3/20/2021

फिरोजशाह तुगलक का शासनकाल, सुधार, मूल्यांकन

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फिरोज शाह तुगलक का शासन 

फिरोज शाह तुगलक ग्‍यासूद्दीन तुगलक के भाई का पूत्र और राजपूत सरदार रणमल की पूत्री बीबीनैल का पूत्र था। इसकी मां का विवाह मुस्लिम आक्रमण के समय बालावस्‍था में ही रज्‍जब से कर दिया गया था। फिरोज का जन्‍म 1309 में हुआ था। मोहम्‍मद तुगलक अपने इस चचेरे भाई को अधिक प्रेम करता था और विजय अभियानों के समय राज्‍य इसे सौंप जाता था जो एक समिति का प्रधान होता था। परन्‍तु जिस समय मोहम्‍मद तुगलक की थट्टा में मृत्‍यु हुई तब यह उसके साथ था। अतः एक तथाकथित मोहम्‍मद तुगलक के पूत्र और कुछ सरदारों की हत्‍या करवा कर 23 मार्च, 1351 को दिल्‍ली का सुल्‍तान बना। 

राजनीतिक स्थिति एंव समस्‍यांए 

मोहम्‍मद तुगलक की मृत्‍यु के बाद इसका कोई पुत्र ना होने कारण उसके चचेरे भाई फिरोज शाह को सैनिक शिविर में ही सुल्‍तान चुन लिया गया। सैनिक शिविर में उपस्थित अमीर और उलेमा ने ही उसका निर्वाचन किया था। कहा जाता है कि उसे सुल्‍तान चुनने के पूर्व उलेमा वर्ग के कुछ कट्टर लोगों ने फिरोज शाह से धार्मिक रियासतें का वादा ले लिया था। संभवतः इसलिए शुरू से अतं तक फिरोज तुगलक का शासनकाल एक धर्मतन्‍त्र जैसा ही रहा। सिंध से लेकर दिल्‍ली तक रास्‍तें में आने वाली मस्जिदों, दरगाहो व खानकाहों को सुल्‍तान ने दिल खोलकर धार्मिक अनुदान दिये। दिल्‍ली पहुंचने के बाद फिरोज शाह ने मलिक मकबुल को अपना वजीर बनाया। पूरे सल्‍तनत काल का वह सबसे योग्‍य वजीर था। सिहांसनरोहण के समय फिरोज की आयु 42 वर्ष की थी। 

फिरोज शाह के सिंहासनारोहण के समय दिल्‍ली सल्‍तनत की दशा बहुत सोचनीय थी। सारा साम्राज्‍य छित्र-भित्र हो रहा था। दक्षिण भारत के राज्‍य स्‍वंतत्र होते जा रहे थे। बंगाल भी लगभग स्‍ंवतत्र हो चुका था। सिंध और गुजरात में विद्रोह की अग्नि अभी जल रही थी। साम्राज्‍य के चारों कोणों में सफल विद्रोंहों के कारण राजमुकुट की प्रतिष्‍ठा को बड़ा नुकसान हुआ था। साम्राज्‍य में व्‍यापक असंतोष था और विघटनकारी प्रवृत्तियां जोर पकड़ती जा रही थीं। 

फिरोज तुगलक के प्रशासनिक सुधार 

फिरोजशाह तुगलक के प्रशासनिक सुधार इस प्रकार--

1. आर्थिक सुधार 

फिरोज शाह तुगलक के शासन काल में मुस्लिम जनता की दशा को सुधारने का प्रयत्‍न किया गया तथा मोहम्‍मद तुगलक की नीतियों को छोड़ दिया गया था।  वास्‍तव में फिरोज का शासन मोहम्‍मद तुगलक के तथाकथित पापों का प्रायश्चित था। 

(अ) राजस्‍व 

‘ख्‍वाजा हिसामुद्दीन जुनैद‘ की अध्‍यक्षता में राजस्‍व विभाग का पुनर्गठन किया।

(ब)) कर-निर्धारण 

इस्‍लाम के विरूद्ध सभी कर वापस ले लियें और कुरान के अनुसार खिराज, खम्‍ज, जजिया और जकात नामक कर लगाये गये। सिंचाई पर भी कर लगाया गया। इसके लियें पदाधिकारी नियुक्‍त कर उन्‍हें जागीरें प्रदान की गई।

(स) कृषि सुधार 

सिंचाई के लियें 150 मील लम्‍बी यमुना नहर, 96 मील लम्‍बी सतलज-घाघरा नहर, रिमौर से होजी नहर, घाघरा-फिरोजाबाद नहर, कुओं का निर्माण करवाया। इसके शासन काल में गेहूं और गन्‍ने की उपज में वृद्धि हो गई। 

