Approach) विस्तृत माॅडल्ज के विकास करने पर बल देता हैं।...."जिससे अन्ततः हमें प्रशासनिक व्यवहार को अधिक समझने में सहायता मिल सकें।" गोलमब्यूस्की के अनुसार," इसमें मौलिक दोष यह है कि 'अन्ततः' एक बहुत लम्बा समय हो जाने की सम्भावना हैं। 

तुलनात्मक प्रशासन के विकास में अनुभवमूलक सिद्धांत की कमी हैं। अनुभवमूलक अनुसंधान के लिए इसका रीति-विधान संबंधी (Methodological) आधार अपर्याप्त हैं साथ ही अनुभव और परम्पराओं की कमी है। इसके अतिरिक्त तुलनात्मक प्रशासन के प्रयास आदि विज्ञान विरोधी नहीं, तो अवैज्ञानिक हैं।

अन्त में, तुलनात्मक प्रशासन ने किसी सबल व्यावहारिक पक्ष का विकास नहीं किया। इसका अर्थ हैं कि इसने लक्ष्य-आधारित अनुभवमूलक सिद्धांतों का विकास नहीं किया। तुलनात्मक प्रशासन की प्रारंभिक विकास के काल में इसको व्यावहारिक रूप में, लागू करने की केंद्रीय आवश्यकता थी जो शीघ्र ही यह बहुत कमजोर इच्छा का रूप धारण कर गई। गोलब्यूस्की टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि," तुलनात्मक प्रशासन सामाजिक विज्ञान के रूप में अपर्याप्त विकसित हैं और कभी-कभी कार्य-रीति को लागू करता हैं..... इसलिए इसको एक शैक्षिक विश्लेषण के रूप में देखा जाता हैं और यह विश्वविद्यालयों के वातावरण 'ज्ञान के लिए हैं' की ओर झुकाव के प्रति आभारी हैं।" 

एस.पी.वर्मा तथा एस. के. शर्मा का निष्कर्ष यह हैं कि पिछले दशक में," रीति-विधान (Methodology) तथा प्रयोज्यता (Applicability) की दृष्टि से तुलनात्मक लोक प्रशासन के सम्मुख जो संकट आया हैं, वह इतना गंभीर नहीं कि यह पूर्णतया लुप्त हो जाये। आधुनिक वर्गों से इसका जोर भले ही कम हो गया हो, किन्तु इसका व्यक्तित्व आधुनिक सामाजिक विज्ञान के सैद्धांतिक क्षेत्र में होने के कारण अभी इसमें जीवित रहने की अन्त:शक्ति हैं।"

तुलनात्मक लोक प्रशासन का क्षेत्र (tulnatmak lok prashasan ka kshera)

तुलनात्मक लोक प्रशासन का अर्थ समझने के बाद एक स्वभाविक सा प्रश्न ये उठता है कि तुलनात्मक लोक प्रशासन का अध्ययन किन-किन क्षेत्रों में किया जा सकता है? सामान्यतः लोक प्रशासन के अध्ययन का क्षेत्र विश्व के समस्त देशों की प्रशासनिक व्यवस्थाऐं मानी जाती हैं, या यूँ कह सकते हैं कि, तुलनात्मक लोक प्रशासन एक विश्वव्यापी लक्षण बन चुका है। विश्व के हर देश में तुलनात्मक क्षेत्र पर बल दिया जाने लगा है। तुलनात्मक में लोक प्रशासन का क्षेत्र उसकी तुलना करने की प्रकृति पर निर्भर करता है और तुलना का आधार उसके क्षेत्र को निश्चित करता है। तुलनात्मक लोक प्रशासन के अध्ययन में निम्नलिखित बातों को सम्मिलित किया जा सकता है-- 

1. सार्वजनिक तथा व्यक्तिगत 

प्रशासन का अध्ययन तुलनात्मक लोक प्रशासन के क्षेत्र के अन्तर्गत सार्वजनिक तथा व्यक्तिगत प्रशासन की निम्नलिखित बातों का अध्ययन किया जाता है-- एक देश या संस्कृतिक की संरचनाओं का तुलनात्मक अध्ययन, अन्तर्राष्ट्रीय और अन्तः संस्कृति की संरचनाओं का तुलनात्मक अध्ययन और विभिन्न राष्ट्र और संस्कृतियों की घटनाओं का तुलनात्मक अध्ययन 

