5/24/2020

भारत में निर्वाचन या चुनाव प्रक्रिया (प्रणाली)

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निर्वाचन एक महत्वपूर्ण कार्य है। यह एक निर्धारित विधि से होता है। देश मे होने वाले सामान्य निर्वाचन, मध्यावधि निर्वाचन या उप चुनाव या निर्वाचन, सभी मे समान प्रक्रिया होती है। इस पूरी प्रक्रिया को इस प्रकार स्पष्ट किया जा सकता हैं---
भारत में चुनाव या निर्वाचन प्रक्रिया

भारत मे निर्वाचन या चुनाव प्रक्रिया (प्रणाली) (bharat me nirvachan prakriya)

1. मतदाता सूची तैयार करना
निर्वाचन का यह पहला चरण है जो सबसे महत्वपूर्ण हैं। जिला निर्वाचन कार्यालय निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार प्रत्येक निर्वाचन से पूर्व मतदाता सूची को तैयार करता है। कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी आयु 18 बर्ष है इसमे अपना नाम सम्मिलित करवा सकता है। मतदाता पहचान पत्र भी जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा बनवाये जाते है। मतदाता पहचान पत्र के अभाव मे नागरिक को अपनी पहचान के लिए अन्य कागजात लाना होते हैं।
2. चुनाव की घोषणा
प्रत्येक निर्वाचन प्रक्रिया का प्रारम्भ अधिसूचना जारी होने से होता है। लोकसभा के सामान्य, अथवा मध्यावधि अथवा उपचुनाव की अधिसूचना राष्ट्रपति द्वारा जारी की जाती है। विधान सभाओं के लिए अधिसूचना राज्यपाल द्वारा जारी की जाती है। अधिसूचना का प्रकाशन चुनाव आयोग से विचार-विमर्श के बाद राजपत्र मे किया जाता है।
अधिसूचना जारी होने के उपरान्त निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाता है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता लागू हो जाती हैं।
3. निर्वाचन हेतु नामांकन
विभिन्न राजनीतिक दल अपनें-अपनें प्रत्याशियों को चुनाव मे भाग लेने के लिये नाम तय करते है। जो व्यक्ति चुनाव मे भाग लेना चाहते है वह निर्वाचन अधिकारी के सामने अपना नामांकन पत्र भर कर जमा करते है। निर्धारित तिथि मे नामांकन पत्रों की जांच कर सूची घोषित की जाती है। निर्धारित अवधि मे कोई भी प्रत्याशी अपना नाम वापस ले सकता है। नाम वापसी का समय समाप्त होने के उपरान्त प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी जाती है।
4. चुनाव चिह्न
प्रत्येक मान्यता प्राप्त दल का चुनाव चिह्न सुनिश्चित होता है। दल के प्रत्याशी को उनके दल का चुनाव चिह्न दिया जाता है। निर्वाचन के समय मतपत्र पर प्रत्याशी के नाम के आगे उसका चुनाव चिह्न छपा होता हैं। भारत मे एक बड़ी संख्या मे मतदाता साक्षर नही है। अतः चुनाव चिह्न प्रत्याशी की पहचान कराने मे सहायक होते हैं।
5. चुनाव अभियान
चुनाव अभियान मतदान प्रक्रिया का महत्वपूर्ण भाग है। चुनाव अभियान के द्वारा प्रत्येक उम्मीदवार अपने दल का कार्यक्रम या आगामी पाँच वर्षों मे किये जाने वाले कार्यों के संबंध मे घोषणा-पत्र जनता के सामने रखकर अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को अपने पक्ष मे करने का प्रयास करता है। राजनीतिक दल चुनाव घोषणा-पत्र जारी करते है, जिसमे उस राजनीतिक दल की नीतियाँ और कार्यक्रम होते है सभाएं की जाती है, रैलियाँ निकाली जाती है। समाचार पत्र, पोस्टर, बैनर, पम्पलेट आदि का प्रयोग प्रचार कार्य मे किया जाता हैं। अब रेडियों और दूरदर्शन पर भी राजनीतिक दलों को समय दिया जाता है। मतदान समाप्त होने के 48 घंटे पूर्व चुनाव प्रचार बंद कर दिया जाता हैं।
