9/14/2021

युवा तुर्को की गृह नीति एवं विदेश नीति

By:   Last Updated: in: ,

युवा तुर्को की गृह नीति (yuva turko ki grah niti)

युवा तुर्को गृह नीति निम्‍नलिखित है- 

1. विघटनकारी तत्‍वों का अन्‍त करने का प्रयास

युवा तुर्को की धारणा थी कि तुर्की की एकता एंव अखण्‍डता के लिए विघटनकारी तत्व एक भयंकर खतरा है। युवा तुर्को ने जातीय एंव राष्‍ट्रीय नामों के राजनीतिक संगठन को विघटनकारी तत्‍वों की संज्ञा दी। अतः 16 अगस्‍त 1909 ई. को समिति की सरकार ने ‘संगठन का कानून‘ पास कर इस प्रकार के संगठनों को अवैध घोषित कर दिया। 27 अगस्‍त, 1909 ई. को डकैती निरोधक कानून पास किया गया। इस कानून के तहत राजनीतिक एंव जातीय संगठनों को कुचलने के लिए सैनिक दस्‍तें बनाये गये। युवा तुर्को का यह कार्य पूर्ण सफल नहीं हो पाया। 

यह भी पढ़े; युवा तुर्क क्रांति/आंदोलन के उदय के कारण, उद्देश्य 

2. पान ओटोमैनिज्‍म

पान ओटोमैनिज्‍म का अर्थ है - वृहद् ओटोमनवाद से है। इस नीति का मतलब यह था कि सम्‍पूर्ण ओटोमन साम्राज्‍य के लोग एकता के सूत्र में बंधे। इस एकता को लाने की जो नीति युवा तुर्को ने अपनाई वह इतिहास में पान ओटोमैनिज्‍म के नाम से जाने जाती है। 

युवा तुर्को की वृहद ओटोमनवाद की नीति अपने उद्देश्‍य में सफल नहीं हो पाई। इस नीति के सैद्धान्तिक पक्ष की महत्ता से इन्‍कार नहीं किया जा सकता। व्‍यावहारिक रूप में भी यह नीति कारगर हो जाती तो युवा तुर्को का यह प्रयोग तुर्की के लिए वरदान सिद्ध होता, परन्‍तु तुर्की की तत्‍कालीन स्थिति में वृहद ओटोमनवाद की नीति पूर्णतः असफल रही। इसका सबसे बड़ा कारण तुर्की साम्राज्‍य का विचित्र संगठन था। लम्‍बे समय से विभिन्‍न जातियां इस साम्राज्‍य अपने स्‍वतंत्र अस्तित्‍व के साथ निवास करती चली आई थीं। अब्‍दुल हमीद के शासन काल इस पार्थक्‍य में अत्‍यधिक वृद्धि हो चुकी थी। उसके शासन काल में अपनाई गई ‘पान इस्‍लामिज्‍स‘ की नीति ने मुसलमानों को जो विशेषाधिकार प्रदान कर दिये थे उन्‍हें मुस्लिम जनता आसानी से कैसे छोड़ सकती थी? अतः उन्‍होंने अरेबिया में पान ओटोमनवाद के विरूद्ध ‘मोहाबी आन्‍दोलन‘ छोड़ दिया। जब युवा तुर्क पान ओटोमनवाद का दावा कर रहे थे तब बल्‍गारिया, यूनान एंव  रूमानिया जैसे छोटे-छोटे क्षेत्रों की जनता राष्‍ट्रवादिता की भावना से आन्‍दोलित होकर पृथक राज्‍य की कल्‍पना कर रही थी, ईसाई भी युवा तुर्को की नीति से अप्रसन्‍न थे। 

3. वृहद इस्‍लामवाद 

पान ओटोमनवाद की असफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका मुस्लिम वर्ग ने निभायी थी। अतः युवा तुर्को ने साम्राज्‍य के मुस्लिम वर्ग को अपने समर्थन में लेकर अपनी नीतियों को क्रियान्वित करने का प्रयत्‍न करने के मार्ग पर चलना प्रारम्‍भ किया। उनकी धारणा अब इस ओर मुड़ गई कि तुर्की में केवल मुसलमानों को विशेष सुविधांए देकर साम्राज्‍य को संगठित किया जा सकता है। उनकी यह नीति वृहद् इस्‍लामवाद की नीति कहलाती थी। वस्‍तुतः इस नीति का जनक अब्‍दुल हमीद द्वितीय था। शिक्षा, कानून एंव प्रशासनिक क्षेत्रों में मुस्लिम वर्ग को विशेषाधिकार प्रदान किए गए। 