तारीखें फिरोजशाही में फिरोज के काल की मुस्लिम जनता की समृद्धि का वर्णन किया गया है कि - ‘ऐसी कोई स्‍त्री न थी जिसके पास आभूषण न हों और न कोई ऐसा घर था जिसमे उत्तम पलंग व विस्‍तर न हो, धन की भरमार थी। सभी सुविधायें सभी को प्राप्‍त थीं। समस्‍त दिल्‍ली सल्‍तनत पर अल्‍लाह की कृपा थी।‘

2. सामाजिक सुधार

फिरोज शाह तुगलक समाज सुधार के लियें निम्‍नलिखित कदम उठायें --

(अ) दास प्रथा

फिरोज तुगलक ने दासों से प्रेम के कारण उनकी ओर भी ध्‍यान दिया। प्रांतीय सूबेदारों तथा अन्‍य अधिकारियों को सुल्‍तान की सेना में दास भेजने का आदेश दिया। करीब 40 हजार दास हरमरा में सुल्‍तान की सेवा करते थे। एक अलग विभाग इनकी देखभाल करता था। 

सुल्‍तान ने 1200 बाग लगवाए। बहुत से कस्‍बे और नगर आबाद किए। बहुत सी सराएं बनवाई और पुरानी इमारतों की मरम्‍मत करवाई। 

जो मुसलमान आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण लड़कियों का विवाह नहीं कर सकते थे, उन्‍हें आर्थिक सहायता दी गई।

3. शिक्षा -सुधार 

निजामुद्दीन और फरिश्‍ते के अनुसार सुल्‍तान ने 30 महाविद्यालयों की स्‍थापना करवाई। वह विद्वानों को श्रद्धा की दृष्टि से देखता था और उन्‍हें संरक्षण देता था। कई ग्रंथों का फारसी मे अनुवाद करवाया। उसने स्‍वंय अपनी आत्‍म-कथा फफूहार ने फिरोजशाही की रचना की थी। प्रत्‍येक मस्जिद के साथ एक शिक्षण संस्‍था की योजना बनाई। फतबा-ए-जहां दास और तारीखें फिरोजशाही उसी के शासनकाल में लिखी गई। 

4. मुद्रा व्‍यवस्‍था में सुधार 

मुद्रा-प्रणाली में दोष के कारण राजकोष खाली हो गया था, इसलिए उसने मुद्रा में भी सुधार किया। एक अधिकारी के अधीन मुद्रा विभाग कर दिया गया। व्‍यापार की उन्‍नति के लिए छोटे सिक्‍कों को चलाया जिन्‍हें शाशग्‍यानी और बीरब कहा जाता था। 

5. सिंचाई विभागों में सुविधा

फिरोजशाह ने अपनी आबाम् के लिये सिचांई की व्‍यवस्‍था करवाई तथा सिचांई पर कर लगाया जो उपज का 1/10 भाग लिया जाता था। उसने ये पांच नहरे बनवाई--

1.युमना नहर,

2.सतलज की नहर, 

3.सिरमोर की नहर, 

4.घाघरा नहर, 

5. फिरोजबाद नहर। 

उसके अतिरिक्‍त 150 कुएं भी खुदवाए गए। पानी का अभाव दूर होने से उत्‍पादन बढ़ा ,लोगों की आर्थिक दशा सुधर गई।

6. जागीर व्‍यवस्‍था की स्‍थापना तथा कार्यों में सुधार

जिस जागीर व्‍यवस्‍था को अलाउद्दीन ने समाप्‍त कर दिया था, उसे फिरोज तुगलक ने फिर से प्रांरभ कर दिया। सरदारों को वेतन के स्‍थान पर जागीरें दी गई जिससे उनकी शक्ति बढ़ गई। साथ ही फिरोज ने लगान वसूल करने में कठोरता के व्‍यवहार को रोक लिया। 

7. सैनिक सुधार 

सैनिक क्षेत्र में वंशानुगत‍ परंपरा शुरू की गई। स्‍थाई सैनिकों को वेतन जागीर के रूप में मिलने लगा। अस्‍थाई सैनिकों को वेतन दिया गया। घुड़सवारों को उत्तम घोड़े रखने का आदेश दिया गया जिनका निरीक्षण नायब अरेज मुमालिक नामक पदाधिकारी करता था। सैनिकों के साथ अच्‍छा व्‍यवहार करने की घोषणा की गई। 

