3/28/2022

ग्रामीण विकास के उद्देश्य

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ग्रामीण विकास के उद्देश्य 

gramin vikas ke uddeshy;ब्रिटिश शासनकाल में भारत का कितना पतन हुआ, यह ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता की वृद्धि से प्रकट होता है। हमारा देश तब भी ग्राम प्रधान था और आज भी ग्राम प्रधान हैं, किन्तु किसानों से कृषि राजस्व की वसूली के जो तरीके और फसलों की जो पद्धित उस दौरान लागू की गयी, उससे अनाज का उत्पादन कम हुआ तथा गाँवों की आम हालत खराब हो गयी। ब्रिटिश उद्योगों का विस्तार करने के लिए देश के कुटीर उद्योग का गला घोंटने तथा कारीगरों को निकम्मा बना देने के प्रयासों से देश के गाँवों की हालत और बदतर हो गयी। 

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स्वतंत्रता के बाद ग्रामीण क्षेत्रों का विकास पंचवर्षीय योजनाओं के सर्वोच्च लक्ष्यों में से एक रहा हैं। छठे दशक के प्रारंभिक वर्षों में सामुदायिक विकास कार्यक्रमों के अन्तर्गत, गाँवों में बुनियादी विस्तार व विकास सेवाएँ आरंभ की गयी। इस कार्यक्रम से ग्रामीण लोगों मे विकास की संभावनाओं के संबंध में जागृति पैदा हुई तथा बाद में सातवें दशक के मध्य में कृषि कार्यों प्रमुख प्रौद्योगिकीय उपलब्धियों को तुरंत अपनाया जा सका। 

भारत में ग्रामीण विकास का उद्देश्य सरकारी तथा गैर-सरकारी एजेन्सियों के द्वारा संपूर्ण ग्रामीण जीवन का चतुर्दिक विकास करना हैं। इस संदर्भ में ग्रामीण विकास के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-- 

1. ग्रामीण समुदाय की संपूर्ण जन-शक्ति तथा संबंध तथा उपलब्ध साधनों का अधिकतम उपयोग करते हुये ग्रामीणों का सामाजिक-आर्थिक विकास करना तथा गाँवों में विकास की एक स्वतःचलित शक्ति उत्पन्न करना। 

2. गाँवों में ऋणग्रस्तता तथा आर्थिक विषमता की समस्या का निराकरण करके ग्रामीणों के रहन-सहन के स्तर में सुधार करना। 

3. कृषि की पिछड़ी दशा में सुधार करने के लिए नवीनतम उपकरणों की सुविधाएं जूटाना तथा ऐसी संस्थाओं को विकसित करना जिनकी सहायता से किसान कृषि के नवीन ज्ञान का लाभ उठा सकें। 

4. भूमि-सुधार के द्वारा कृषि-उत्पादन में वृद्धि तथा ग्रामीण असमानताओं को कम करना। 

5. ग्रामीण कुटीर उद्योगों का विकास करना जिससे ग्रामीण अतिरिक्त समय का सर्वोत्तम उपयोग कर सकें। 

6. समाज-सुधार कार्यक्रमों को अधिक-से-अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए ग्रामीण शिक्षा में वृद्धि करना तथा प्रौढ़-शिक्षा का विस्तार करना। 

7. ग्रामीण स्वास्थ्य के स्तर में सुधार करने के लिए समुचित आवास, चिकित्सा तथा पीने के पानी का प्रबंध करना। 

8. ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक भावनाओं का संचार करने के लिए ऐसे संगठनों की स्थापना करना जिनकी सहायता से ग्रामवासियों में परस्पर सहयोग तथा सामुदायिक जीवन के प्रति रूचि उत्पन्न हो सके। 

9. गाँव में स्वस्थ नेतृत्व को विकसित करना, ग्रामीणों को राजनीतिक सहभाग के लिए प्रशिक्षित करना तथा ऐसी क्षमता विकसित करना जिससे ग्रामीण अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं कर सकें। 

10. गाँवों में स्वस्थ मनोरंजन की व्यवस्था करना तथा ग्रामीणों को मनोरंजन के माध्यम से नवीन ज्ञान प्रदान करना। 

11. प्राकृतिक विपत्तियों जैसे, अकाल, बाढ़ तथा महामारियों के विरूद्ध ग्रामीणों को संरक्षण देना तथा भविष्य में उन्हें रोकने के लिए प्रभावपूर्ण उपाय करना। 

12. परिवहन तथा संचार के साधनों का पर्याप्त विस्तार करना जिससे ग्रामीणों का आर्थिक तथा सामाजिक जीवन प्रगतिशील बन सकें। 

13. ग्रामीण सामाजिक संरचना में जातिवाद, साम्प्रदायवाद तथा छुआछूत जैसी समस्याओं का उन्मूलन करना। 

14. ग्रामीणों में एक ऐसी मनोवृत्ति विकसित करना जिससे वे उपयोगी परिवर्तनों को ग्रहण करने योग्य बन सकें।

यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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