4/13/2021

अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का क्षेत्र

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अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का क्षेत्र 

अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र के क्षेत्र के अंतर्गत तीन विषय सम्मिलित होते है--

(अ) अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की विषय सामग्री 

इसके अंतर्गत एक देश से दूसरे देश के बीच वस्तुओं तथा सेवाओं के आयात-निर्यात को सम्मिलित किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की विषय सामग्री का संक्षिप्त वर्णन निम्न प्रकार से किया जा सकता है--

1. वाणिज्यिक नितियां 

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संबंध मे जो नीतियां अपनाई जाती है, उन्हें वाणिज्यिक नीतियां कहते है। अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र के अंतर्गत विभिन्न वाणिज्यिक नितियों का अध्ययन किया जाता है, जैसे स्वतंत्र व्यापार एवं सरंक्षण संरचना की विधियां, आयात अभ्यंश, एकाधिकारी संघ एवं अंतर्राष्ट्रीय संघ, राशि पतन, कस्टम यूनियम का सिद्धांत, द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय व्यापार, प्रशुल्क नीति, साम्राज्य अधिमान आदि। 

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2. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांत 

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विभिन्न सिद्धांतों का अध्ययन अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र के अंतर्गत किया जाता है। इन सिद्धांतों मे वणिकवादी तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धांत, तुलनात्मक लागत सिद्धांत, अवसर लागत सिद्धांत, एडम स्मिथ का प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धांत, साधन मूल्य-समानीकरण सिद्धांत, स्टाल्पर सैमुलसन प्रमेय, हैक्शर ओहलिन सिद्धांत, ल्योनतीफ विरोधाभास सिद्धांत आदि प्रमुख है।

3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मौद्रिक पक्ष 

अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के मौद्रिक पक्षों का अध्ययन भी किया जाता है। इनमे व्यापार की शर्ते, विदेशी विनिमय तथा विनिमय दर निर्धारण के सिद्धांत, विदेशी व्यापार गुणांक, विनिमय नियंत्रण, भुगतान-सन्तुलन, मूल्य स्थिरता एवं विनिमय स्थिरता तथा अंतर्राष्ट्रीय स्वर्णमान आदि का अध्ययन प्रमुख रूप से आता है।

4. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग 

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करने वाली सभी संस्थाओं तथा उससे संबंधित समस्याओं का हल करने के लिए स्थापित की गई है। संस्थाओं का अध्ययन भी अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री से सम्मानित होता है। इन संस्थाओं मे प्रमुख है-- विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, गैट (General Agreement on Tariffs and Trade, GATT), अंकटाड (United Nations Conference on Trade and Development or Unctad), अंतर्राष्ट्रीय तरलता की समस्या, यूरोपीय साझा बाजार, सार्क (South Asian Association for Regional Co-operation,  SAARC), प्रो. कीन्स का अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र, एशियाई साझा बाजार, एशिया तथा प्रशान्त सागर क्षेत्र के देशों का व्यापार सम्मेलन एवं एफ्टा आदि।

5. विदेशी व्यापार की संरचना एवं दिशा 

इसके अंतर्गत हम किसी भी देश की समय के क्रम मे व्यापारिक प्रवृत्तियों का अध्ययन करते है। अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की विषय-समाग्री मे विदेशी व्यापार मे विविधता एवं आधुनिक प्रवृत्तियां, आयात-निर्यात नीति, निर्यात संवर्द्धन तथा आयात-प्रतिस्थापन, व्यापार तथा भुगतान सन्तुलन, विदेशी पूंजी और आर्थिक विकास, अवमूल्यन एवं अधिमूल्यन आदि से संबंधित समस्त धारणाओं का अध्ययन भी सम्मानित होता है।

(ब) अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की प्रकृति 

प्रकृति का तात्पर्य है कि कोई विषय विज्ञान है या कला। किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते है तथा किसी कार्य को करने के लिए व्यावहारिक नियमों के बनाने को कला कहते है। अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनो है। वास्तविक विज्ञान के समान अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र मे भी तथ्यों को क्रमबद्ध रूप मे एकत्र किया जाता है, उनका वर्गीकरण किया जाता है तथा विश्लेषण किया जाता है।

प्रो. किण्डलर्बर के अनुसार," बढ़ते हुए अंतर्राष्ट्रीयवाद या बढ़ते हुए राष्ट्रवाद मे अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र ज्ञान एवं समझौतों का एक महत्वपूर्ण साधन है।"

प्रो. वासरमैन एवं हल्टमैन ने अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र को विज्ञान माना है, क्योंकि--

1. यह तथ्यों के समूहों का प्रतिपादन करता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंध की प्रकृति, विशेषताओं तथा मूलभूत बातों की जानकारी होती है, 

2. यह सिद्धांतों, प्रवृत्तियों तथा कानूनों का प्रतिपादन करता है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे संलग्न मनुष्यों के व्यवहारों को शासित करते है।

3. यह सत्य की खोज करने के लिये विभिन्न विधियों का प्रतिपादन करता है।

विज्ञान के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र कला भी है। वासरमैन एव हाॅल्टमैन ने अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र को कला मानने के निम्नलिखित कारण बताये है--

1. अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए हल प्रस्तुत करता है, तथा 

2. अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र व्यावहारिक समस्याओं को हल करने मे नियमों की व्याख्या करता है।

(स) अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का अन्य विषयों से संबंध 

अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र एक स्वतंत्र प्रवृत्ति का विज्ञान न होकर आश्रित विज्ञान है। इसका अन्य सामाजिक विज्ञानों जैसे अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीति शास्त्र, गणित, सांख्यिकी, भूगोल आदि से भी घनिष्ठ संबंध पाया जाता है। अर्थशास्त्र मे हम विभिन्न आर्थिक नीतियों जैसे आयात-निर्यात नीति, विदेशी व्यापार नीति, प्रशुल्क नीति आदि का अध्ययन करते है जिनका संबंध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से होता है। इसी प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मे हम अनेक आर्थिक घटनाओं की चर्चा करते है जिनका प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र पर पड़ता है। अतः दोनो मे आपस मे घनिष्ठ संबंध है। 

अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र मे सिद्धांतों की व्याख्या आँकड़ों के आधार पर की जाती है। अतः इसका संबंध ऐसे माॅडलों से भी है जो सांख्यिकी एवं गणित पर आधारित होते है।

राजनीति शास्त्र मे हम अनेक देशों के संविधान तथा उनकी राजनैतिक दशाओं का अध्ययन करते है जिनका संबंध अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र से होता है। इसी प्रकार अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र के अनेक विषय जैसे विदेशी विनिमय, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के कार्य-कलाप आदि राजनीति शास्त्र को प्रभावित करते है। वास्तव मे ज्ञान की प्रायः सभी शाखाओं से अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष संबंध पाया जाता है।

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