9/08/2021

औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा में अंतर

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औपचारिक एवं अनौपचारिक शिक्षा में अंतर 

हैण्डरसन ने औपचारिक और अनौपचारिक अभिकरणों इन दोनों मे इस प्रकार अंतर स्पष्ट किया है," जब बालक व्यक्तियों के कार्यों को देखता है, उनका अनुसरण करता है और उनमें भाग लेता है तब वह अनौपचारिक रूप से शिक्षित होता हैह जब उसको सचेत करके और जान-बूझकर पढ़ाया जाता है, तब वह अनौपचारिक रूप से शिक्षा प्राप्त करता हैं।"

औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा अभिकरण मे में निम्न अंतर हैं-- 

1. औपचारिक शिक्षा का क्षेत्र संकीर्ण होता है, जबकि अनौपचारिक शिक्षा का क्षेत्र विस्तृत होता है। 

2. औपचारिक शिक्षा सुनियोजित और व्यवस्थित ढंग से संस्थाओं के द्वारा दी जाती है। अनौपचारिक शिक्षा मे पहले से कोई योजना नहीं बनाई जाती है। इसे व्यक्ति आकस्मिक रूप से प्राप्त करता हैं।

2 . औपचारिक शिक्षा के अभिकरण बहुत सीमित हैं। विद्यालय एवं पुस्तकालय इत्यादि इस शिक्षा के अभिकरण है। अनौपचारिक शिक्षा के अभिकरण परिवार, मित्र, पड़ोसी, राज्य, समुदाय एवं धार्मिक संस्थान आदि प्रमुख शिक्षा के अभिकरण हैं। 

4. औपचारिक शिक्षा मे मुख्यतः बालक के बौद्धिक विकास पर बल दिया जाता हैं। अनौपचारिक शिक्षा बालक के सर्वांगीण विकास मे सहायक होती है। 

5. औपचारिक अभिकरण द्वारा बालक के आचरण को परिवर्तित करने के लिए जानबूझकर व्यवस्थित रूप मे कार्य किया जाता है इस कारण ये व्यवस्थित अभिकरण है। अनौपचारिक अभिकरणों द्वारा बालक के आचरण को अप्रत्यक्ष एवं आकस्मिक ढंग से परिवर्तित किया जाता है। इस कारण ये अवस्थित या आकस्मिक विधियाँ हैं। 

6. औपचारिक शिक्षा मे शिक्षण-विधियाँ कक्षा, स्तर एवं विषय के अनुसार निश्चित की जाती हैं। अनौपचारिक शिक्षा में शिक्षण विधियाँ निश्चित नही होती हैं। अनुभव ही बालक को शिक्षा प्रदान करते हैं। 

7. औपचारिक शिक्षा अभिकरणों को निश्चित ढाँचे के अनुसार पहले से ही निर्धारित किया जाता हैं। अतः ये बालक के आचरण को सचेत होकर परिवर्तित एवं नियंत्रित करते हैं। अतः ये सचेत अभिकरण हैं। अनौपचारिक अभिकरण पूर्व निर्धारित नहीं होते हैं। अतः ये बालक के आचरण के परिवर्तन एवं नियंत्रण के संबंध में सचेत होकर कार्य नही करते है। अतः ये अचेतन साधन हैं। 

8. औपचारिक अभिकरणों पूर्व नियोजित होते हैं और इनके अपने नियम एवं निर्धारित कार्यक्रम होते हैं। अनौपचारिक अभिकरणों का कोई निर्धारित कार्यक्रम नही होता और न ही इनके अपने नियम ही होते हैं, जिसके अनुसार वे बालक के आचरण को रूपांतरित करने के लिए बाध्य होंगे। 

9. औपचारिक शिक्षा अभिकरण मे प्रत्येक कक्षा अथवा स्तर के पाठ्यक्रम को एक निश्चित अवधि में पूरा करना होता है। औपचारिक अभिकरण की कोई निश्चित अवधि या सीमा नही होती। बालक अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक इनसे सीखता रहता हैं। 

11. औपचारिक शिक्षा अभिकरण में शिक्षा को प्रदान करने का कार्य विभिन्न विषयों के प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति करते है। औपचारिक शिक्षा अभिकरण मे शिक्षा में सभी व्यक्ति शिक्षक होते है क्योंकि वे किसी न किसी रूप में अपना प्रभाव छोड़ते है। 

12. औपचारिक अभिकरण मे शिक्षा केवल विद्यालय में ही दी जाती है। अनौपचारिक शिक्षा अभिकरण मे कोई निश्चित स्थान नही होता हैं। 

13. औपचारिक शिक्षा अभिकरण मे शिक्षा में परीक्षा सफलता प्राप्त होने पर प्रमाण-पत्र दिया जाता हैं, जबकि अनौपचारिक शिक्षा अभिकरण में किसी भी प्रकार का प्रमाण-पत्र नही दिया जाता है। 

14. औपचारिक अभिकरण प्रत्यक्ष रूप से बालक के आचरण को रूपांतरित करते हैं अतः ये प्रत्यक्ष साधन कहलाते हैं। अनौपचारिक अभिकरण अप्रत्यक्ष रूप से बालक के आचरण को रूपांतरित करते हैं। अतः ये अप्रत्यक्ष साधन कहलाते हैं। 

15. औपचारिक अभिकरण बालक की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने के लिए दण्ड-विधान तथा शक्ति का प्रयोग करते हैं। अतः ये कृत्रिम एवं अस्वाभाविक अभिकरण हैं। अनौपचारिक अभिकरण बालक की स्वतंत्रता को नियंत्रित नही करते हैं। अतः ये स्वाभाविक एवं रोचक अभिकरण हैं।

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