2. प्रजातांत्रिक संस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन 

विभिन्न देशों की प्रजातांत्रिक संस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन भी तुलनात्मक लोक प्रशासन के अध्ययन के क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। इसमें इन संस्थाओं के कार्यों, गुण एवं महत्व आदि का अध्ययन किया जाता है। जैसे-- उदाहरण के तौर पर भारत की प्रजातांत्रिक संस्थाओं की संयुक्त राज्य अमरीका या इंग्लैण्ड की ऐसी ही संस्थाओं के साथ तुलना किया जाना। 

3. प्रशासनिक नियंत्रण के विभिन्न साधनों का तुलनात्मक अध्ययन 

जिस प्रकार विभिन्न देशों की प्रजातांत्रिक संस्थाओं के गठन, कार्यों आदि का तुलनात्मक अध्ययन तुलनात्मक लोक प्रशासन के क्षेत्र के अन्तर्गत माना है, उसी प्रकार विभिन्न देशों की कार्यपालिका, व्यवस्थापिक एवं न्यायपालिका प्रशासन पर नियंत्रण के किन साधनों का प्रयोग किया जाता है उन साधनों का तुलनात्मक अध्ययन भी इस विषय के क्षेत्र के अन्तर्गत आता है।

4. कार्मिक वर्ग की समस्याओं का तुलनात्मक अध्ययन 

तुलनात्मक लोक प्रशासन अपने क्षेत्र के अन्तर्गत विभिन्न देशों के कार्मिक वर्ग के प्रशासन और उनकी विभिन्न समस्याओं के तुलनात्मक अध्ययन को भी समाहित करके रखता है। उदाहरण के लिये भारत एवं अमरीका के कार्मिक वर्ग के प्रशासन का तुलनात्मक अध्ययन। 

5. कार्यात्मक प्रशासन का तुलनात्मक अध्ययन 

तुलनात्मक लोक प्रशासन के क्षेत्र में शिक्षा, समाज तथा आर्थिक प्रशासन आदि विभिन्न प्रकार के कार्यात्मक प्रशासनों का भी तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। उदाहरणर के तौर पर भारत व ब्रिटेन के शिक्षा प्रशासन का तुलनात्मक अध्ययन।

6. अन्य प्रशासनों की तुलना 

तुलनात्मक लोक प्रशासन का क्षेत्र ना केवल उपरोक्त वर्णित पक्षों का तुलनात्मक अध्ययन समाहित करता है, बल्कि इसके अध्ययन में विदेशी प्रसाधन, अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं का प्रशासन, तुलनात्मक स्थानीय प्रशासन तथा मानव व्यवहार का भी तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। 

उपर्युक्त वर्णित तथ्य, तुलनात्मक लोक प्रशासन के क्षेत्र को समझने के लिये पर्याप्त प्रतीत होते हैं, परन्तु फिर भी यदि हम कुछ अन्य विद्वानों द्वारा तुलनात्मक लोक प्रशासन के अध्ययन क्षेत्र को देखें, तो पाते हैं कि उन्होंने इसे तीन स्तरों में विभाजित किया --

1. वृहत्स्तरीय अध्ययन, 

2. मध्यवर्ती अध्ययन और 

3. लघुस्तरीय अध्ययना

नीचे इन तीन का संक्षिप्‍त विवरण निम्नलिखित हैं--

1. वृहद्स्तरीय अध्ययन 

इसके तहत किसी एक देश की सम्पूर्ण प्रशासनिक व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन किसी दूसरे देश की सम्पूर्ण प्रशासनिक व्यवस्था के साथ किया जाता है। उदाहरण के लिए भारत की प्रशासनिक व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन अमेरिका, फ्रांस आदि की प्रशासनिक व्यवस्था से किया जाता है। इस अध्ययन में दोनों देशों के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक पर्यावरण का अध्ययन किया जाता हैं। 

