3/20/2021

मुहम्मद बिन तुगलक का साम्राज्य, मूल्यांकन

By:   Last Updated: in: ,

मुहम्‍मद बिन तुगलक का साम्राज्‍य 

muhammad bin tughlaq ka samrajya;मुहम्‍मद बिन तुगलक के काल में तुगलकों का विस्‍तार हिमालय की तराई से लेकर द्वारसमुद्र और थट्टा से लखनौती तक समस्‍त प्रदेश सुल्‍तान के अधिकार में आ गया था। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि उत्तर पूर्व में हिमालय तक, उत्तर पश्चिम में सिन्‍ध तक, पूर्व तथा पश्चिम दोनों समुद्रों तक तथा दक्षिण में माबर तक का प्रदेश सल्‍तनत की सीमांए थीं। कुल मिलाकर तुगलक साम्राज्‍य 23 प्रांतो में बंटा हुआ था। इब्‍नेबतुता ने उस समय के कुछ प्रमुख शहरों के नाम भी दिये है। मुहम्‍मद तुगलक के विशालतम साम्राज्‍य का विघटन भी उसी के जीवनकाल में शुरू हो गया था। 

यह भी पढ़ें; मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाएं

दक्षिण में राज्‍य विस्‍तार देवगिरी को मुबारक शाह खलजी के शासनकाल में ही सल्‍तनत में शामिल कर लिया गया था। ग्‍यासुद्दीन तुगलक के काल में उसके बडे़ पुत्र उलुग खां ने तेलंगाना पर विजय प्राप्‍त की। सुल्‍तान बनने के बाद मुहम्‍मद तुगलक ने दक्षिण भारत के द्वारसमुद्र, माबर तथा अनेगोंडी पर सैनिक अभियान कर उन्‍हें सल्‍तनत में मिला लिया। उसने अपने साम्राज्‍य के दक्षिणी प्रदेशों को पांच प्रदेशो में बांट दिया ये प्रांत थे - देवगिरी, तेलगांना, माबर , द्वारसमुद्र और कंपिली। दिल्‍ली साम्राज्‍य के इन दक्षिणी प्रांतों में विंध्‍य पर्वत से मदूरा तक लगभग सारा क्षेत्र सम्मिलित था। 

दक्षिण में मुहम्‍मद तुगलक की विजयों और साम्राज्‍य विस्‍तार में स्‍थापित नहीं आ सका। दक्षिण में नई राजधानी बनाने के बावजूद भी वह दक्षिण को का‍बु में नही रख सका। सुल्‍तान मुहम्‍मद तुगलक के विरूद्ध भीषण विद्रोह हुए। एक-एक करके दक्षिण के सभी क्षेत्र दिल्ली सल्‍तनत से आजाद हो गये। 

मुहम्‍मद तुगलक और उलेमा वर्ग 

मुहम्‍मद तुगलक अपने स्‍वंतत्र विचारों और साम्राज्‍य प्रशासन के मामले में धार्मिक अनुदेशों को लागू न करने के कारण उलेमा वर्ग में कभी लोकप्रिय नहीं रहा। राज्‍य कार्य में उलेमा का हस्‍तक्षेप उसे स्‍वीकार नहीं था। उलेमा के आचरण और जीवन शैली का भी वह भारी आलोचक था। न्‍याय करने में वह उलेमा की विशेष स्थिति स्‍वीकार नहीं करता था। न ही उन्‍हें दण्डित करने से चूकता था। उलेमा ने भी उसके विरोध का साहस नहीं किया। 

मुहम्‍मद तुगलक और अमीर वर्ग 

मुहम्‍मद तुगलक और अमीर वर्ग के बीच और दूसरी ओर अमीरों के विभिन्‍न वर्गो के बीच संघर्ष और वैमनस्‍य अक्‍सर रहा। उसने अमीर वर्ग के ढांचे में परिवर्तन किया और नई श्रेणियां खड़ी कर दीं। उसने अपनी योजनाओं को उन पर जबरस्‍ती लागू किया और विभिन्‍न अवसरों पर उन्‍हें भी कठोर दण्‍ड दिये। सुल्‍तान की कठोरता तथा अमीरों की महत्‍वकांक्षाओं ने अंततः अनेक विद्रोहों को जन्‍म दिया।

सुल्‍तान मुहम्‍मद बिन तुगलक की मृत्‍यु 

मोहम्‍मद बिन तुगलक के एक दास जिसे सुल्‍तान ने ही उच्‍च पद प्रदान किया था। उसने गुजरात में विद्रोह कर दिया। उसके विरूद्ध सुल्‍तान नें स्‍वंय सेना का नेतृत्‍व संभाला। लम्‍बे समय तक वह इधर से उधर भागता रहा। इसी विद्रोही का रोमांचकारी शक्ति से पीछा करते हुए सिन्‍ध में थट्टा के सोदा नामक गांव के निकट 20 मार्च 1351 को मुहम्‍मद तुगलक की मृत्‍यु हो गई। इस प्रकार एक तुफानी जीवन का अन्‍त हुआ। 

मुहम्मद बिन तुगलक का मूल्‍यांकन 

ऊपर कियें गये वर्णन से यह स्‍पष्‍ट है कि मुहम्‍मद तुगलक अपने युग का प्रतिभा सम्‍पत्र विद्वान था। यद्यपि विभिन्‍न क्षेत्रों में वह हदास रहा परन्‍तु उसके नीयत नेक थी। उसने प्रशासन में धर्म, जाति और ऊँच-नीच के भेद भावों को कोई स्‍थान नहीं दिया। उसके द्वारा राजधानी परिवर्तन और दोआब की कर वृद्धि से लोगों को कष्‍ट हुए। दोनों योजनाओं के औचित्‍य तथा सुल्‍तान की जनहित की भावना को नहीं नकारा जा सकता। उसने भारत तथा एशिया के अनेक देशों के बीच कूटनीतिक और सांस्‍कृतिक महत्‍व को समझा। खुरासान विजय की योजना को त्‍यागकर बुद्धिमत्ता का परिचय दिया। उलेमा के प्रति नीति तथा अन्‍य विचारों से सिद्ध होता है कि इसका राजनीतिक दृष्टिकोण विस्‍तृत तथा गतिशील थाय उसमें उद्देश्‍य की अटल दृ‍ढ़ता थी। फिर भी वह एक अखिल भारतीय प्रशासन की स्‍थापना के अपने प्रमुख प्रयत्‍न में असफल रहा।

यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी
यह भी पढ़ें; मंगोलों का आक्रमण

कोई टिप्पणी नहीं:
Write comment

आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।