यह भी पढ़ें; युद्ध का अर्थ, परिभाषा एवं कारण
वर्तमान मे युद्ध की प्रवृत्ति बदल गई है। अब पारंपरिक युद्ध जिनमे दो राष्ट्रों की सेनाएँ लड़ा करती थी तक सीमित नही है। बल्कि इनका प्रभाव दूर तक पड़ता है। आणिविक हथियारों से लड़े जाने वाले युद्ध तो व्यक्ति, समूह, राष्ट्र के जन-जीवन को ही नही प्रवृत्ति के संतुलन को भी डगमगा देते है। जीव-जंतु सहित संपूर्ण वातावरण पर युद्ध का दुष्प्रभाव पड़ता है। युद्ध के समय कितने ही लोग मर जाते है, कितनी ही स्त्रियों का सुहाग लुट जाता है, कितनी ही स्त्री, बच्चे तथा बूढ़े अपने आश्रय को या रोटी कमाने वाले को खो बैठते है, अपराध, बाल अपराध तथा वेश्या वृति मे वृद्धि होती है, बम वर्षा के कारण कितने ही मिल-कारखाने आदि तहस-नहस हो जाते है, टूटे परिवारों की संख्या बढ़ती है इत्यादि। ये सभी अवस्थाएं सामाजिक विघटन के ही उग्र रूप को दर्शाते है। इसी से स्पष्ट है कि युद्ध सामाजिक विघटन का सबसे विकराल रूप है। युद्ध के निम्नलिखित परिणाम देखे जा सकते हैं--
1. युद्ध सामाजिक संरचना को विकृत करता है
युद्ध के फलस्वरूप सामाजिक संरचना विकृत होती है, युद्ध से समाज मे असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती हैं।
2. नैतिकता का ह्रास
युद्ध से नैतिकता का ह्रास होता है, भ्रष्टाचार, चोरबाजारी तथा अन्य अनैतिक कार्यों मे वृद्धि होती है। युद्ध के समय मे प्रायः व्यभिचार बढ़ जाता है।
3. रोगों मे वृद्धि
युद्ध मे बहुत अधिक रक्तपात होता है बहुत से लोगों की जान चली जाती है। युद्ध मे प्रयोग किये जाने वाले आणविक हाथियों के प्रयोग से वातावरण दूषित हो जाता है, जिससे अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती है।
4. राजनीतिक परिणाम
युद्ध के फलस्वरूप राजनीतिक परिणाम भी सामने आते है। युद्ध के समय नागरिकों के अधिकार कम हो जाते है। युद्ध से राजनीतिक एकता मे वृद्धि होती है। शत्रु के प्रति विरोधी भाव जनता को संगठित कर देता है और लोग राजनैतिक सामूहिक कार्यों मे रूचि से कार्य करने लगते है।
5. आर्थिक नुकसान
युद्ध से बहुत अधिक आर्थिक क्षति होती है। युद्ध मे बहुत अधिक मात्रा मे अस्त्र-शस्त्रों, सैनिक और संसाधन इत्यादि की आवश्यकता होती है, जिसमे बहुत अधिक मात्रा मे धन की आवश्यकता होती है।
युद्ध के परिणाम (yuddh ke parinaam)
युद्ध के अच्छे और बूरे दोनों ही परिणाम होते है, पर अच्छे परिणामों की तुलना मे बुरे परिणाम ही अधिक स्पष्ट होते है। यह सच है कि युद्ध के समय देश-प्रेम, राष्ट्रीयता और एकता की लहर फैल जाती है। मनौवैज्ञानिक दृष्टिकोण से युद्ध से लाभ यह होता है कि लोग शांति की कीमत को समझ जाते है और युद्ध के चक्र मे फंसने से अपने को बचाते रहते है। परंतु युद्ध उपरोक्त लाभों को देखते हुए भी इसे किसी भी रूप मे वांछनीय नही कहा जा सकता है। युद्ध से दोनों ही पक्षों को हानि होती है। युद्ध सामाजिक विघटन की चरम स्थिति है। व्यक्ति, परिवार, समुदाय और समूचे राष्ट्र के लिए युद्धोपरांत स्थिति मे संतुलन बनाना एक कठिन चुनौती होती है।वर्तमान मे युद्ध की प्रवृत्ति बदल गई है। अब पारंपरिक युद्ध जिनमे दो राष्ट्रों की सेनाएँ लड़ा करती थी तक सीमित नही है। बल्कि इनका प्रभाव दूर तक पड़ता है। आणिविक हथियारों से लड़े जाने वाले युद्ध तो व्यक्ति, समूह, राष्ट्र के जन-जीवन को ही नही प्रवृत्ति के संतुलन को भी डगमगा देते है। जीव-जंतु सहित संपूर्ण वातावरण पर युद्ध का दुष्प्रभाव पड़ता है। युद्ध के समय कितने ही लोग मर जाते है, कितनी ही स्त्रियों का सुहाग लुट जाता है, कितनी ही स्त्री, बच्चे तथा बूढ़े अपने आश्रय को या रोटी कमाने वाले को खो बैठते है, अपराध, बाल अपराध तथा वेश्या वृति मे वृद्धि होती है, बम वर्षा के कारण कितने ही मिल-कारखाने आदि तहस-नहस हो जाते है, टूटे परिवारों की संख्या बढ़ती है इत्यादि। ये सभी अवस्थाएं सामाजिक विघटन के ही उग्र रूप को दर्शाते है। इसी से स्पष्ट है कि युद्ध सामाजिक विघटन का सबसे विकराल रूप है। युद्ध के निम्नलिखित परिणाम देखे जा सकते हैं--
1. युद्ध सामाजिक संरचना को विकृत करता है
युद्ध के फलस्वरूप सामाजिक संरचना विकृत होती है, युद्ध से समाज मे असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती हैं।
2. नैतिकता का ह्रास
युद्ध से नैतिकता का ह्रास होता है, भ्रष्टाचार, चोरबाजारी तथा अन्य अनैतिक कार्यों मे वृद्धि होती है। युद्ध के समय मे प्रायः व्यभिचार बढ़ जाता है।
3. रोगों मे वृद्धि
युद्ध मे बहुत अधिक रक्तपात होता है बहुत से लोगों की जान चली जाती है। युद्ध मे प्रयोग किये जाने वाले आणविक हाथियों के प्रयोग से वातावरण दूषित हो जाता है, जिससे अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती है।
4. राजनीतिक परिणाम
युद्ध के फलस्वरूप राजनीतिक परिणाम भी सामने आते है। युद्ध के समय नागरिकों के अधिकार कम हो जाते है। युद्ध से राजनीतिक एकता मे वृद्धि होती है। शत्रु के प्रति विरोधी भाव जनता को संगठित कर देता है और लोग राजनैतिक सामूहिक कार्यों मे रूचि से कार्य करने लगते है।
5. आर्थिक नुकसान
युद्ध से बहुत अधिक आर्थिक क्षति होती है। युद्ध मे बहुत अधिक मात्रा मे अस्त्र-शस्त्रों, सैनिक और संसाधन इत्यादि की आवश्यकता होती है, जिसमे बहुत अधिक मात्रा मे धन की आवश्यकता होती है।
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