6. मतदान
प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र कई मतदान केंद्रों मे विभाजित होता है। प्रत्येक मतदाता के लिये केन्द्र निर्धारित होता है जहां जाकर वह मतदान के दिन अपना मत देता हैं।
मतदाता की पहचान के लिये उसे फोटोयुक्त पहचान-पत्र दिया जाता हैं। यह पहचान पत्र मतदाता का फोटो पहचान पत्र कहलाता है। जिन मतदाताओं के पास फोटो पहचान पत्र नही होते वे अपना राशन कार्ड, ड्राइवरविंग लाइसेंस अथवा पहचान से संबंधित अन्य दस्तावेज आदि के द्वारा अपनी पहचान स्थापित कर सकते है।
मतदान केंद्र पर मतदान कराने के लिये एक पीठासीन अधिकारी (प्रिसाइडिंग ऑफीसर) व आवश्यकतानुसार मतदान अधिकारी (पोलिंग ऑफीसर) होते हैं। मतदान के दिन मतदाता अपने मतदान केंद्र पर आते है और लाइन मे क्रम से खड़े हो जाते है। मत देने से पहले मतदाता की पहचान की जाती है कि वह सही मतदाता है। इसके बाद मत देने आये मतदाता से मतदाता सूची पर उसके हस्ताक्षर/अंगूठी निशानी लगवाई जाती है (मशीन से मतदान के समय) मतपत्र के द्वारा मतदान के समय मतपत्र के प्रतिपर्ण (काउंटर फाइल) पर मतदाता के हस्ताक्षर/अंगूठी निशानी लगवाई जाती हैं।
अमिट स्याही लगवाने के उपरांन्त वह वोट दे सकता है। वोट दो प्रकार से दिया हैं।
1. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग से
2. मतपत्र प्रणाली से।
मत की गोपनीयता के लिये प्रत्येक केन्द्र पर 2 या अधिक मतदान कक्ष (पोलिंग बूथ) होते है। जहाँ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन अथवा मतपेटी होती है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन मे जिस प्रत्याशी को मत देना होता है उस प्रत्याशी के नाम के सामने चुनाव चिन्ह छपा होता है इसके सामने वाले बटन को दबाकर वोट दिया जाता है।
मतपत्र द्वारा मतदान प्रणाली मे, निर्वाचन अधिकारी के हस्ताक्षर युक्त मतपत्र को दिया जाता है। मतदाता मतपत्र के साथ मतदान कक्ष मे जाता है और इच्छित प्रत्याशी के चुनाव चिह्न पर सील (मोहर) लगाकर मत देता है। मतपत्र को मोड़कर मतपेटी मे डाला जाता है। मतदान का समय समाप्त होने पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन बन्द की जाती है और सील की जाती है। मतपेटियों का प्रयोग पर मतपेटी को पहले बन्द किया जाता है और फिर मतदान सामग्री के साथ प्राप्त विशिष्ट कागज की सील से मतपेटी को सील कर दिया जाता हैं।

7. मतगणना
निर्धारित तिथि पर सभी मतपेटियों/वोटिंग मशीन को एकत्र किया जाता हैं। जिला निर्वाचन अधिकारी की उपस्थिति मे मतों को गिना जाता है। अधिकतम मत प्राप्त प्रत्याशी को विजयी घोषित किया जाता है। निर्वाचन व्यक्ति अपने क्षेत्र का प्रतिनिधि होता है। निर्वाचन परिणाम घोषित होने के उपरान्त जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्वाचन प्रत्याशी को विजयी होने का प्रमाण-पत्र दिया जाता है।
निर्वाचन आयोग
स्त्रोत; समग्र शिक्षा, मध्यप्रदेश राज्य शिक्षा केन्द्र, भोपाल।
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