2. मध्यवर्ती अध्ययन 

इस अध्ययन में दो देशों की प्रशासनिक व्यवस्था के किसी एक बड़े अंग का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है, जैसे भारत तथा अमेरिका की वित्तीय प्रणाली या स्थानीय प्रशासन का अध्ययन इस अध्ययन का क्षेत्र किसी देश की सम्पूर्ण प्रशासनिक व्यवस्था नहीं होती तथा न ही इसमें इन व्यवस्थाओं के किसी सूक्ष्म अंग की तुलना की जाती है। लेकिन इन दोनों के प्रशासन के एक बड़े भाग की तुलना दूसरे देश की समस्तरीय प्रशासनिक व्यवस्था से की जाती है।

3. लघुस्तरीय अध्ययन 

इसमें छोटे या सूक्ष्म दृष्टि से तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। वर्तमान में सामाजिक विज्ञानों में लघुस्तरीय अध्ययन अधिक प्रचलित है। इसमें तुलनात्मक अध्ययन का क्षेत्र सीमित होता है। इसमें एक विशेष प्रक्रिया का अध्ययन दूसरे देश के समकक्ष प्रशासनिक व्यवस्था से किया जाता है जैसे भारत तथा अमेरिका में सोशल मीडिया (Social Media) का प्रशासन पर प्रभाव, भारत में नवम्बर 2016 में हुए विमुद्रीकरण से उपजे हालातों पर प्रबन्धन के सम्बन्ध में भारतीय रिजर्व बैंक एवं अन्य देश जहाँ विमुद्रीकरण (नोटबंदी) हुआ हो वहाँ के केन्द्रीय बैंक के प्रबन्धन का तुलनात्मक अध्ययन अथवा भारत एवं स्वीडन में भ्रष्टाचार से निपटने हेतु लागू किए गए सरकारी प्रयासों का तुलनात्मक अध्ययन आजकल इस प्रकार के अध्ययन अत्यधिक प्रचलित है।  

उपर्युक्त के साथ तुलनात्मक लोक प्रशासन के क्षेत्र में अन्तर्देशीय (देश के भीतर) अन्तरसांस्कृतिक (दो देशों के प्रशासकों के कार्य व्यवहार रीति रिवाज आदि का अध्ययन) समसामयिक (वर्तमान भारत तथा जर्मनी की तुलना), संकर सामयिक (वर्तमान प्रशासन की प्राचीन काल के प्रशासन से तुलना) विकसित, विकासशील एवं अत्यन्त पिछड़े देशों के मध्य तुलना इत्यादि भी शामिल है।

तुलनात्मक लोक प्रशासन का उद्देश्य  (tulnatmak lok prashasan ke uddshya)

तुलनात्मक लोक प्रशासन के अनेक प्रयोजन है, यही कारण है कि आज विश्व के प्रायः सभी देशों में तुलनात्मक लोक प्रशासन के महत्व को स्वीकार कर लिया गया है। तुलनात्मक लोक प्रशासन उद्देश्य अग्रलिखित है-- 

1. विशिष्ट प्रशासनिक समस्याओं प्रणालियों इत्यादि का अध्ययन करके सामान्य नियमों तथा सिद्धान्तों का सृजन करना। 

2. प्रशासनिक व्यवहार में विभिन्न संस्कृतियों राष्ट्रों एवं व्यवस्थाओं का विश्लेषण तथा व्याख्या करना। 

3. विविध देशों की प्रशासनिक प्रणालियों की तुलनात्मक परिस्थिति को पहचान कर उनकी सफलता एवं असफलता के कारणों की जाँच - पड़ताल करना। 

4. प्रशासनिक सुधारों की कार्य-नीति को समझना। 

5. लोक प्रशासन के अध्ययन के क्षितिज को व्यापक, व्यावहारिक तथा वैज्ञानिक बनाना। 

व्यवहार में लोक प्रशासन को समृद्ध व्यापक तथा वैज्ञानिक बनाना ही तुलनात्मक लोक प्रशासन का उद्देश्य है।

शायद यह जानकारी आपके के बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी
यह भी प

कोई टिप्पणी नहीं:
Write comment

आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।