3/11/2023

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का राजनीतिक चिंतन में योगदान

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प्रश्न; कमला देवी चट्टोपाध्याय के राजनीतिक चिंतन में योगदान के बारे में लिखिए। 

अथवा", कमलादेवी चट्टोपाध्याय के सामाजिक कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर--

कमला देवी चट्टोपाध्याय का राजनीतिक चिंतन में योगदान 

कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जन्म कर्नाटक राज्य में 3 अप्रैल, 1903 को हुआ था। यहाँ पर प्रारंभिक शिक्षा लेने के पश्चात उन्होंने चेन्नई के क्वीन मैरी काॅलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। लंदन में भी उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण की। उल्लेखनीय है कि दूसरी शादी के बाद वे अपने पति के साथ लंदन रहीं थी। 

कमलादेवी के पिता एक सरकारी अफसर थे, जिनका नाम अनन्तया धारेश्वर था। उनकी माता गिरिजादेवी अत्यधिक पढ़ी-लिखी महिला थीं। कमलादेवी के जीवन पर उनकी माँ की गहरी छाप थी। कमलादेवी चट्टोपाध्याय का उनके अध्ययनकाल में ही 14 वर्ष की उम्र में ही विवाह हो गया। उनके पति कृष्णराव की विवाह के दो वर्ष पश्चात ही मृत्यु हो गई। उनकी शादी अत्यन्त छोटी अवस्था में हो गयी तथा स्कूली शिक्षा के दौरान विधवा हो गयी थी। बाद में उन्होंने अपनी पसन्द के व्यक्ति हरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय से वैवाहिक संबंध जोड़ लिया। कमलादेवी ने अपनी पति के साथ व्यापक रूप से यात्राएं की। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता और कला और साहित्य की समर्थक थी।

कमलादेवी चट्टोपाध्याय गुमनाम नारीवादी स्वतंत्रता सेनानियों, कला के प्रति उत्साही, सामाजिक कार्यकर्ताओं, अभिनेताओं, युवा नेताओं और आगे के विचारकों में से एक हैं, जिन्होंने अपने सभी क्षेत्रों में हमारे देश का चेहरा बदल दिया।

मैंगलौर में जन्मी, कमलादेवी चट्टोपाध्याय मद्रास प्रांतीय चुनावों में भारत में एक विधायी सीट के लिए दौड़ने वाली पहली महिला थीं। एक समाज सुधारक के रूप में, उन्होंने भारतीय महिलाओं की सामाजिक आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने में मदद करने के लिए हस्तशिल्प, रंगमंच और हथकरघा को वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

आज भारत में कई प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्थान उनकी दूरदृष्टि के कारण मौजूद हैं, इनमें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, संगीत नाटक अकादमी, केन्द्रीय कुटीर उद्योग एम्पोरियम और भारतीय शिल्प परिषद शामिल हैं। चट्टोपाध्याय ने भारतीय लोगों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान में हस्तशिल्प और सहकारी जमीनी आंदोलनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। 

कमलादेवी ने राजनीतिक सुधारों और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाई। वह 1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुई और एक साल के भीतर आखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के लिए चुनी गई। दांडी के नमक मार्च के दौरान, उन्होंने गाँधी को महिलाओं को मार्च में सबसे आगे रहने का समान अवसर देने के लिए मना लिया। बाद में, वह सेवा दल में शामिल हो गई और महिला कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया।

कमलादेवी चट्टोपाध्याय भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और कई सीमाओं के पार महिलाओं की सक्रियता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थीं। 27 साल की उम्र में, उन्होंने गाँधी को नमक सत्याग्रह में महिलाओं को शामिल करने के लिए राजी किया-समुद्र में मार्च करके और नमक बनाकर ब्रिटिश नमक कर को तोड़ना। उसने नमक बनाने के लिए अन्य सत्याग्रहियों के साथ मार्च किया उनके साथ गिरफ्तारी दी। इसने न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाली अभूतपूर्व संख्या में महिलाओं के लिए दरवाजे खोले बल्कि सविनय अवज्ञा के सभी कृत्यों में शामिल करके गाँधीवादी राष्ट्रवाद में महिलाओं को मुख्यधारा में शामिल किया। 

