उपन्यास और कहानी में अंतर
upanyas or kahani me antar;कहानी और उपन्यास कथा-साहित्य की दो भिन्न-भिन्न विधायें है। गद्य-साहित्य पर दोनों का व्यापक प्रभाव हैं। फिर भी उपन्यास की अपेक्षा कहानी अधिक लोकप्रिय और व्यापक है। कहानी तथा उपन्यास के मूल तत्वों में कोई अन्तर नहीं है किन्तु दोनों की शिल्प विधा और रूप-रचना में पर्याप्त अंतर है। यह भिन्नता कहानी और उपन्यास के बीच तात्विक अंतर स्पष्ट करती हैं।
कहानी और उपन्यास के अंतर को स्पष्ट करते हुए प्रेमचंद ने लिखा है," गल्प (कहानी) वह रचना हैं, जिसमें जीवन के किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य रहता है। उसके चित्र, उसकी शैली, उसका कथाविन्यास सब उसी एक भाव को पुष्ट करते है। उपन्यास की भांति उसमें मानव जीवन का संपूर्ण तथा वृहद रूप दिखाने का प्रयास नहीं किया जाता। न उसमें उपन्यास की भांति सभी रसों का सम्मिश्रण होता है। वह ऐसा रमणीय उद्यान नहीं जिसमें भांति-भांति फूल बेल बूटे सजे हुए हैं, अपितु एक गमला है जिसमें एक ही पौधे का माधुर्य अपने समुन्नत रूप में दृष्टिगोचर होता है।" मूल तत्वों के आधार पर कहानी और उपन्यास में निम्नलिखित अंतर हैं--
1. कथानक अंतर
उपन्यास में कथानक की प्रधानता होती है, किन्तु कहानी में कथानक की कोई शर्त नहीं होती। उपन्यास में संपूर्ण जीवन का चित्रण रहता है। उसमें छोटे-छोटे मानव व्यवहारों का विवरण रहता है। इसलिए मुख्य कथानक के साथ में अनेक गौण कथाएं भी आ जाती हैं। कहानी में कठिनता से एक छोटी कथा का निर्वाह हो पाता है। बहुत सी भावात्मक और वातावरण प्रधान कहानियों में कथानक नाममात्र को ही होता हैं। उपन्यास में कथानक जहाँ साध्य है, वहीं कहानी में साधन है।
2. चरित्र-चित्रण अंतर
चरित्र-चित्रण की दृष्टि से भी उपन्यास और कहानी में बहुत भेद है। उपन्यास में लेखक अनेक पात्रों के चरित्र का संपूर्ण चित्र उपस्थित करता है। उपन्यास का विषय ही मानव-चरित्र है। कहानी का उद्देश्य चरित्र-चित्रण करना न होकर प्रमुख लक्ष्य की सृष्टि करना होता है। चरित्र-चित्रण में कहानी की परिधि छोटी होती है और उसके प्रसंग भी छोटे होते हैं। उपन्यास एक ऐसा वातायन है, जिसके रास्ते पर हम बहती हुई चेतना के प्रवाह पर अवलोकन करते हैं। कहानी एक सूक्ष्य-दर्शक यंत्र है जिसके नीचे मानवीय रूपक के दृश्य खुलते हैं।
3. शिल्प विधान
उपन्यास का कथानक आदि, मध्य और अंत में गठित होता है। उपन्यास का निश्चित प्रारंभ होता है और एक नियमित पर्यावसान।
कहानी में प्रारंभ और अंत में कोई सीमा नहीं होती। कहानी कहीं से भी प्रारंभ हो सकती है और कहीं भी उसका अंत हो सकता हैं।
उपन्यास में भूमिका की जो गुंजाइश होती है, उसकी कहानी में तनिक भी जगह नहीं होती। संक्षिप्तता कहानी की आत्मा है। उपन्यास से कहानी लिखना कठिन कार्य हैं।
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि कहानी और उपन्यास में भेद केवल वस्तु विधान को लेकर ही नहीं, अपितु उनके शिल्प-विधान में भी अंतर हैं।
4. क्षेत्र
उपन्यास का क्षेत्र वातावरण चित्रण के लिए सुविधापूर्ण है। उपन्यासकार अनेक वर्णन और वातावरण की झाँकियाँ चित्रित कर सकता है। कहानीकार लम्बे वर्णन उपस्थित नहीं कर सकता है।
5. उद्देश्य
कहानी और उपन्यास में उद्देश्य की दृष्टि से भी अंतर है। उपन्यास मानव जीवन की गम्भीर व्याख्या करना चाहता है, जबकि कहानीकार का लक्ष्य जीवन के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करना होता है। उपन्यास का उद्देश्य किसी शिक्षा पर आधारित होता हैं, परन्तु कहानी में यह उद्देश्य प्रकट नही होता है। कहानी का उद्देश्य व्यंजनात्मक होता है। कहानी का उद्देश्य समझने के लिये विचारपूर्वक समझना पड़ता है जबकि उपन्यास का उद्देश्य स्पष्ट होता हैं।
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