3/08/2021

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की विशेषताएं

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उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की विशेषताएं

उपभोक्ता संरक्षण की दृष्टि से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की निम्न विशेषताएं है--

1. समस्त वस्तुओं एवं सेवाओं पर लागू 

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है। केवल वही वस्तुएं एवं सेवाएं इसके अंतर्गत शामिल नही है, जेन्हें केन्द्रीय सरकार ने विशिष्ट रूप से छूट प्रदान की हो। 

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2. अतिरिक्त अधिनियम 

भारत मे उपभोक्ता संरक्षण तथा उपभोक्ताओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए समय-समय पर अनेक कानून बनाये गये है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 इन प्रचलित अधिनियमों को कम नही करता बल्कि उनके अतिरिक्त है।

3. सभी क्षेत्रों पर लागू 

यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम निजी, सार्वजनिक और सहकारी सभी क्षेत्रों पर लागू होता है।

4. क्षतिपूर्ति की व्यवस्था 

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम वर्तमान मे प्रचलित अन्य कानूनों की तरह दण्डात्मक तथा निरोधक ही नही है, बल्कि इसके उपबन्धों मे क्षतिपूर्ति की भी व्यवस्था है। दूसरे शब्दों मे," इस अधिनियम के अंतर्गत पीड़ित उपभोक्ता को उचित क्षतिपूर्ति दिलाने की व्यवस्था भी की जाती है।" 

5. उपभोक्ता का अधिकार 

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ताओं को कानूनी तौर पर 6 अधिकार प्रदान किये गये है, सुरक्षा का अधिकार, सुनवाई का अधिकार, उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार, सूचित किये जाने का अधिकार, चयन का अधिकार, क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार। 

6. उपभोक्ता संरक्षण परिषद् 

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत केन्द्रीय एवं राज्य स्तर पर उपभोक्ता संरक्षण परिषदों की स्थापना का प्रावधान किया गया है, जिनका उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना तथा उनकी रक्षा करना है। इन परिषदों मे सरकारी और गैर-सरकारी दोनों प्रकार के सदस्य होंगे।

7. उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण की व्यवस्था 

उपभोक्ताओं को शीघ्र और सस्ता न्याय दिलाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राष्ट्रीय, राज्य तथा जिला स्तरों पर अर्द्ध-न्यायिक तन्त्र की स्थापना की गयी है। राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आयोग का गठन किया गया है जिसे 20 लाख से ऊपर की क्षति के लिए क्षतिपूर्ति संबंधी निर्णय देने की शक्ति प्राप्त है। राज्य स्तर पर राज्य आयोग का गठन किया गया है, यह उपभोक्ताओं के 5 लाख रूपये तक के दावे के संबंध मे निर्णय दे सकता है। जिला स्तर पर उपभोक्ता संरक्षण फोरमों की रचना की गयी है, इसे 5 लाख रूपये तक की राशि के दावे के संबंध मे निर्णय देने की शक्ति होती है।

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