विपणन का स्वभाव/प्रकृति
स्वभाव के संबंध मे देखा जाता है कि विपणन विज्ञान है या कला या दोनों ही है।
विपणन विज्ञान के रूप मे
विज्ञान ज्ञान का वह क्रमबद्ध अध्ययन है जो कार्य तथा कारण मे संबंध निर्धारित करता है। विपणन विज्ञान के रूप मे खरा उतरता है क्योंकि इसके अपने कुछ सिद्धांत तथा नियम होते है तथा इसमे अन्य सामाजिक विज्ञायों की वैज्ञानिक विधियों का उपयोग होता है। आज एक उत्पादक वस्तु का उत्पादन करने से पहले अनेक प्रकार के अनुसंधान तथा जानकारी एकत्रित करता है। जैसे-- बाजार अनुसंधान, क्रेता व्यवहार अनुसंधान आदि। यह सारे तथ्य विपणन को एक विज्ञान के रूप मे सिद्ध करते है।
विपणन कला के रूप मे
किसी भी कार्य को सर्वोत्तम विधि से करना ही कला कहलाता है। एक विशेष योग्यता और कुशलता के साथ किसी कार्य को करना कला कहलाता है। विपणन मे ही विक्रय-कला को शामिल किया जाता है। विक्रय-कला के आधार पर ही कुछ दुकानदार अपने विक्रय को बाकी दुकानदार की तुलना मे काफी बढ़ा लेते है। विपणन भी एक कला है जो अध्ययन तथा योग्यता द्वारा प्राप्त होती है और प्रशिक्षण से इस कला मे निखार आता है। विपणन की कई समस्याओं का समाधान एक विशेष कला द्वारा होता है।
उक्त दोनों का अध्ययन करने के बाद यह कहा जा सकता है कि विपणन विज्ञान व कला दोनो ही है क्योंकि इसमे वैज्ञानिक विधियों एवं कला का उपयोग किया जाता है तथा फिर अनेक निर्णय लिये जाते है।
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