3/07/2021

विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम 1999 (फेमा) क्या है?

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विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम 1999 (फेमा) क्या है? 

वर्तमान आर्थिक उदारीकरण के युग मे विदेशी विनिमय के उचित एवं बेहतर प्रबंध की आवश्यकता महसूस की गयी, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम अधिनियम, 1973 का समीक्षात्मक अध्ययन किया गया। इस अधिनियम की कमियों को ध्यान मे रखकर इसे समाप्त करने का निर्णय लिया गया। इस अधिनियम के स्थान पर विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम, 1999 पारित किया गया। विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम को 9 दिसम्बर, 1999 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हो गयी। इस अधिनियम को फेमा के नाम से जाना जाता है। केन्द्र सरकार ने अधिनियम को अधिसूचना जारी करके 1 जनू, 2000 से प्रभावी कर दिया है।

क्षेत्र 

फेमा, 1999 की धारा 1 के अनुसार फेमा भारत के प्रत्येक भाग मे लागू होता है। यह भारत के किसी नागरिक के स्वामित्व मे या उसके द्वारा नियंत्रित सभी शाखाओं, कार्यालयों या एजेंसियों या जिस व्यक्ति पर यह लागू होता है उसके द्वारा भारत से बाहर इसका उल्लंघन किए जाने पर भी लागू होगा। यह अधिनियम 1 जून, 2000 से लागू है।

अधिनियम के उद्देश्य 

फेमा के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार है--

1. विदेशी विनिमय से संबंधित कानून को सुदृढ़ बनाना एवं उसमे संशोधन करना, जिससे विदेशी व्यापार तथा भुगतान मे सुविधा प्राप्त हो सके।

2. देश मे विदेशी मुद्रा बाजार का योजनाबद्ध एवं सुनियोजित विकास करना एवं उसे बनाये रखना।

3. देश मे विदेशी विनिमय संचय मे वृद्धि, विदेशी व्यापार मे वृद्धि, व्यापार को अधिक विवेकपूर्ण बनाना, चालू खाते की परिवर्तनशीलता, विदेशों मे भारत के विनिवेश का उदारीकरण, भारतीय निगमों द्वारा विदेशी व्यापारिक ऋणों मे निकटता मे हुई वृद्धि एवं स्कन्ध विपणि मे विदेशी संस्थागत निवेशकों की सहभागिता मे वृद्धि करना आदि।

4. विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम, 1999 के प्रावधानों का उद्देश्य विदेशी विनिमय से संबंधित कानून को इस विचार से संगठित और संशोधित करके विदेशी व्यापार का सरलीकरण किया जाये। इसके साथ ही साथ विदेशी व्यापार उचित ढंग से संचालित होता रहे। यह अधिनियम 13 वीं लोकसभा मे पारित किया गया।

फेमा की मुख्य विशेषताएं 

1. विदेशी विनिमय का नियमन एवं प्रबंध 

फेमा 1999 की एक मुख्य विशेषता यह है कि पूर्व मे "फेरा" के नियमों एवं प्रबंध मे और अधिक उदार तरीके से विदेशी विनिमय संबंधी मामलों का नियमन एवं प्रबंध किया जाएह इसके अंतर्गत मुख्य रूप से निम्न बाते आती है--

(अ) विदेशी विनिमय मे व्यवहार करना 

फेमा-1999 की धारा 3 के अनुसार बिना रिजर्व बैंक की आज्ञा के या इस अधिनियम के नियमों के विशिष्ट प्रावधानों के अभाव मे कोई भी व्यक्ति निम्न कार्यवाही नही कर सकता--

1. कोई व्यक्ति विदेशी विनिमय या विदेशी प्रतिभूति मे व्यवहार या हस्तांतरण न करेगा जब तक कि वह अधिकृत व्यक्ति न हो।

2. कोई व्यक्ति किसी भी तरीके से भारत के बाहर किसी निवासी को न तो धन की अदायगी कर सकता है और न ही खाते मे कोई धन डाल सकता है। 

3. अधिकृत व्यक्ति के अतिरिक्त अन्य के द्वारा भारत से बाहर या बाहर से भारत मे कोई भी धन का हस्तांतरण नही किया जा सकता है।

4. भारत से बाहर कोई संपत्ति प्राप्त करने, निर्मित करने या हस्तांतरित करने के उद्देश्य से भारत मे कोई व्यक्ति किसी वित्तीय सौदे मे शामिल नही हो सकता।

