युवा तुर्क क्रांति
yuva turk andolan ke uday ke karna, uddeshy, aasafalta ke karan mahatva;बर्लिन कांग्रेस के बाद टर्की का साम्राज्य लगभग आधा रह गया था। इसके बाद भी उसके पतन की प्रक्रिया जारी रही। 1885 ई. में रूमेलिया तुर्की के विरूद्ध विद्रोह करके पुनः बुल्गारिया में मिल गया। 1894 ई. से 1896 ई. तक आर्मिनिया की जनता ने विद्रोह किया। विद्रोह को कुचलते हुए टर्की के सैनिकों ने 20 हजार आर्मिनियनों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। 1896-1897 ई. में क्रीट को लेकर यूनान और टर्की में युद्ध हुआ। 1908 ई. में तीन बड़ी घटनांए हुई--
1. जुलाई 1908 ई. में युवा तुर्क क्रांति हुई।
2. 5 अक्टुबर 1908 ई. को बल्गारिया ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा कर दी तथा
3. 7 अक्टुबर 1908 ई. को ऑस्ट्रिया ने बोस्निया तथा हर्जेगोविना को अपने साम्राज्य में मिला दिया।
युवा तुर्क क्रांति अथवा आन्दोलन के उदय के कारण (yuva turk andolan ke karan)
युवा तुर्क आन्दोलन के उदय के कारण तो बहुत सारे थे। लेकिन उनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित थे--
1.अब्दुल हमीद का निरंकुश शासन
युवा तुर्क आन्दोलन का मुख्य कारण अब्दुल हमीद की निरंकुश शासन व्यवस्था थी। इसकी निरंकुशता का परिचय कराते हुए, दीनानाथ वर्मा के अनुसार, ‘‘ युवा तुर्क आन्दोलन अब्दुल हमीद के निरंकुश शासन के विरूद्ध एक प्रतिक्रिया के रूप में प्रकट हुआ। हम कह चुके हैं कि 1837 से 1908 ई. तक के काल में तुर्की साम्राज्य पर अब्दुल हमीद ने अपना निरंकुश शासन कायम रखा। इस अवधि में सुल्तान के शासन के खिलाफ कहीं भी विरोध का स्वर सुनाई नहीं पड़ा। 1895 ई. में सुल्तान के शासन के खिलाफ एक विद्रोह अवश्य हुआ था। लेकिन वह तुरंत दबा दिया गया और तुर्की पर सुल्तान का पूर्व निरंकुश शासन कायम रहा, लेकिन तुर्की के इतिहास में अब्दुल हमीद के इस निरंकुश शासन का भी महत्व है। अत्याचार निरंकुशता और भ्रष्टाचार के वातावरण में एक लाभ अवश्य हुआ। इसके विरूद्ध जो प्रतिक्रिया हुई, उसने तुर्की में उदारवादी आन्दोलन की उत्पत्ति में सहायता पहुँचाई। सच तो यह है कि अब्दुल हमीद के निरंकुश होने के कारण तुर्की में राष्ट्रीयता का प्रबल वेग आया और विभिन्न प्रकार के सुधार कार्य सम्पादित किए गए। इस दृष्टिकोण से यह कहा जा सकता है कि युवा तुर्क आन्दोलन का प्रधान कारण अब्दुल हमीन का निरंकुश शासन था।‘‘
हमीद ने अपने सत्ता में आते ही उदारवादियों पर कड़े प्रतिबंध, लगाए, संसद को भंग कर दिया और मंत्रियों के अधिकारों को छीन लिया। उसके शासन में उदारवादियों पर सबसे अधिक कठोरता बरती गई। उन्हें देश से निकाल दिया गया और बहुत से उदारवादी डर के कारण देश छोड़कर चले गए। उदारवादी नेता को सुल्तान की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई। सुल्तान ने यूरोप से आने वाले साहित्य पर प्रतिबंध लगा दिया। तथा लेखकों और कवियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। इन्हीं उदारवादियों ने देश के बाहर क्रांति का संगठन किया।
2. राष्ट्रीय भावनाओं का विकास
युर्व तुर्क आन्दोलन के उदय कारण में एक प्रमुख कारण उनके अंदर राष्ट्रीयता की भावना का जागृत होना भी था। इस समय का तुर्की का युवा वर्ग पश्चिमी राष्ट्रवादी भावनाओं से ओत-प्रोत था। तुर्की का युवा वर्ग जानता था कि तुर्की की उन्नति तभी हो सकती है जब वह समय के साथ चले और यूरोप के अन्य देशों की तरह राष्ट्रीय और उदारवादी शासन पद्धति लागू करे। तुर्की में राष्ट्रीय आन्दोलन का संगठन पश्चिमी अनुकरण तथा भावनाओं को अपनाने के कारण ही हुआ था। इस तरह युवा तुर्क आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण कारण राष्ट्रीय भावनाओं का विकास भी था।
3. अन्तर्राष्ट्रीय नीति और संधियां
