8/13/2021

मूल्यों का वर्गीकरण/प्रकार, महत्व

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मूल्यों का वर्गीकरण अथवा प्रकार 

मूल्यों का वर्गीकरण या प्रकार निम्नलिखित है-- 

1. आध्यात्मिक मूल्य 

इन मूल्यों के अंतर्गत श्रद्धा, आस्तिकता, सह्रदयता, विनम्रता, शांति, दया आदि आते है। 

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2. सामाजिक मूल्य 

इसके अंतर्गत साहस, आनंद, शांति, सेवा, सत्य, सब धर्मों के प्रति सम्मान, श्रम की प्रतिष्ठा, पवित्रता, विनम्रता आदि आते है।

3. सांस्कृतिक मूल्य 

विश्वास, कला, ज्ञान, नीति, न्याय, रीति-रिवाज, आदतें इत्यादि सांस्कृतिक मूल्य है। 

4. नैतिक मूल्य 

कर्तव्य परायणता, सत्यभाषी, बड़ो का सम्मान, शुचिता, शील का पालन, पवित्र साधनों द्वारा धनोपार्जन आदि चारित्रिक मूल्य है। 

5. राजनीतिक मूल्य 

दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देश के हितार्थ कार्य करना राजनीतिक मूल्य है। 

6. अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य 

आधुनिक युग मे यह मूल्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अंतर्गत हम अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना, शांति, भाईचारा आदि को रख सकते है। 

हैरी एस. ब्राउडी के अनुसार मूल्यों का वर्गीकरण 

हैरी एस. ब्राउडी ने अपनी पुस्तक 'Building a Philosophy of Education' मे निम्न मूल्यों की विवेचना की है-- 

1. आर्थिक मूल्य (economic value),

2. शारीरिक मूल्य (physical value),

3. मनोरंजन मूल्य (recreation value),

4. सम्बन्धात्मक मूल्य (relational value), 

5. सौन्दर्यत्मक मूल्य (aesthetic value), 

6. नैतिक मूल्य (moral value), 

7. धार्मिक मूल्य (religious value)।

पार्कर के अनुसार मूल्यों का वर्गीकरण (रूचि के संबंध में) 

पार्कर के अनुसार मूल्य निम्नलिखित प्रकार के होते है-- 

1. जैविक मूल्य (Biological value), 

2. आर्थिक मूल्य (economic value),

3. भावात्मक मूल्य (abstract value), 

4. सामाजिक मूल्य (sociol value), 

5. बौद्धिक मूल्य (intellectual value), 

6. सौन्दर्यात्मक मूल्य (aesthetic value), 

7. नैतिक मूल्य (moral value), 

8. धार्मिक मूल्य (religious value)।

एन. सी. ई. आर. टी. ने निम्नलिखित गाँधीवादी मूल्य बतायें है-- 

1. सामाजिक जागरूकता एवं उत्तरदायित्व की भावना का विकास, 

2. निर्भयता, 

3. मानव श्रम का महत्व, 

4. अहिंसा, 

5. सेवा, 

6. शान्ति, 

7. सत्यवादिता, 

8. अन्य धर्मों के प्रति आदर की भावना, 

9. पवित्रता।

मूल्यों का महत्व (mulya mahatva)

मूल्यों का महत्व निम्नलिखित है-- 

1. मूल्यों के द्वारा आदर्श नागरिक का निर्माण हो सकता है। 

2. मूल्यों द्वारा बालक अपने धार्मिक एवं सामाजिक कर्तव्यों का निर्वाह पूरा कर सकता है। 

3. सामाजिक व्यवहारों को समझने के लिए मूल्यों का अध्ययन आवश्यक है। 

4. मूल्य सामाजिक संबंधों को संतुलित करने तथा सामाजिक व्यवहारों मे एकरूपता लाने मे सहायक होते है।

5. व्यक्ति और समूह की क्षमता का मूल्यांकन मूल्यों के आधार पर ही किया जाता है। 

6. मूल्यों द्वारा व्यक्ति मे यह जानने की क्षमता उन्नत होती है कि दूसरे लोगों की निगाह में उनका क्या स्थान है। 

7. मूल्यों में आदर्श निहित होते है इसलिए उन्हें सामाजिक स्वीकृति या अनुमति प्राप्त होती है। मूल्यों का समूह समाज के आदर्श विचारों तथा व्यवहारों का प्रतीक माना जाता है। 

8. मूल्यों के कारण भौतिक संस्कृति का महत्व बढ़ता है। भौतिक संस्कृति के कुछ तत्व चाहे महत्वपूर्ण न हों, किन्तु उनके पीछे सामाजिक मूल्य होते हैं, फलस्वरूप लोग उन वस्तुओं में रूचि लेने लगते है। कार, टेलीफोन या टेलीविजन कुछ व्यक्तियों के लिए आवश्यक न होने पर भी वे इन्हें इसलिए रखना चाहते है कि इनसे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है। यह इसलिए क्योंकि सामाजिक मूल्य इन वस्तुओं को उपयोगी व प्रतिष्ठासूचक मानते है। 

9. सामाजिक नियमों, परम्पराओं, स्तरों तथा अपेक्षाओं के अनुसार काम करना सामाजिक अनुरूपता कहलाता है। सामाजिक स्वीकृतियों तथा दण्ड के कारण व्यक्ति सामाजिक नियमों तथा अपेक्षाओं के अनुरूप काम करना सीख जाता है। 

10. सफल सामाजिक जीवन के लिए अनुशासन अनिवार्य है। मूल्यों द्वारा आन्तरिक, आत्मानुभूत, स्वेच्छापूर्ण, स्वीकारात्मक एवं निर्माणात्मक अनुशासन का विकास होता है।

11. मूल्यों द्वारा व्यक्ति सामाजिक न्याय के पक्ष में होता है।

12. मूल्यों द्वारा व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों, मित्रों, पड़ोसियों तथा अन्य सहकर्मियों के प्रति वफादार होता है और स्वार्थ से ऊपर उठकर परहित के लिए काम करता है।

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