7/31/2022

संयुक्त राष्ट्र संघ क्या हैं? संगठन, उद्देश्य, सिद्धांत

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संयुक्त राष्ट्र संघ क्या हैं? (sanyukt rashtra sangh kise kahte hai)

द्वितीय विश्व युद्ध के मध्य में ही मित्र राष्ट्रों ने मिलकर एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था की स्थापना के संबंध में विचार-विमर्श किया था। उन्होंने उसकी पृष्ठभूमि भी तैयार कर ली थी। इस संबंध में सर्वप्रथम अगस्त 1941 को अमेरिका व इंग्लैंड में अटलांटिक चार्टर की महत्वपूर्ण घोषणा प्रकाशित की गई। इस घोषणा में कुछ सिद्ध सिद्धांतों की व्याख्या की गई। इसके अंतर्गत अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को शांति पूर्ण साधनों द्वारा सुलझाने का आश्वासन दिया गया था। एक जनवरी सन् 1942 में रूस, अमेरिका व इंग्लैंड ने संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र संघ की योजना को स्वीकार कर लिया था। मास्को सम्‍मेलन में, अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, फ्रांस व चीन ने राष्ट्र संघ की पुनर्स्थापना पर विशेष बल दिया। तत्पश्चात् सन् 1944 में मित्र राष्ट्रों का एक सम्मेलन अमेरिका के 'डम्बर्टन ओक्स' नामक स्थान पर हुआ। 24 अक्टूबर सन् 1944 को 51 राष्ट्रों ने संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये। अप्रैल 1945 में सेन फ्रांसिस्को नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई। प्रारंभ में इसके सदस्यों की संख्या 50 थी, जो आगे चलकर वर्तमान में 1993 तक पहुंच गई। इसका प्रथम अधिवेशन 1949 में लंदन में हुआ। इसके स्थायी कार्यालय की स्थापना न्यूयार्क में हुई। राष्ट्र संघ की चल व अचल सभी प्रकार की संपत्ति संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रदान की गई। 

संयुक्त राष्ट्र संघ का संगठन (sanyukt rashtra sangh ka sangthan)

संयुक्त राष्ट्र शान्ति प्रिय देशों की एक संस्था हैं। संघ के चार्टर में कहा गया है कि वर्तमान घोषणा-पत्र के दायित्वों को स्वीकार करने वाला कोई भी शांतिप्रिय देश संघ का सदस्य बन सकता हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में दो प्रकार के सदस्य हैं। चार्टर की तीसरी धारा के अंतर्गत राष्ट्र संघ के प्रारंभिक सदस्य वे थे, जिन्होंने सेन फ्रांसिस्को सम्मेलन में भाग लिया था, अथवा संघ के चार्टर पर धारा 110 के अनुसार उसकी सम्पुष्टि की थी। इस प्रकार के राज्यों की संख्या इक्यावन थी। इनके अतिरिक्त दूसरे देश भी इसके सदस्य बन सकते थे। शर्त यह थी कि वे शांतिप्रिय हों तथा चार्टर के उत्तरदायित्व को स्वीकार करने और उसको पूरा करने के योग्य और इच्छुक समझे जाते हों। 
कोई भी राष्ट्र जो संयुक्त राष्ट्र संघ के संविधान को स्वीकार कर ले और संघ के उद्देश्‍यों को क्रियान्वित करने का वचन दे, संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बन सकता हैं। संघ को सुरक्षा परिषद् के नए सदस्य बनाने का अधिकार प्राप्त हैं। यदि सुरक्षा परिषद् तथा संघ के स्थायी सदस्यों का 2/6 बहुमत किसी राष्ट्र का पक्ष लेता है, तब वह राष्ट्र संघ का सदस्य बन सकता हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्‍य (sanyukt rashtra sangh ke uddshya)

संयुक्त राष्ट्र संघ के निम्नलिखित उद्देश्‍य हैं-- 
1. मानव जाति की भावी संततियों को युद्ध की विभीषिका से मुक्त करना, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखना तथा अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों का न्याय और अन्तर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर शांतिपूर्ण उपायों से समाधान करना। 
2. समस्‍त राष्ट्रों में समानाधिकार और आत्म-निर्णय के आधार पर मैत्री संबंधों को प्रोत्साहन देना।
3. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक या मानवतावादी अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान करने में सब देशों का सहयोग प्राप्त करना। 
4. संयुक्त राष्ट्र संघ को ऐसा केन्द्र बनाना जो इन सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभिन्‍न राष्ट्रों द्वारा किये जाने वाले कार्यों में समन्वय स्थापित करता चले। 

संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांत (sanyukt rashtra sangh ke siddhnat)

संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों का वर्णन चार्टर की द्वितीय धारा में किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ के निम्नलिखित सिद्धांत है-- 
1. इसके समस्‍त सदस्य राष्ट्रों को समानता का अधिकार दिया जाएगा, किन्तु सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों को इस संस्था के अन्य सदस्यों की अपेक्षा अधिक अधिकार मिलेंगे।
2. सदस्यता द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ के लाभों तथा अधिकारों की गारंटी के साथ प्राप्त करने के लिए इसके सभी सदस्य राष्ट्र, लिये गये उत्तरदायित्‍वों का निर्वाह करेंगे। 
3. अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा को बनाए रखने के लिए सभी राष्ट्र विवादों का शांतिपूर्ण उपायों से समाधान करेंगे। 
4. कोई भी राष्ट्र किसी भी राष्ट्र की स्वतंत्रता को अपह्रत करने का प्रयास नहीं करेगा। इस संस्था के समस्‍त सदस्य एक-दूसरे के सिद्धांतों का अनुसरण करेंगे।
5. प्रत्येक राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र संघ को किसी भी कार्य में सहायता प्रदान करेगा। इसके साथ ही साथ कोई भी राष्ट्र उस राष्ट्र को कोई ऐसी सहायता नहीं पहुँचाएगा, जिसके विरूद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ कार्यवाही कर रहा हैं। 
6. यह संस्था चार्टर के अनुसार इस बात की गारंटी देगी कि इसकी सदस्यता से विहीन राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा के आधार पर कार्य करेंगे। 
7. यह संस्था राष्ट्रों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगी।

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