फेमा के अधिकृत व्यक्ति संबंधी प्रावधान 

कौन व्यक्ति विदेशी विनिमय या विदेशी प्रतिभूतियों का व्यवहार करने के लिए अधिकृत है, इस संबंध मे फेमा के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार है--

1. अधिकृत करने का अधिकार रिजर्व बैंक का 

फेमा मे इस बात का प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति रिर्जव बैंक आवेदन दे तो वह किसी व्यक्ति को विदेशी विनिमय या विदेशी प्रतिभूतियों मे व्यवहार करने, मुद्रा परिवर्तन के लिए या समुद्रतट की बैंकिंग इकाई मे व्यवहार करने के लिए अधिकृत कर सकता है।

2. अधिकृत करने के अधिकार का खण्डन 

इन दशाओं मे रिजर्व बैंक किसी समय अपने अधिकृत करने के अधिकार का खण्डन कर सकता है--

(अ) अगर ऐसा करना सार्वजनिक हित मे न हो, 

(ब) जब अधिकृत व्यक्ति दी गई शर्तों के पालन मे असफल रहता है या इन अधिनियम के अन्य नियमों या निर्देशों की अवहेलना का दोषी पाया जाता है। लेकिन ऐसा करने के पूर्व संबंधित व्यक्ति को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अधिकार देना होगा।

3. अधिकृत व्यक्ति के कर्तव्य 

(अ) रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन 

जो व्यक्ति विदेशी विनिमय या प्रतिभूतियों मे व्यवहार करता है उसे रिर्जव बैंक के सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए।

(ब) शर्तों के अनुरूप कार्य करना 

अधिकृत व्यक्ति को रिर्जव बैंक की पूर्व अनुमति के बिना दी गई शर्तों के विपरीत कोई सौदा नही करना चाहिए।

(स) अधिकृत करने वाले व्यक्ति की घोषणा 

किसी व्यक्ति की तरफ से किसी विदेशी विनिमय सौदे का कार्यभार लेते समय अधिकृत व्यक्ति उस व्यक्ति  से ऐसी घोषणा की मांग कर सकता है कि उसके इस कार्य को करने इस अधिनियम की अवहेलना नही होगी। 

(द) रिर्जव बैंक को सूचना 

अगर अधिकृत व्यक्ति को इस बात का विश्वास हो जाता है कि इस कार्य को करने से अधिनियम की अवहेलना हो सकती है तो वह रिर्जव बैंक को रिर्पोट करेगा।

(ई) विदेशी विनिमय की स्वीकृति 

किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रयोग मे न लाये गये विदेशी विनिमय को समर्पण किये जाने पर अधिकृत व्यक्ति को उसे स्वीकार करना होगा। 

4. अधिकृत व्यक्ति के संबंध मे रिजर्व बैंक के अधिकार 

(अ) अधिकृत करने का अधिकार 

विदेशी विनिमय प्रतिभूति, मुद्रा परिवर्तन या तटीय बैंकिंग मे व्यवहार करने के लिए किसी व्यक्ति को अधिकृत करने का रिर्जव बैंक को अधिकार है।

(ब) अधिकार को खण्डित करने का अधिकार

कुछ परिस्थितियों मे रिजर्व बैंक को अपने इस अधिकार के खण्डन का भी अधिकार प्राप्त है।

(स) निर्दश एवं सूचनायें मंगाने का अधिकार 

रिजर्व बैंक को अधिकृत व्यक्ति को निर्दश देने तथा उससे सूचनायें मंगवाने का अधिकार है।

(द) अर्थदण्ड लगाने का अधिकार 

निर्देशों का पालन न करने पर तथा स्पष्टीकरण का अवसर देने के बाद रिजर्व बैंक को 10,000 रूपये तक का अर्थदण्ड लगाने का अधिकार है। निरन्तर अवहेलना जारी रहने पर अतिरिक्त दण्ड 2,000 रूपये प्रतिदिन तक लगाया जा सकता है।

(ई) अधिकृत व्यक्ति की जांच का अधिकार 

रिज़र्व बैंक अपने किसी अधिकारी के माध्यम से अधिकृत व्यक्ति के व्यवसाय, उसके द्वारा दिये गये बयान की सत्यता आदि की जांच करा सकता है।

शायद यह आपके लिए काफी उपयोगी जानकारी सिद्ध होगी

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