4.यामी तुरानिज्‍म

युवा तुर्क जब अपनी दोनो नीतियों में असफल हो गये, तो उन्‍होंने यामी तुरानिज्‍म की नीति का अनुसरण किया। युवा तुर्को को विदेशी आक्रमण के समय तुर्क मुसलमानों का सहयोग प्राप्‍त हुआ था। अतः अब युवा तुर्को ने इस बात को कहना प्रारम्‍भ कर दिया कि केवल तुर्को के सहयोग से ही एकता स्‍थापित की जा सकती है। अतः उन्‍होंने साम्राज्‍य की तुर्क जाति को संगठित करने का प्रयत्‍न किया। उन्‍हें विशेषाधिकार प्रदान किए गए। उनकी यह नीति इतिहास में यामी तुरानिज्‍म के नाम से जानी जाती है। उनकी यह नीति भी असफल सिद्ध हुई। इस नीति के द्वारा तो केवल मुसलमानों की एक शाखा से ही समर्थन की आशा की जा सकती थी। 

शिक्षा के विकास ने पाश्‍चात्‍य सभ्‍यता एंव संस्‍कृति से तत्‍कालीन समाज को प्रभावित किया। समाजशास्त्रियों को विशेष सम्‍मान दिया जाने लगा। अहरद रिजा एंव सहीबुद्दीन तत्‍कालीन महत्त्वपूर्ण विचारक थे। अब्‍दुल्‍लाह जौदत ने ‘इजतिहाद‘ नामक पत्रिका में ‘जागरित निद्रा‘ नामक शीर्षक के अन्‍तर्गत तुर्की की जिस सामाजिक स्थिति का चित्रण खींचा था। वह अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण था। वास्‍तव में, यदि यह कहा जाए कि युवा तुर्क शासन काल (एकता एंव प्रगति समिति के शासन काल) में तुर्की में सामाजिक चिन्‍तन का मार्ग प्रशस्‍त हुआ तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

युवा तर्कों की विदेश नीति (yuva turko ki videsh niti)

तुर्की में जिस उत्‍साह और जिन महत्‍वपूर्ण उद्देश्‍यों के साथ यह आन्‍दोलंन प्रारम्‍भ हुआ था। उसने पूरे यूरोप को चैंकन्‍ना कर दिया था। अब प्रत्‍येक यूरोपीय देश की दृष्टि तुर्की के सन्‍दर्भ में अत्‍यन्‍त सजग हो गई। यूरोपीय राज्‍यों ने जब युवा तुर्की सरकार को अपनी गृह नीति के संचालन में असफल होते देखा तो अपनी गतिविधि तीव्र कर दी। आस्ट्रिया ने बोस्निया एंव हर्जेगोविना पर अपना आधिपत्‍य स्‍थापित कर लिया। बल्‍गारिया ने अपनी स्‍वतंत्रता की घोषणा कर ली। 

इसमें ऑटोमन साम्राज्‍य में उथल-पुथल प्रारम्‍भ हो गयी। यह वह विद्रोह होने लगें। अक्‍टुबर, 1911 ई. में बाल्‍कान के चारों राज्‍यों-सर्बिया, बल्‍गारिया, मोंटेनेग्रो एंव यूनान में तुर्की का मिलकर सामना किया। युवा तुर्क पराजित हुए। 1913 ई. में मेसीडोनिया का प्रश्‍न द्वितीय बाल्‍कान युद्ध का कारण बना। बाल्‍कान राज्‍यों की महत्त्वाकांक्षाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली गई। तुर्की का साम्राज्‍य अब मात्र दादेंनल्‍स, बास्‍फोरस एंव कुस्‍तुनतुनिया तक सीमित रह गया। 

एकता एंव प्रगति समिति के ही शासन काल में प्रथम विश्‍वयुद्ध प्रारम्‍भ हुआ। तुर्की ने जर्मनी का साथ देते हुए मित्र राष्‍ट्रों के विरूद्ध में भाग लिया। युवा तुर्क सरकार को युद्ध में लगभग प्रत्‍येक मोर्चे पर असफलता का मुँह देखना पड़ा अन्‍ततः 10 अगस्‍त, 1920 ई. को तुर्की को अपमानित होकर सेब्रे की सन्धि करनी पड़ी। सीरिया, फिलिस्‍तीन एंव मेसोपोटामिया को तुर्की से स्‍वतंत्रता मिल गई और उनके भविष्‍य का निर्धारण मित्र राष्‍ट्रों पर छोड़ दिया। आर्मेनिया को स्‍वतंत्र घोषित कर दिया। कुर्दिस्‍तान को स्‍थानीय शासन प्रदान किया गया। जलडमरूमध्‍यों में अन्‍तर्राष्‍ट्रीय नियन्‍त्रण स्‍थापित कर दिया गया। ग्रीस को थ्रेस, एड्रियाटिक सागर के कुछ टापू तथा गेलीपोली के द्वीप दे दिए गए। इस प्रकार तुर्की से चार लाख चालीस हजार वर्गमील भूमि चली गई। तुर्की एक छोटा-सा देश रह गया। तुर्की पर आर्थिक नियन्‍त्रण लगा दिए गए। इस प्रकार युवा तुर्को का शासन काल उनकी गृह एंव विदेश नीति से सम्‍बन्धित समस्‍याओं का समाधान करने में पूर्णतः असफल रहा। इससे जनता संत्रस्‍त हो गई।

  यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

कोई टिप्पणी नहीं:
Write comment

आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।