वह भारत में सविनय अवज्ञा के लिए गिरफ्तार होने वाली पहली महिलाओं में से एक थी और उन्होंने लगभग पाँच साल ब्रिटिश जेल में बिताए। वहाँ उन्होंने भारतीय किसान महिला के जीवन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में हाथ से बने स्थानीय उत्पादों के महत्व के बारे में जाना। ये कौशल न केवल स्थानीय स्तर पर आजीविका प्रदान कर सकते हैं, बल्कि वे एक अद्वितीय वैश्विक निर्यात बन सकते हैं। इस समझ के साथ, उन्होंने कई संस्थानों की स्थापना की जो शिल्प महिलाओं का समर्थन करना जारी रखते हैं, अर्थात् भारत के काॅटेज उद्योग, शिल्प परिषद्, भारत अंतरराष्ट्रीय केंद्र, शरणार्थियों के लिए दिल्ली के बाहर एक शिल्प गाँव, संगीत, नाटक अकादमी, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, अखिल भारतीय हस्तशिल्प बोर्ड और शिल्प संग्रहालय। 

कमला देवी ने दुनिया की यात्रा की और यू.एस. का दौरा किया जहाँ उनकी एलेनोर रूजवेल्ट और मार्गरेट सैगर के साथ दोस्ती हो गई। उन्होंने ग्लोरिया स्टीनम पर भी एक स्थायी प्रभाव डाला, जिसे 1970 के दशक में उनसे मिलवाया गया था। स्टाइनम ने ए पैशनेट लाइफ की प्रस्तावना प्रदान की हैं।

कमलादेवी द्वारा लिखित पुस्तकें 

कमलादेवी चट्टोपाध्याय को लिखने में काफी रूचि थी। उनके द्वारा लिखित 'द' अवेकनिंग ऑफ इंडियन वीमेन, 'द ग्लोरी ऑफ इंडिया हैंडीक्राफ्ट्स', ट्रेडीसन्स ऑफ इंडियन फोक डांस' आदि पुस्तकें थीं। उल्लेखनीय है कि कमलादेवी चट्टोपाध्याय के जीवन पर भी कई लेखकों ने पुस्तकें लिखी हैं। 

कमलादेवी एक साहसी महिला थीं जिन्होंने समाज के बनाये गये नियमों के विरुद्ध जाकर अपना जीवन जिया था। उन्होंने उस समय दूसरा विवाह किया था, जब उसे समाज में अपराध माना जाता था। कमलादेवी को उनके कार्यों के लिए सम्मानित करने वाले कुछ पारितोषिक (पुरूस्कार) इस प्रकार हैं-- 

भारत सरकार ने सन् 1955 में उन्हें 'पद्मभूषण' सन् 1987 में 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया। सन् 1966 में सामुदायिक नेतृत्व के लिए इनको 'रमन मैग्सेसे' पुरूस्कार दिया गया। सन् 1974 में इन्हें संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप दी गई। उनके कार्यों के लिए उन्हें 'देसी कोहमा' पुरस्कार दिया गया, जो कि शान्ति निकेतन का उच्चतम पुरस्कार हैं। सन् 1977 में यूनेस्कों द्वारा हस्तशिल्प क्षेत्र में इनके योगदान हेतु ईनाम दिया गया। 

कमला देवी चट्टोपाध्याय के सम्मान में भारत सरकार ने इनके नाम से एक पुरस्कार बनाया हैं, जिसका नाम हैं," कमलादेवी चट्टोपाध्याय राष्ट्रीय पुरस्कार।" इस पुरस्कार को देने की घोषणा वर्ष 2017 में की गई थी।

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