युवा तर्क आन्दोलन का एक कारण था तुर्की की अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति और यूरोप के अन्य देशों की उसके प्रति नीतियां। रूस तुर्की युद्ध के बाद हुई सान-स्टीफेनो की संधि और उसकी प्रतिक्रिया स्वरूप हुआ। बर्लिन सम्मेलन तथा उसके द्वारा की गई तुर्की की व्यवस्था ने तुर्की के कई राज्यों विशेषकर बाल्कन प्रदेशों में जबरदस्त प्रतिक्रिया और असन्तोष की भावनाओं को जन्म दिया।
4. विदेशी हस्तक्षेप
आस्ट्रिया, रूस, इंग्लैण्ड़, जर्मनी आदि अपने व्यापारिक स्वार्थो के कारण एक ओर तो बाल्कन राज्यों में हस्तक्षेप कर उन्हें परस्पर लड़ाते रहे तथा उनमें अधिकार प्राप्त करने का प्रयत्न करते रहे तथा तथा आस्ट्रिया और रूस दोनों ही काले सागर, एजियन सागर और भू-मध्य सागर में आकर व्यापार करना चाहते थे। दूसरी ओर इंग्लैण्ड़ इन्हें अपने व्यापार में बाधक मानकर रोकना चाहता था। अतः तीनों तुर्की पर दबाव डालते रहते थे और तुर्की सदैव शक्तिशाली के सम्मुख झुकता रहा। यह क्रम बहुत पुराना था। 1828 ई. में तुर्की रूस से पराजित होकर उन्कियास स्कैलेसी की संधि के लिये और उसके अनुसार अपनी भूमि, धन और रूस को सुविधा देने का तैयार हो गया। जब लन्दन सम्मेलन में यूरोपीय देशों ने रूस के साथ संधि बदलने के लिये जोर डाला तो उनके सामने झुक गया। यही इतिहास 1877 ई. में तुर्की ने सेनस्टीफनों संधि स्वीकार कर और बर्लिन संधि में उसे परिवार्तित कर दोहराया। बाल्कन राज्यों के निर्णय सर्बिया, मॉन्टीनीग्रों या बल्गेरिया अथवा यूनान के निर्णय विदेशी हस्तक्षेपों को समाप्त कर तुर्की को एक स्वतंत्र और सार्वभौम राज्य बनाना चाहते थे।
युवा तुर्क आन्दोलन के उद्देश्य (yuva turk andolan ke uddeshy)
युवा तुर्क आन्दोलन कर्त्ताओं के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे--
1 .तुर्की की एकता और प्रगति - इस आन्दोलन का मुख्य लक्ष्य था तुर्की की प्रगति और एकता स्थापित करना।
2. तुर्की को निरंकुश शासन से मुक्ति दिलाना।
3. तुर्की में राष्ट्रीय और लोकतंत्रात्मक व्यवस्था लागू करना।
4. तुर्की को आधुनिक और पश्चिमी ढंग से निर्मित करना।
5. युवा तुर्क आन्दोलन का एक उद्देश्य तुर्की को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करना था।
युवा तुर्क आन्दोलन की असफलता के कारण
युवा तुर्क आन्दोलन की असफलता के कारण निम्न थे--
1. उग्र तुर्क नेता अधिक तुर्कीकरण की नीति पर चलने लगे, फलस्वरूप ईसाइयों तथा अन्य गैर तुर्की जातियों में युवा तुर्क सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ने लगा तथा प्रदेशों में विद्रोह होने लगे।
2. युवा तुर्क आन्दोलन न्याय का झंडा लेकर चला था, लेकिन अन्याय और शोषण का प्रतीक बन गया।
3. वह सुधारों का नारा लेकर चला था मगर क्रांति के बाद कोई भी सुधार योजना लागू नहीं की जा सकी।
4. तुर्की साम्राज्य विभिन्न जातियों, भाषाओं, धर्मो तथा संस्कृतियों का समूह था। अतः यह आवश्यक था इस विस्तृत साम्राज्य में केन्द्रीयकरण के स्थान पर विकेन्द्रीकरण की नीति अपनाते हुए शिथिल संघ शासन की स्थापना की जाती, परंतु युवा तुकों ने ऐसा नहीं किया।
5. युवा तुर्क सरकार अपने कार्यो से यूरोपीय राज्यों की सहानूभूति अर्जित नही कर सकी।
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युवा तुर्क आन्दोलन का महत्व एंव परिणाम
प्रथम बार तुर्की में क्रांतिकारियों ने तुर्की साम्राज्य में समस्त जातियों को समानता और स्वतंत्रता देने की घोषणा की। अतः क्रांति में सभी का सहयोग मिला। परन्तु युवा तुर्कों ने शासन पर एकाधिकार प्राप्त करके आतंकवादी, हिंसक, स्वेच्छाचारी तथा पक्षपात्पूर्ण शासन स्थापित कर दिया गया तथा वे अब्दुल हमीद से भी अधिक निर्दयी और बुरे सिद्ध हुए। उनमें शासन करने की योग्यता नहीं थी। अतः वे समस्त जनता पर अत्याचार करने लगे। इस प्रकार उन्होंने स्वंय क्रांति का गला घोंट डाला और असफल हो गये।
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