8. न्‍याय सुधार 

मामूली से अपराध पर जो कठोर दंड दिए जाते थे , बंद कर दिए गए। अपराध के अनुसार सजा दी जाने लगी। प्रांतीय न्‍यायालयों की व्‍यवस्‍था में सुधार किए गए परिणामस्‍वरूप केन्‍द्रीय न्‍यायालय में मुकदमें कम पहुंचने लगे। योग्‍य व्‍यक्तियों को काजी के पद पर नियुक्‍त किया जाने लगा। मुफ्ती विधि की व्‍याख्‍या करता था तथा काजी निर्णय देता था और मुकदमों की अपील स्‍वंय सुल्‍तान सुना करता था। शारीरिक यातनाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

फिरोजशाह तुगलक का मूल्‍यांकन 

फिरोज के मूल्‍यांकन को लेकर लोगों में एक मत नहीं है। कुछ ने उसकी निन्‍दा की है तो कुछ ने उसकी तारीफ। वस्‍तुस्थिति की सही जानकारी हेतु हम, सुविधा की दृष्टि से, उसका मूल्‍यांकन निम्‍न दो पक्षों में कर सकते है--

पहला पक्ष 

पहले पक्ष में हम निम्‍न बिंदुओं पर अवलोकन करेंगे --

1. सैनिक, शासक के रूप में 

सैनिक के रूप में उसे अयोग्‍य ही माना जाता है। उसका सैन्‍य संचालन ठीक नहीं था। बगैर पूर्व योजना के ही अभियान कर लिया करता था। अभियान के दौरान रास्‍ता भी भुल जाया करता था। वह सैनिकों को उनके अफसरों को घूस देने के लिए भी कह दिया करता था। यह एक शासक के लिए शोभानीय बात नहीं कही जा सकती। वह भ्रष्‍ट अफसरों को माफ कर देता था। टकसाल के एक अफसर काजरखान ने सिक्‍कों में आवश्‍यकता से कम चांदी मिलाई तथा जब यह बात सुल्‍तान की जानकारी में लायी गई तों उसने उस अफसर का सिर्फ तबादला किया। मतलब यह कि वह भ्रष्‍टाचार सहन करता था। उसने कुलीनों तथा अफसरों को विशेष अधिकार दे रखे थे। 

2. व्‍यक्ति के रूप में 

पता चलता है कि व्‍यक्ति के रूप में वह विलासी तथा  आलसी था। औरत उसकी कमजोरी थी कामुकता शायद उसकी सबसे बड़ी कमी थी। उसका बहुत सा समय अंतःपूर की रंगरेलियों में बीता करता था। यह मद्यमान भी करता था ऐसा पता चलता है। 

3. अन्‍य शासकों से तुलना 

कुछ विद्वानों ने उसकी तुलना अशोक, अकबर, सिकन्‍दर लोदी तथा औरंगजेब से की है। लेकिन यह तुलना परिभ्रमित लगती है। 

द्वितीय पक्ष 

दूसरे पक्ष को हम रेखाकिंत करे तो हमें पता चलता कि वह कला, शिक्षा तथा साहित्‍य प्रेमी था। वह एक अच्‍छा प्रशासक था। उसने बजाय साम्राज्‍य विस्‍तार के साम्राज्‍य को मजबूत बनाने में विश्‍वास किया तथा इसलिए उसने विभिन्‍न क्षेत्रो में महत्‍वपूर्ण सुधार कर देश को अच्‍छा प्रशासन दिया। उसने प्रजा की भौतिक उन्‍नति के लिए सराहनीय प्रयत्‍न कियें, जिनसे कृषि को प्रोत्‍साहित मिला, व्‍यापार की असाधारण उन्‍नति हुई तथा तथा वस्‍तुओं के मूल्‍य घट गये ऐसा लगता है कि शेरशाह सूरी से पहले वही एक ऐसा सुल्‍तान था जिसने सार्वजनिक कार्यो को शुभांरभ किया। मोटे रूप से कहा जा सकता है कि उसके द्वारा कियें गये प्रशासनिक सुधारो से देश मे सुख तथा शांति की लहर दोड़ी। 

निष्‍कर्ष 

फिरोज शाह तुगलक एक उदार और मुसलमानों में लोकप्रिय शासक था तथा मुसलमानों के अनुसार धर्मनिष्‍ठ सुल्‍तान था उसने मुसलमानों को उच्‍च पद प्रदान कर राज्‍य की सुरक्षा तथा व्‍यक्तिगत प्रतिष्‍ठा स्‍थापित करने का प्रयत्‍न किया।

यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी
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