लोक प्रशासन का क्षेत्र
lok prashasan ka kshetra;लोक प्रशासन के क्षेत्र के विषय मे कई दृष्टिकोण प्रचलित है। राजनीति विज्ञान विषय की भांति ही लोक प्रशासन क्षेत्र की सीमा-रेखा करना भी कठिन कार्य है। विद्वानों मे इसके अध्ययन क्षेत्र के संबंध मे बड़ा मतभेद है। इसके क्षेत्र की सीमा-रेखा तय करना इसलिए कठिन प्रतीत होता है कि तुलनात्मक दृष्टि से यह एक नया विषय है तथा क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित ज्ञान के रूप मे इसका जन्म हाल ही के वर्षों की घटना है। साथ ही यह एक विकासशील शास्त्र भी है और लोक कल्याणकारी राज्य के क्षेत्र विस्तार के कारण लोक प्रशासन के क्षेत्र मे भी निरंतर परिवर्तन हो रहा है तथा विषय अत्यधिक गतिशील बन रहा है। जाॅन-ए-वीग लोक प्रशासन के क्षेत्र मे प्रमुख रूप से संगठन, कार्मिक सेवा-पद्धतियों एवं प्रक्रियाओं को सम्मिलित करते है। हेनरी फेयाॅल लोक प्रशासन को 5 भागों मे बाँटते है--
1. नियोजन
2. संगठन
3. आदेश
4. समन्वय
5. नियंत्रण
उर्विक भी फेयाॅल के इस मत से सहमत है।
विलोवी ने लोक प्रशासन के क्षेत्र के अंतर्गत सामान्य प्रशासन, संगठन, कर्मचारियों का प्रबंध, भौतिक साधन तथा वित्त को माना है।
विद्वानों के उपर्युक्त वर्गीकरण के आधार पर हम लोक प्रशासन के क्षेत्र मे निम्म तत्व पाते है--
1. कार्यपालिका की क्रियाशीलता का अध्ययन।
2. सामान्य प्रशासन का अध्ययन।
3. पदाधिकारियों की समस्याओं का अध्ययन।
4. संगठन संबंधी समस्याओं का अध्ययन।
5. सरकार क्यों, कैसे, क्या तत्व का अध्ययन।
6. वित्त संबंधी व्यवस्थाओं का अध्ययन।
7. प्रशासकीय उत्तरदायित्व का अध्ययन।
8. मानवीय तत्वों का अध्ययन।
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